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      Home Media Study Material Radio

      Radio Talk Programme रेडियो वार्ता कार्यक्रम

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Radio
      0

      Radio Talk

      Dr. Arvind Kumar Singh

      रेडियो पर जो भी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं उन सभी कार्यक्रमों की प्रस्तुति में बातचीत एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है और उसमें से अधिकतर कार्यक्रम बातचीत के माध्यम से ही प्रस्तुत किए जाते हैं । इसमें से यदि संगीत जैसे कुछ कार्यक्रमों को छोड़ दिया जाए तो रेडियो के अन्य सभी कार्यक्रमों में बातचीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है किंतु रेडियो का एक कार्यक्रम ऐसा ही है जिससे कि वार्ता कार्यक्रम का नाम दिया गया है इसे अंग्रेजी में  रेडियो टॉक Radio talk कहते हैं

      Radio discussion

        वार्ता शब्द के लिए कई अन्य शब्दों का भी इस्तेमाल किया जाता है । इसमें वार्तालाप, संवाद, कथा , कथन, बोलचाल बातचीत जैसे शब्द मुख्य हैं। यह भी किसी न किसी तरीके से उसी भाव को व्यक्त करते हैं जो कि वार्ता शब्द के द्वारा व्यक्त किया जाता है । इसी प्रकार से अंग्रेजी भाषा में भी टॉक शब्द के लिए कई दूसरे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है । इसमें चैट,  स्पीक, चैट, अटर, नेटर आदि जैसे शब्द मुख्य हैं

      रेडियो वार्ता कार्यक्रम की विशेषताएं –  जब हम रेडियो वार्ता की बात करते हैं तो अंग्रेजी भाषा की बात करते हैं तो इसकी इसकी कई विशेषताएं भी हैं । सामान्य तौर पर इस प्रकार के कार्यक्रम एक व्यक्ति द्वारा ही मुख्य तौर पर  प्रस्तुत किया जाता है और दूसरा जो पक्ष होता है वे रेडियो माध्यम के श्रोता ही होते हैं।  यदि किसी प्रकार का फीडबैक देना है तो वह रेडियो के वार्ता को प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति ही वार्ता के प्रस्तुत करने के अंदाज इस तरह से प्रस्तुत करते है कि उसने फीडबैक भी शामिल होता है कई बार वार्ताकार के साथ कोई अन्य व्यक्ति हो सकता है जो की आवश्यकतानुसार  वार्ताकार की बातों को सुनकर के फीडबैक देता है । यदि फीडबैक सही प्रकार से दिया जाए तो रेडियो वार्ता का कार्यक्रम ज्यादा रोचक और प्रभावी हो जाता है क्योंकि उसमें रेडियो श्रोता अपने को और अधिक सक्रिय रूप में शामिल कर लेता है   रेडियो वार्ता के लिए भी स्क्रिप्ट अन्य प्रकार के रेडियो कार्यक्रम के स्क्रिप्ट की तरह से लिखा जाता है यद्यपि इससे बगैर स्क्रिप्ट के भी प्रस्तुत किया जा सकता है किंतुऔर ऐसा बहुत कम हो पाता है कि कोई व्यक्ति बगैर स्क्रिप्ट के रेडियो वार्ता प्रस्तुत करें । रेडियो के जो भी स्क्रिप्ट लिखी जाती है  वह बातचीत के अंदाज में लिखा जाता है

      Radio Sangeet Rupak रेडियो संगीत रूपक

      रेडियो वार्ता कार्यक्रम का महत्व Importance of Radio talk

      रेडियो वार्ता कार्यक्रम का रेडियो कार्यक्रमों में काफी महत्व है । सबसे मुख्य बात तो यही है कि यह उस बातचीत के तरीके से  प्रस्तुत किया जाता है जो कि जन सामान्य अपने व्यवहारिक जीवन में सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं। व्यावहारिक जीवन में इस माध्यम से लोग विभिन्न प्रकार के संदेशों का आदान-प्रदान मौखिक रूप में कहते सुनते हैं। इस प्रकार से किसी बात को कहने के लिए यह सबसे सरल सुंदर और परिचित तरीका होता है और कुछ विषय तो ऐसे हैं जो कि इसी माध्यम से ही प्रभावी तरीके से दिए जा सकते हैं

      रेडियो वार्ता की प्रस्तुति –  Presentation of Radio talk जब रेडियो वार्ता  प्रस्तुत किया जाता है तो वह रेडियो पर प्रस्तुत किए जाने वाले किसी अन्य कार्यक्रम के अंतर्गत आता है या फिर स्वतंत्र रूप में भी उसका प्रसारण किया जा सकता है। रेडियो पर वार्ताओं का भी कार्यक्रम होते हैं। जब भी किसी अन्य कार्यक्रम के अंतर्गत है रेडियो वार्ता को प्रस्तुत किया जाता है तो उसमें वार्ता का विषय को प्रसारित किए जा रहे कार्यक्रम के विषय ध्यान में रख करके ही निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि खेल पर आधारित कोई रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है तो उसमें जो भी वार्ता प्रस्तुत की जाएगी, उसका विषय खेल से ही संबंधित होगा। रेडियो वार्ता का विषय समसामयिक होने के साथ-साथ श्रोताओं की आवश्यकता एवं रुचि को ध्यान में रखकर के निर्धारित किया जाता है

      वार्ता कार्यक्रम की अवधि – Duration of Radio talkवार्ता कार्यक्रम की अवधि सामान्य तौर पर 5 मिनट से लेकर के 10 मिनट तक की होती है । किंतु इससे कम या  अधिक अवध के भी वार्ता प्रसारित किए जाते हैं रेडियो माध्यम पर एक तरफ जहां छोटी अथवा लघु वार्ता प्रसारित की जाती है जिसकी अवधि 3 मिनट की होती है वहीं पर लंबी अवधि की वार्ता 15 मिनट तक प्रसारित की जाती है विषय और प्रस्तुतकर्ता के वार्ता प्रस्तुत करने के अंदाज के अनुसार 1 मिनट में रेडियो माध्यम पर 120 से लेकर के 150 शब्दों तक को प्रस्तुत किया जा सकता है । इस प्रकार से 5 मिनट के वार्ता के लिए 600 से लेकर के  750 शब्द शामिल किए जा सकते हैं। इसी प्रकार से 10 मिनट के वार्ता में बारह सौ  से लेकर के पंद्रह सौ शब्द शामिल किये जा  सकते हैं । 3 मिनट की वार्ता में 300 से लेकर के 400 शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है  इस प्रकार से 10 मिनट की वार्ता के लिए 1200 से 1500 शब्दों की आवश्यकता पड़ती है  इन्हीं शब्दों में विषय को समुचित तरीके से आरंभ करके विस्तार देते हुए फिर उसे समाप्त करते हैं ।एक निश्चित समय में प्रस्तुत की जाने वाली वार्ता में शब्दों की संख्या वार्ता के विषय वार्ता को पढ़ने वाले व्यक्ति पर भी निर्भर करते हैं। उनकी भिन्न भिन्न गति होती है।

      Radio drama

      वार्ता का उद्देश्य Objectives of Radio talk

      कोई भी वार्ता जब प्रस्तुत किया जाता है तो उसका कुछ न कुछ है उद्देश्य अवश्य होता है । यह शिक्षा मनोरंजन और सूचना देने से लेकर के मार्गदर्शन और प्रचार आदि करने का उद्देश्य हो सकते हैं । प्रायः इनके एक से अधिक उद्देश्य रहते हैं अब आइए जरा हम इस बात पर चर्चा करें कि जब कोई वार्ता प्रस्तुत की जाती है तो उसमें हम उसकी भाषा को किस प्रकार से प्रस्तुत करें जिससे कि वह प्रभावी हो और लोगों के लिए उपयोगी हो

      तो जैसा कि हम जानते हैं कि रेडियो एक श्रव्य माध्यम है तो यह आवश्यक है कि रेडियो माध्यम पर जो कुछ भी प्रस्तुत किया जाए वह बहुत ही सरल तरीके का हो और बातचीत के अंदाज में हो यदि उसमें किसी तरह की की जटिलता है तो उसको हटाते हुए हम उसे सरल अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। अब इसके लिए यह जरूरी है कि बहुत लंबे लंबे वाक्य एवं बड़ी बड़ी संख्याएं न हो । ऐसे शब्द जो कि सुनने में अटपटा लग रहे हो या जिनको बोलने में समस्या होती हो इन सब बातों से बिल्कुल बचना चाहिए और इन को ध्यान में रख कर के ही वार्ता की स्थिति तैयार की जानी चाहिए ।

      रेडियो वार्ता की स्क्रिप्ट Script for Radio talk

      Radio magazine

           सामान्य तौर पर रेडियो वार्ता को स्क्रिप्ट के माध्यम से ही प्रस्तुत किया जाता है। किंतु एक कुशल वार्ताकार अपनी बातों को  स्क्रिप्ट के बगैर भी प्रस्तुत करता है । यहां पर कई बार स्क्रिप्ट की आवश्यकता इसलिए भी पड़ती है कि वार्ता में इस प्रकार की बातें और तथ्यों को प्रस्तुत करना रहता है जिन्हें कि सामान्य तौर पर याद करके प्रस्तुत करने में त्रुटियां होने की आशंका होती है। इन सभी प्रकार की आशंकाओं से बचने के लिए यह आवश्यक है कि रेडियो वार्ता की स्क्रिप्ट तैयार किया जाए और यह स्क्रिप्ट ऐसा बनाया गया रहता है कि बातचीत की भाषा में ही लिखी जाती है और रेडियो वार्ता का उद्देश्य क्या है वह भी रेडियो स्विफ्ट की भाषा और प्रस्तुत करने के तरीके को निर्धारित करता है किंतु यहां पर यह बात अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। रेडियो वार्ता के प्रस्तुत करने का जो तौर तरीका होता है वह श्रोताओं को ध्यान में रखकर के तैयार किया जाए । उदाहरण के लिए यदि कोई वार्ता  बच्चों के लिए तैयार की जा रही है तो फिर उसको प्रस्तुत करने का अंदाज बच्चों के ध्यान में रख कर के ही होना चाहिए वर्षा की स्क्रिप्ट में एक महत्वपूर्ण वालों यह भी है कि आरंभिक भाग ध्यान आकृष्ट करने वाला हो और उसने इस बात की जानकारी दे दी जानी चाहिए कि कुल मिलाकर के बाता में क्या बातें बताई जाएंगे

         रेडियो वार्ता लेखन के दौरान बातचीत की भाषा के रूप में लिखने के अतिरिक्त यह भी ध्यान में रखना होता है कि वह नपे तुले अंदाज में बातें कहे क्योंकि रेडियो माध्यम पर सीमित समय में बातों को प्रस्तुत करना रहता है। इसलिए इसका एक  प्रभावी आरंभ के बाद भी सभी प्रकार की बातें प्रभावपूर्ण तरीके से ही प्रस्तुत की जानी चाहिए और तथ्यों को सुव्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाया जाना चाहिए । कोई भी बात अगर काफी प्रभावी तरीके से कहनी है तो सबसे पहले उसमें ध्यान आकृष्ट करने आवष्यकता होनी चाहिए। इसके बाद उसकी उपयोगिता, लाभ एवं महत्व के बारे में चर्चा की जाती है।

        अनौपचारिक मित्रवत अंदाज में बातचीत

      Sound effect

          जो भी बातें कहीं जाए उसमें अनौपचारिक अंदाज में हम तुम आपका हमारा जैसे मित्रवत अंदाज के शब्द उसे बातचीत की भाषा का रूप देते हैं । किंतु इस दौरान यह बात ध्यान रखना चाहिए कि जो भी बात ध्यान प्रस्तुत किया जाए वह सही और संक्षिप्त रूप में हो,  उन तकनीकी शब्दों से बचना चाहिए जो कि अपेक्षाकृत कम प्रचलित होते हैं और जिन्हें समझने में कठिनाई होती है। इसके बजाय परिचित परिचित शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इसे रोचक अंदाज में दिया जाना चाहिए स्क्रिप्ट लेखन में समय काफी बड़ा महत्व होता है इसलिए निश्चित समय के भीतर सभी प्रकार की आवश्यक बातों को पूर्ण करती हुई स्क्रिप्ट तैयार करनी चाहिए

      वार्ता प्रस्तुत करने के विविध रूप Different formats of presentation of Radio talk

      किसी भी प्रकार के रेडियो वास्तव में जो भी बातें कही जाती हैं वह उसके प्रस्तुत करने का तौर तरीका कई प्रकार से हो सकते हैं विषय और कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखकर के ही इसके प्रस्तुत करने का अंदाज निर्धारित किया जाता है एक स्क्रिप्ट को हम सूचनात्मक अंदाज में प्रस्तुत कर सकते हैं वहीं पर अगर किसी भी प्रकार के दृश्य या घटना आदि का वर्णन करना है तो वहां पर वर्णनात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया जा सकता है जब कोई ऐसा विषय रहता है जिसे कि बहुत ही स्पष्ट करने की जरूरत होती है तो उस स्थिति में उसे व्याख्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है और इसी प्रकार जब कोई बात को विशेष तथ्यों के साथ स्पष्ट करना रहता है तो उस स्थिति में वह विश्लेषणात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।  किस प्रकार यहां पर जिस भी तरीके की आवश्यकता होती है वहां वार्ता के लिए उसी अंदाज में स्क्रिप्ट का लेखन किया जाता है और फिर बाद में वातौकार द्वारा उसे प्रस्तुत किया जाता है

      वार्ता स्क्रिप्ट की जाॅंच Correction of script of Radio talk

              कोई भी रेडियो वार्ता के लिए जब इस स्क्रिप्ट तैयार की जाती है तो उसमें सुधार की भी हमेशा गुंजाइश बनी रहती है और रेडियो वार्ता को पढ़कर के उसे प्रस्तुत करने की अंदाज की जांच की जाती है। यदि यह पाया जाता है कि इसमें अनावश्यक तरीके से लंबे लंबे वाक्य शामिल हैं या फिर उसमें लिखे गए शब्दों का चयन सही नहीं है या फिर अनावश्यक तरीके से बातों को दोहराया गया है या फिर यह पाया जाता है कि इसमें बहुत ही आंकड़े प्रस्तुत कर दिए गए हैं तो उन सब स्थितियों में स्क्रिप्ट में सुधार करके इन खामियों को समाप्त किया जाता है जिससे कि वह एक प्रभावी स्क्रिप्ट बन सके रेडियो न्यूज़ स्क्रिप्ट की जांच करने में स्क्रिप्ट पठान की अपनी एक अलग प्रकार की भूमिका होती है जो इस बात की जानकारी देती है कि यह स्क्रिप्ट बोलने या पढ़ने योग्य है कि नहीं जब हम स्क्रिप्ट को पढ़ते हैं तो कानों में जो आवाज आती है उसके सहायता से उसकी खामियों को जांच करते हैं

      रेडियो वार्ता के स्क्रिप्ट का पठन Reading of script for Radio talk

                रेडियो वार्ता के स्क्रिप्ट का पठन एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है । वार्ता में कही गई बातें कितने प्रभावी तरीके से श्रोताओं तक पहुंचेंगे यह स्क्रिप्ट गठन पर भी काफी हद तक निर्भर करता है जो भी व्यक्ति इस स्क्रिप्ट का पठन करता है वह कितने अच्छे तरीके से और लोगों को स्वीकार्य योग्य वचन करता है । यहां पर यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण है कि  स्क्रिप्ट के पढ़ने के दौरान श्रोताओं को यह नहीं मालूम होना चाहिए कि कोई व्यक्ति स्क्रिप्ट को पढ़ रहा है। अतः उसके बोलचाल का अंदाज है बनाए रखना चाहिए इसलिए किसी भी स्क्रिप्ट को अंतिम रूप से रेडियो माध्यम पर प्रस्तुत करने से पहले उचित तरीके से उसका अभ्यास कर लेना आवश्यक है । इस दौरान किसी भी प्रकार के खामियों के ठीक करने की अवसर मिल जाता है और व्यक्ति इसको सही तरीके से प्रस्तुत करता है

      स्क्रिप्ट पढ़ने के दौरान शरीर को सही पोज

             यहाॅं पर यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि स्क्रिप्ट को पढ़ने के दौरान उसे पढ़ने वाले व्यक्ति शरीर  का पोज सही रूप में होनी चाहिए जिससे कि उसे पढ़ने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। सही तरीके से बैठने से लेकर के माइक से उचित दूरी बनाए रखना आवश्यक है। यदि स्क्रिप्ट कई पेजों में है तो उसे पेज संख्या दे दी जानी चाहिए जिससे कि पढ़ने के दौरान किसी प्रकार की कोई त्रुटि न हो। वर्तमान में

        श्रोताओं को संबोधन

             जब भी रेडियो वार्ता की स्क्रिप्ट पढ़ी जा रही हो, उस दौरान श्रोताओं को सही प्रकार से संबोधित करना आवश्यक है जिससे कि कार्यक्रम की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया जा सके । यह संबोधन बहुत ही मित्रवत और परिचित अंदाज में होना चाहिए । वार्ता का जो विषय होता है उसके भाव और श्रोताओं के पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर के बातों को कहने का अंदाज होना चाहिए। पठन के दौरान जहां कहीं भी विराम लेने की आवश्यकता है अथवा श्रोताओं से प्रश्न करने की आवश्यकता है उसे भी अवश्य किया जाना चाहिए।

      वार्ता का अन्त –Conclusion of Radio talk

      अब आगे यहाॅ पर कुछ रेडियो वार्ता प्रस्तुत किये गये है।  वार्ता का समापन भी इस अंदाज से करना चाहिए कि श्रोताओं को वह सहज और आरामदायक लगे । इस तरीके से रेडियो वार्ता  कार्यक्रम को तैयार किया जाए तो निश्चित रूप से वह श्रोताओं को रोचक और प्रभावी लगेगी और हुए ऐसे कार्यक्रमों को सुनना चाहेंगे।

      Tags: radio talkradio varta
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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