• About us
  • Contact
  • Home
Sunday, December 14, 2025
Media Study World
No Result
View All Result
  • Home
  • Media News & Updates
  • Media Study Material
    • All
    • Communication
    • Communication Theory & Models
    • Development Communication
    • Film Studies & Production
    • Graphic Design
    • Human Communication
    • Media Law
    • Photography
    • PR & Advertisement
    • Print Media
    • Radio
    • research
    • TV

    Interpretative Journalism and Explanatory Journalism व्याख्यात्मक रिपोर्टिंग

    Qualitative analysis example

    Method of Interview Analysis

    News Headlines

    Interview Analysis

    Qualities of a Reporter रिपोर्टर के गुण

      Functions of Reporter रिपोर्टर के कार्य

    Non-Probability Sampling

    Research Design: Meaning, Concept, and Characteristics

    Importance of Research Design

    Kinds of research: different basis

    Kinds of Research

    Meaning of Research रिसर्च का अर्थ

    Trending Tags

      • Communication
      • Radio
      • Photography
      • TV
      • Communication Theory & Models
      • Print Media
      • Graphic Design
      • Film Studies & Production
      • PR & Advertisement
      • Development Communication
      • Media Law
    • UGC JRF NET
    • Digital Media Technology
    • Editorial
    • Students Corner
    • Home
    • Media News & Updates
    • Media Study Material
      • All
      • Communication
      • Communication Theory & Models
      • Development Communication
      • Film Studies & Production
      • Graphic Design
      • Human Communication
      • Media Law
      • Photography
      • PR & Advertisement
      • Print Media
      • Radio
      • research
      • TV

      Interpretative Journalism and Explanatory Journalism व्याख्यात्मक रिपोर्टिंग

      Qualitative analysis example

      Method of Interview Analysis

      News Headlines

      Interview Analysis

      Qualities of a Reporter रिपोर्टर के गुण

        Functions of Reporter रिपोर्टर के कार्य

      Non-Probability Sampling

      Research Design: Meaning, Concept, and Characteristics

      Importance of Research Design

      Kinds of research: different basis

      Kinds of Research

      Meaning of Research रिसर्च का अर्थ

      Trending Tags

        • Communication
        • Radio
        • Photography
        • TV
        • Communication Theory & Models
        • Print Media
        • Graphic Design
        • Film Studies & Production
        • PR & Advertisement
        • Development Communication
        • Media Law
      • UGC JRF NET
      • Digital Media Technology
      • Editorial
      • Students Corner
      No Result
      View All Result
      Media Study World
      No Result
      View All Result
      Home Media Study Material Communication

      Cultivation Theory माध्यम का कल्टीवेशन सिद्धांत

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Communication
      0

      Cultivation theory of media माध्यम का कल्टीवेशन सिद्धांत

      Bullet Theory of Mass Communication जनसंचार का बुलेट सिद्धांत
      1 नमस्कार साथियों ! आज हम संचार के एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व सामने आया और उस समय काफी चर्चा में रहा और इस सिद्धांत को लेकर के काफी शोध भी किए गए । संचार शोध की दुनिया में इसकी जहाॅ के तरफ काफी प्रशंसा की गई, वहीं पर इसकी काफी आलोचना की गई है। आज हम संचार के इस महत्वपूर्ण सिद्धांत कल्टीवेशन सिद्धान्त cultivation theory के बारे में बताने जा रहे हैं
      2 इस व्याख्यान का हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि –
      कल्टीवेशन सिद्धान्त क्या है और इसके में क्या बातें बताई गई है
      इस सिद्धांत का दायरा और सीमाएं क्या है
      वर्तमान में इसका क्या उपयोगिता है।

      4 – इसे जानने एवं इसकी चर्चा के पश्चात आप सभी लोग कल्टीवेशन सिद्धान्त के विविध पक्षों के बारे में न सिर्फ एक समझ बना सकेंगे वरन वर्तमान परिपेक्ष में इसका अपने तरीके से विभिन्न माध्यमों के संदर्भ में विश्लेषण भी कर सकेंगे और यह जान सकेंगे कि सिद्धांत अब कहां तक उचित एवं संदर्भयुक्त है।

      George gerbner and cultivation theory

      3-cultivation theory मुख्य प्रवर्तक जॉर्ज गर्बनर हैं। उन्होंने ही अपने शोध के पश्चात के यह सिद्धांत को स्थापित किया और वह टीवी का समाज पर सतत रूप में जो प्रभाव पड़ा था। उसके अध्ययन के बाद जो जानकारी सामने आई उसे इस सिद्धांत के रूप में दिया । उसने देखा कि समाज में टीवी के कार्यक्रमों से लोग काफी प्रभावित होते हैं तो वह इस बात को जानने के प्रति बहुत ही उत्सुक थे कि टीवी समाज पर किस तरीके से लोगों पर प्रभाव डालता है और उनके धारणाओं पर कैसे प्रभाव डालता है। इसके लिए उन्होंने 1960 के दशक में टीवी का समाज पर प्रभाव के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में शोध किया और इस शोध के पश्चात जो उन्होंने निष्कर्ष निकाला उसका 1975 में प्रकाशन भी किया जिसका नाम था लिविंग विद टेलीविजन दी वायलेंस प्रोफाइल और इसमें उन्होंने टीवी माध्यम को ही केंद्र में रख कर के अपना अध्ययन किया था। जब वह अध्ययन कर रहे थे तो उनका मुख्य उद्देश्य यह था कि टीवी लोगों के विचारों धारणाओं पर किस तरीके से प्रभाव डालता है।


      5- इस अध्ययन के पश्चात जो जानकारियां सामने आए उसको cultivation कल्टीवेशन हाइपोथेसिस या कल्टीवेशन एनालिसिस का नाम भी दिया गया है जिसमें उन्होंने मुख्यतः यह बताया था कि अगर टीवी माध्यम का लोगों पर लगातार एक्स्पोजर किया जाए तो फिर लोग वासियों दुनिया के बारे में जो विचार रखते हैं वह काफी हद तक प्रभावित होता है।
      यह सिद्धान्त जो कि विशेष रूप से टीवी माध्यम के प्रभाव के अध्ययन पर ही केंद्रित था, इसमें टीवी के कार्यक्रमों को लंबी अवधि तक देखते रहने पर लोगों पर कैसे प्रभाव पड़ता है, उसका विशेष रूप से जिक्र किया। लेकिन इसी के साथ हम यह भी बता दें कि इस अध्ययन में उन्होंने टीवी में जो हिंसात्मक कार्यक्रम दिखाए जाते थे, उसी अध्ययन विशेष रूप से किया था । वास्तव में उस दौर में टीवी माध्यम पर विभिन्न प्रकार के हिंसात्मक कार्यक्रमों की भरमार थी और यह अमेरिकी समाज के लिए यह चिंता का विषय बन गया था कि किस प्रकार के हिंसात्मक कार्यक्रम जो लगातार टीवी पर प्रसारित किए जा रहे हैं, उससे लोगों के लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


      6 बाद में इससे बाद में इस सिद्धांत को लैरी ग्रास द्वारा फिर और आगे बढ़ाया गया । वह एक स्क्रीन राइटर थे। इसके विभिन्न पहलूओं के अध्ययन के पश्चात उन्होने अपने ढंग से अन्य बातों को बताया और यह सिद्धांत काफी चर्चित और आगे टीवी माध्यम के बार में अन्य तरीके से किये जाने वाले अध्ययन का आधार बना और उस दौर में टीवी मीडिया में तो विशेष रूप से विभिन्न प्रकार के अध्ययन किए गए। उसमें जॉर्ज गवर्नर का जो अध्ययन था, वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिकल्पना आदि के रूप में कार्य किया । इसके परिणाम स्वरूप और भी विभिन्न प्रकार की नई नई परिकल्पनाए एवं अवधारणाएं भी विकसित हुई। यह सिद्धांत और भी विस्तारित रूप में तैयार किया गया और एक लंबे समय तक पर शोध कार्य चलता रहा और आज भी यह टीवी माध्यम के प्रभाव के संदर्भ में किए जाने वाले शोध का एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

      Meaning of cultivation


      7 कल्टीवेशन थिअरी में जो कल्टीवेशन शब्द का इस्तेमाल किया गया है, उसका आषय सामान्य तौर पर फसल उगाने के लिए जो जमीन तैयार की जाती है, वहीं से लिया गया है। एक तरह से कल्टीवेट करने का कार्य को कल्टिवेषन कहते हैं और अगर ऐतिहासिक रूप से शब्द की उत्पत्ति को देखें तो वह 1553 में सबसे पहले आया था। इससे मिलते-जुलते जो शब्द अगर हमका देखना चाहे तो कॉलेज रिफाईनमेंट कल्चर सिविलाइजेशन अकांप्लिशमेंट जैसे शब्द अंग्रेजी के कुछ हद तक उस पर उस अर्थ को इंगित करते हैं। कुल मिलाकर के कल्टीवेशन थिअरी यही बताती है कि जब लगातार टीवी माध्यम को देखा जाता है तो फिर लोगों के विचार सोच पोलिस हो करके रिफाइन हो करके एक नए रूप में कैसे सामने आते हैं।


      8 इस सिद्धान्त में कुछ और शब्द काफी अधिक इस्तेमाल किए जाते रहे। इसमें एक शब्द मीन वर्ल्ड सिंड्रोम भी है जो कि एक पूर्वाग्रह है जो कि दुनिया के संदर्भ में माना गया है और इस प्रकार का विचार टीवी माध्यम से लगातार देखने के पश्चात दुनिया के बारे में दर्शकों के मन में विकसित होता है और वे इसे काफी खतरनाक रूप में देखते हैं। टीवी के जो हिंसात्मक कार्यक्रम होते हैं , अगर वह लोग देखते हैं तो दुनिया को खतरनाक रूप में आने लगते हैं। इसी प्रकार से मीडिया वायलेंस शब्द का भी अधिक है इस्तेमाल किया जाता है । यह जिस प्रकार से वास्तविक दुनिया में हिंसा या वायलेंस होते हैं उसका माध्यमों पर जो वर्णन किया जाता है, उसके संदर्भ में विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।


      9 अब हम इस cultivation theory सिद्धांत के अवधारणाओं पर यदि आते हैं तो हम देखते हैं कि टीवी प्रभाव के बारे में जानकारी पाने के लिए अपने कुछ खास प्रकार से विचार भी बनाए थे । उनका मानना था कि टीवी एक बहुत ही अलग प्रकार का माध्यम है और यह अन्य माध्यमों से अलग है क्योंकि इसमें सुनने और दिखाने दोनों के क्षमता है। इसके लिए किसी भी प्रकार की साक्षरता की जरूरत नहीं होती है जैसा की प्रिंट माध्यमों में होता है । इसे सभी लोग आसानी के साथ देख सकते हैं और इसमें जो बहुत ही सरल तरीके से बातचीत के माध्यम से सब कुछ दिखाया जाता है वह लोगों का ध्यान सहज ही अपनी तरफ खींच लेता है । इस प्रकार से टीवी अपने आपने बहुत ही खास प्रकार का माध्यम बन गया है। इसे साथ दूसरा अवधारणा यह था कि टीवी लोगों के सोचने के तौर-तरीके पर काफी प्रभाव डालता है और वह उसको दुनिया से जोड़ करके देखते हैं यह दोनों अवधारणाएं जॉर्ज गवर्नर के शोध का बहुत ही महत्वपूर्ण आधार बनी थी।


      10 – इसी के आधार पर उन्होंने यह माना था कि जो टीवी माध्यम है, वह दुनिया के बारे में लोगों के विचारों को तैयार करता है। यह दुनिया कैसी है, किस तरह से व्यवहार करती है, उसके बारे में लोग टीवी के कार्यक्रमों को देख कर के अपने विचार बनाते हैं। वह जो लोग टीवी बहुत देर तक देखते हैं, वह उससे बहुत प्रभावित होते हैं। इसमें दिखाए जाने वाले विभिन्न परिवेश, घटनाक्रम आदि को भी अपने अंदर समाहित कर लेते हैं और फिर उसके अनुसार अपने सोच विचार को विकसित करते हैं।


      11 इस संदर्भ में गर्बनर ने टीवी देखने वाले दर्शकों को भी कई भागों में विभाजन किया था। सामान्यतया उन्होंने दर्शकों को तीन भागों में विभाजित किया था। हल्के प्रकार के दर्शक जो कि टीवी को 2 घंटे से कम अवधि तक देखते हैं। दूसरे वर्ग में मध्यम आकार के दर्शक थे जो कि टीवी को दो से 4 घंटे तक पूरे दिन देखते हैं। इसी प्रकार से उन्होंने भारी दर्शकों की कल्पना की थी, इसमें वे दर्षक थे जो कि टीवी को 4 घंटे से अधिक देखते हैं वे कहीं अधिक प्रभावित होते हैं।


      12 किंतु उन पर भी यह प्रभाव एक समय पश्चात तब होने लगता है वह जब लगातार टीवी देखते हैं, तो टीवी में जो कोई भी विचार, बातें,दृश्य दिखाया जाता है। वह उनके मन में जमा होने लगता है। वह उनके मन में बैठने लगता है, वह उनको सही लगने लगता है या उस पर वह विश्वास करने लगते हैं ।

      Comparison of cultivation theory with other theory
      13 अब कल्टीवेशन सिद्धांत में जो बातें कही गई हैं, अगर हम उसकी अन्य सिद्धांतों से तुलना करें, तो हम पाएंगे कि यह सिद्धांत कई मामलों में अन्य सिद्धांतों से थोड़ा अलग हटकर के हैं । इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि यह मुख्य रूप से टीवी माध्यम के प्रभाव के संदर्भ में अपनी बातें करता है। अर्थात इसमें जो दर्शकों पर प्रभाव की बात कही गई है, वह रेडियो अथवा प्रिंट माध्यम के संदर्भ में न होकर के टीवी माध्यम के संदर्भ में है और इस सन्दर्भ में जो भी अध्ययन किया था, वह टीवी पर दिखाए जाने वाली हिंसा कार्यक्रमों को लेकर के थ। बाद में अलग अलग तरीके से अध्ययन कर के प्रभाव के बारे में और भी बातें सामने आई। किंतु जॉर्ज ने कुछ खास प्रकार के कार्यक्रमों को लेकर के ही विशेष तौर पर अध्ययन किया था और उसी आधार पर उसने सिद्धांत दिया था ।

      Main points of cultivation theory
      14 कल्टीवेशन सिद्धांत के मुख्य बातों को हम इस प्रकार से कह सकते हैं कि –
      मीडिया टीवी मीडिया में जो कुछ भी दिखाया जाता है उसे लोग अवचेतन मन से विश्वास करते हैं। अर्थात हम सीधे तो हमको नहीं लगता है कि हम उसे प्रभावित होते हैं। किंतु जब हमारे अवचेतन मन में कोई बात बार-बार दिखाई जा रही होती है तो अवचेतन मन उसको अच्छी तरीके से अपने भीतर समाहित कर लेता है । अवचेतन मन के कार्य प्रणाली को विज्ञापन देने के संदर्भ में भी उपयोग किया जाता है । किसी बात को इतनी बार दिखा दिया जाए कि उस बात को सत्य मान ले।


      टीवी माध्यम समाज में वर्तमान स्थिति को बनाए रखने में कहीं अधिक उपयोग किया जाता है। अर्थात इससे बदलाव की तुलना में यथास्थिति बनाए रखने में कहीं अधिक है मदद मिलती है। टीवी एक लंबे समय पश्चात अप्रत्यक्ष रूप से किंतु बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके प्रभाव डालते हैं । अर्थात टीवी तत्काल अपना सीधे प्रभाव नहीं दिखाता लेकिन जब व्यक्ति लगातार एक लंबे समय तक टीवी माध्यम देखता है तो वह एक अप्रत्यक्ष तरीके से प्रभाव डालता है । यह प्रभाव बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि टीवी माध्यम लोगों की सोच को एक आकार देती है और उनके विश्वास और दृष्टिकोण को भी वह प्रभावित करती है । वह इस प्रकार से प्रभावित करती है कि वह जो कुछ भी दिखाती है लोग उस पर विश्वास करते ।


      इसीलिए टीवी माध्यम के बारे में कहा जाता है कि वह एक परसूएसिव पावर या मनाने की क्षमता रखता है। अर्थात वह लोगों को अपने तरीके से राजी कर सकता है । उनको मना सकता है या हम यह कह सकते हैं कि जो कुछ भी दिखा रहा है वह लोगों पर ऐसा प्रभाव डालता है कि लोग उसको सही मानते हैं।

      Mean world syndrome in cultivation theory

      टीवी जैसे माध्यम से जो हिंसात्मक कार्यक्रम दर्शाया जाता है वह एक मीन वर्ल्ड सिंड्रोम को जन्म देता है जिसमें लोग दुनिया को बहुत ही खतरनाक रूप में देखते हैं । उपर्युक्त सभी बातें इस सिद्धांत की मुख्य विशेषताएं हैं ।


      15 कई प्रकार के उदाहरण दिए जा सकते हैं जहां पर कि कल्टीवेशन सिद्धांत को ध्यान में रखकर के बातें सच प्रतीत होती हैं उदाहरण के लिए किसी ऐसे जगह पर टीवी हिंसात्मकं कार्यक्रम बहुत बड़ी संख्या में दिखाया जाए, तो लोग के यही मानेंगे कि यह जगह बहुत ही खतरनाक है।

      A review of cultivation theory
      16 इस प्रकार कल्टीवेशन सिद्धांत की बातें अपने ढंग से कहां तक सत्य है , इसकी एक समीक्षा की जा सकती है। किंतु इस सिद्धांत की काफी आलोचना भी की गई है और उसके पीछे बहुत ही कारण भी रहे हैं । उदाहरण के लिए यह सिद्धांत में लोगों की अपने अनुभव के बारे में कुछ भी विचार नहीं किया गया है और यह मानकर चला गया है कि लोग जो कुछ भी देखते हैं, वे उसे सीधे मान लेते हैं । यह नहीं विचार किया गया है कि हर व्यक्ति की अपनी सोच विचार भी होते हैं और वह कुछ भी देखते सुनते हैं तो फिर उसे अपने ढंग से विश्लेषण करते हैं


      यह सिद्धांत सभी माध्यमों के संदर्भ में भी नहीं लागू किया जा सकता है क्योंकि मुख्य रूप से यह टीवी कार्यक्रम के संदर्भ में ही दिया गया था जहां पर की काल्पनिक कथाओं पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं । इस अध्ययन में सामाजिक स्थितियों के बारे में भी कोई विचार नहीं किया गया है जो कि खुद मीडिया में जो कुछ भी दिखाया जाता है , उसको काफी हद तक प्रभावित करता है।


      इसी प्रकार से विभिन्न प्रकार के जो परिवर्तनीय कारक हैं, उसको भी ध्यान नहीं रखा गया है। लोग लिंग, उम्र , शिक्षा आदि के आधर पर भिन्न-भिन्न तरह तरह के होते हैं और उसी अनुसार उन पर माध्यमों के कर्यक्रमों का प्रभाव भी अलग अलग तरीके से पड़ता है । किंतु इसके बारे में भी नहीं कुछ बताया गया है और सबसे मुख्य बात यह भी रही है कि यह अध्ययन अमेरिका जैसे देश में किया गया था और दूसरे देशों में नहीं किया गया था । इसलिए इसको सभी जगहों पर एक समान तरीके से सही मान लेना भी उचित नहीं होता है।


      फिर एक अन्य खास पहलू जिसके लिए इस सिद्धान्त की आलोचना की जाती है, वह यह है कि इस सिद्धांत में उन लोगों के बारे में विशेष स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है, जो कि लोग इस टीवी माध्यम से किस रूप में प्रभावित होते हैं और उनके सोच विचार का वह कौन सा था पहलू है जो कि प्रभावित होता है। इस तरीके से देखते हैं कि यह जो कल्टीवेशन सिद्धांत है, उसकी काफी आलोचना भी की गई है

      Cultivation theory in present scenario
      17 अब इसमें बताई गई बातें कहां तक सही है कहां तक गलत है और वर्तमान परिदृश्य में यह कहां तक प्रासंगिक है इसके बारे में अलग से चर्चा करने की आवश्यकता है क्योंकि एक काफी समय पहले यह शोध किया गया था। इसके बारे में आम लोगों की यह धारणा है कि पहले की तुलना में अब लोगों के पास विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को देखने का कहीं अधिक सुविधा एवं विकल्प मौजूद है और वे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को देखते हैं। यदि लंबे समय तक भी वे कार्यक्रमों को देखते हैं तो भी वे किस कार्यक्रम देखते हैं और किसलिए देखते है यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए पहले की तरह आज यह प्रभाव सत्य नही प्रतीत होते है।

      Conclusion
      18 फिलहाल कल्टीवेशन सिद्धांत अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में आज भी माना जाता है । यह मीडिया के प्रभाव और विशेष तौर पर टीवी माध्यमों के प्रभाव के संदर्भ में लोगों के बीच में उन पक्षों को सामने लाया जो उस दौर में दिख रहा था। इसने तमाम प्रकार के आगे की सोच के लिए भी यह एक आधार विकसित किया हैं। इस जिससे कल्टीवेशन सिद्धांत को हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में अभी भी देखते हैं।

      Tags: Cultivation theory of mediaGeorge Gerbner's theory
      ShareTweet
      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

      Related Posts

      No Content Available
      Next Post

      Eye Communication आंख संचार

      Use of communication in life

      • Areas of Photography फोटोग्राफी के विविध क्षेत्र

        0 shares
        Share 0 Tweet 0
      • Free Photo Websites शिक्षण सामग्री निर्माण में फोटोग्राफी का महत्व

        0 shares
        Share 0 Tweet 0
      • Photo Feature

        0 shares
        Share 0 Tweet 0
      • Lens and types

        0 shares
        Share 0 Tweet 0
      • RTI Act 2005 UGC NET/JRF Exam MCQ

        0 shares
        Share 0 Tweet 0
      • About us
      • Contact
      • Home

      No Result
      View All Result
      • Home
      • Media News & Updates
      • Media Study Material
        • Communication
        • Radio
        • Photography
        • TV
        • Communication Theory & Models
        • Print Media
        • Graphic Design
        • Film Studies & Production
        • PR & Advertisement
        • Development Communication
        • Media Law
      • UGC JRF NET
      • Digital Media Technology
      • Editorial
      • Students Corner