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      Home Media Study Material

      ISO in Camera डिजिटल कैमरा में आइसो

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Media Study Material, Photography
      0

                  ISO in internal lighting system in digital camera. This article discusses various aspects of ISO in digital camera.

      आईएसओ ISO

             आईएसओ कैमरे में प्रकाश के तीन नियत्रक में से एक है। कैमरा में शटर गति और एपर्चर अन्य दो महत्वपूर्ण नियंत्रक हैं।  इस लेख में कैमरा आईएसओ का फोटो पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चर्चा की गयी है। इसी के के साथ इसके उपयोग के बारे में भी जानकारी दी गयी है।

      इसे भी पढ़ें Shutter Speed

      आईएसओ ISO in camera

                  आईएसओ  संक्षिप्त नाम है। इसका पूरा नाम इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन अथवा ‘‘ अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन‘‘ है। हालांकि, कैमरा आईएसओ सीधे इस संगठन को संदर्भित नहीं करता है जो विभिन्न प्रौद्योगिकी और उत्पाद मानकों का निर्माण करता है। आईएसओे शुरू में केवल फिल्म की संवेदनशीलता को परिभाषित करने के लिए उपयोग किया जाता था, बाद में इसे डिजिटल कैमरा निर्माताओं द्वारा फिल्म कैमरा की तरह ही डिजिटल कैमरा में चमक के स्तर को बनाए रखने के उद्देश्य से वर्णित करने हेतु अपनाया गया।

                  जिस प्रकार से कैमरे में अपर्चर और शटर गति रिकॉर्ड का नियंत्रण करते हैं। उसी प्रकार से आईएसओ कैमरा में एक आन्तरिक सेटिंग है जो कि कैमरे द्वारा लिए जाने वाले फोटो को आन्तरिक रूप से प्रकाषित कराता है। यह कम प्रकाश में लिए जाने वाले फोटो को ब्राइट करता है। जैसे-जैसे हम कैमरा का आईएससो  नंबर बढ़ाते हैं, उसी के साथ फोटो का ब्राइटनेस या चमकीलापन बढ़ता जाता है। इस कारण से, आईएसओ  कम प्रकाश होने पर फोटो लेने में सहायक है। अधिक प्रकाश प्रकाश होने पर फिर इसे कम मान पर रखा जाता है।

                  जब आईएसओ का मान काफी अधिक किया जाता है तो उस समय जो फोटो ली जाती है उसमें ग्रेन या दाने अधिक दिखते हैं। इन्हे हम न्वायज या डिस्टर्बेन्स कहते हैं। इस प्रकार के फोटो बहुत अच्छे नही दिखते है। इसलिए आईएसओ के माध्यम से फोटो को चमकीला करना हर प्रकार से अच्छा नही माना जाता है। इसीलिए इसका उपयोग उस समय ही किया जाता है जब कैमरा शटर गति या अपर्चर के माध्यम से फोटो को ब्राइट करने में समर्थ नही होता है।

      सामान्य आईएसओ मान

               कैमरा में आईएसओ के इस्तेमाल करने के सन्दर्भ उसका मान दिया गया रहता है। प्रत्येक कैमरे में आईएसओ मान की एक अलग श्रेणी होती है । फोटो लेते समय इसका उपयोग किया जाता हैं। एक सामान्य ढंग से दिया जाने वाला आईएसओ घटते से बढ़ते क्रम में दिया गया है।

      आईएसओ 100 (निम्न आईएसओ)

      आईएसओ 200

      आईएसओ 400

      आईएसओ 800

      आईएसओ 1600

      आईएसओ 3200

      आईएसओ 6400 (उच्च आईएसओ)

                  आईएसओं के मान बढ़ने पर कैमरे द्वारा फोटो की ब्राइटनेस या चमक बढ़ती है। आईएसओ को दोगुना करते हैं, तो फोटो की चमक को दोगुना कर रहे होते हैं। 200 आईएसओ का मान स्वयं आईएसओ 100 के मान से दोगुना तेज होगा । इसी प्रकार से जब आईएसओ 400 पर होता है तो वह  फोटो आईएसओ 200 की तुलना में दोगुना चमक वाला हो जाता है। इस तरह कैमरे में जब आईएसओ का मान 800 कर दिया जाता है तो वह आईएसओ 100 की तुलना में आठ गुना और 200 आईएसओ की तुलना में चार गुना चमकीला हो जाता है। इस प्रकार से जैसे जैसे कैमरे के आइएसओ का मान बढ़ाते जाते है, उसी के अनुसार इसका मान बढ़ता जाता है।

      बेस आईएसओ Base ISO

             कैमरे में बेस आईएसओ वह मान होता है जो कि सबसे कम मान के तौर पर कैमरे में दिया जाता है। इस प्रकार  कैमरे पर सबसे कम मूल आईएसओ ‘‘बेस आईएसओ‘‘ या आधार आईएसओ है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेटिंग है, क्योंकि इस मान पर कैमरे द्वारा जो फोटो लिया जाता है,उसकी उच्चतम गुणवत्ता होती है, इसमें शोर की दृश्यता यथासंभव कम होता है। इस दौरान कैमरे के अपर्चर एवं शटर स्पीड से कैमरे में प्रकाष उचित मात्रा में होना चाहिए। वर्तमान में अधिकतर पुराने एवं नये कैमरे का बेस आईएसओ मान 100 दिया गया रहता है। इसी प्रकार से ऐसे भी कैमरे है जिसमें कि बेस मान 200 आईएसओ दिया गया रहता है। सही फोटो लेने  के लिए कैमरे में बेस मान पर बने रहना अच्छा होता है। किन्तु यह हमेशा कर पाना संभव नही होता है। जब बहुत कम रोशनी होती है तब उस समय आईएसओ का मान बढ़ा करके ही फोटो ले पाना संभव हो पाता है। कुछ कैमरों ने आईएसओ के लिए उच्च एवं निम्न मान मान बढ़ाए हैं जो उनकी मूल सीमा से आगे बढ़ सकते हैं।

      आईएसओ न्वायज ISO Noise

              भिन्न भिन्न आईएसओ पर फोटो लेने पर उनकी गुणवत्ता बदल जाती है । फोटो द्वारा उसे स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।  विभिन्न आईएसओ मूल्यों पर फोटो ले करके उसकी तुलना करें तो स्पष्ट होता है कि जैसे जैसे आईएसओ का मान बढ़ता है, उसीे के साथ उसमें न्वायज या फिर दाने की मात्रा बढ़ती जाती है। इस प्रकार से हम देखते है कि फोटो के न्वायज का स्तर भिन्न भिन्न मान के आईएसओ में भिन्न भिन्न होता है। इसे देखने से स्पष्ट है कि अधिक मान वाले आईएसओ अधिक न्वायज उत्पन्न करता है । अतः फोटोग्राफी के दौरान आईएसओ का मान अधिक करने से बचना चाहिए। यह अधिक मान तभी करना चाहिए जबकि किसी अन्य प्रकार का विकल्प बिल्कुल नही उपलब्ध हो।

                 आवश्यकता के अनुसार कैमरे का आईएसओ बदलना पड़ता है। यहाॅ पर यह बता दे कि आईएसओ बदलना भिन्न भिन्न कैमरे में भिन्न होता है। यहाॅ पर आईएसओ बदलने के कुछ सामान्य तरीके में सबसे पहले ऐसे माॅड में जाते है जिसमें कि शुरू करने के लिए उचित मोड दर्ज करते हैं जिससे कि आईएसओ का मान चयन किया जा सके। इसके लिए आटो मोड से बाहर जा करके मैनुअल, शटर प्राथमिकता, एपर्चर प्राथमिकता, या प्रोग्राम इन चारों में से किसी भी मोड पर जाते है। सामान्यतौर पर  अपर्चर प्राथमिकता या मैनुअल को प्राथमिकता दिया जाता है।

      इसे भी पढ़ें Aperture

          डीएसएलआर और मिररलेस कैमरों में मेन्यू में जा करके  आईएसओ सेक्शन खोलते है और उसमें वाॅॅंछित मान का चयन करते है या फिर इसे स्वतः पर सेट करते हैं। बहुत से कैमरों में ‘‘आईएसओ‘‘ बटन होता है। आईएसओ सेटिंग बदलने के लिए रिंग में से किसी एक को घुमाते समय इसे दबाते है। यदि आईएसओ  लेबल वाला बटन दिखाई नहीं देता है, तब भी यह संभव है कि कैमरा इस कार्य को करने के लिए प्रोग्राम करने देगा।

      इसे भी पढ़ें Benefits of Digital Photo डिजिटल फोटो के लाभ

            इसी प्रकार  कैमरों में एक समर्पित रिंग या पहिया हो सकता है जिसमें पहले से ही विभिन्न आईएसओ सेटिंग्स मार्क किये गये हैं। इससे चीजें और भी आसान हो जाती हैं। हालांकि, अपनी आईएसओ सेटिंग को जल्दी से बदलने के तरीके से बहुत परिचित होने के लायक है,कैमरा मैनुअल में इसके बारे में जानकारी दी गयी रहती है।

      सही कैमरा आईएसओ का उपयोग Use of correct ISO in camera

               कैमरे में सही आईएसओ मान का जयंत बहुत ही महत्वपूर्ण है। आईएसओ के बारे में जानना ही महत्वपूर्ण नही है, इसे सही प्रकार से कैसे इस्तमाल करते है इसे करने की कुशलता भी होनी चाहिए। यह देखा जाता है कि फोटोग्राफर आईएसओ तो समझते हैं, लेकिन वे यह नहीं हैं  जानते है कि वास्तव में कहाॅ पर  कौन सा आईएसओ स्तर चुनना है। विभिन्न परिस्थितियाँ विभिन्न आईएसओ मान की आवश्यकता होती है। आगे इसके बारे में जानकारी दी गयी है।

      कम आईएसओ का उपयोग – Use of small ISO in camera

      सामान्य तौर पर कैमरा इस्तेमाल करने के दौरान सामान्य स्थिति में कैमरे के न्यूनतम आईएसओ का इस्तेमाल करना सही होता है। यह बेस आईएसओ होता है। इसका मान प्रायः 100 या फिर 200 पर स्थिर किया गया रहता है। इस मान पर फोटो में न्यूनतम न्वायज होता है। इसका मान बढ़ने के साथ ही न्वायज बढ़ने लगता है। कम प्रकाश में भी, कम आईएसओ का उपयोग करके फोटो लिया जा सकता है। किन्तु इस स्थिति में लम्बा शटर स्पीड का इस्तेमाल किया जाता है। गतिशील वस्तु का फोटो लेने के दौरान तेज शटर ही सही होता है , किन्तु ऐसा होने पर पिक्चर में ब्लर उत्पन्न हो जाता है। इससे बचने के लिए कैमरा शेक का इस्तेमाल किया जाता है।

      कैमरा में उच्च आईएसओ का उपयोग – Use of higher ISO in camera

      बहुत कम प्रकाश होने पर उच्च आईएसओ की आवश्यकता होगी। इसका कारण यह है कि यदि कैमरे का शटर स्पीड बढ़ा दिया जाये तो कैमरा के हिलने से अक्सर मोशन ब्लर की आशंका होती है। अतः उससे बचने के लिए उच्च आईएसओ करते है। इस स्थिति में एक ब्राइट तस्वीर मिलती है। कम आईएसओ पर धुंधली तस्वीर मिलती है। यदि किसी फोटो को 800 एवं 3200 आइसो पर भिन्न भिन्न चमक की तस्वीर बनती है।

                यदि किसी सेकंड के 1/2000वें शटर स्पीड और 800 आइसो मान का इस्तेमाल किया जाये तो उड़ते पक्षी या ऐसी किसी अन्य गतिमान वस्तु की स्थिर पिक्चर प्राप्त होगी। किन्तु जब  इसी को फोटो को 100 आइएसओ पर  लिया जाये तो फिर ब्राइट फोटो के लिए 1/250 सेकेंड  शटर स्पीड की आवश्यकता होती। किन्तु उस फोटो में बहुत सारे अवांछित मोशन ब्लर होते, क्योंकि पक्षी या वस्तु तेजी से बढ़ रही है।

                इस प्रकार से हम कह सकते है कैमरा का आईएसओ तब बढ़ाना चाहिए जब कि कैमरे के लिए सही फोटो लेने के लिए किसी अन्य तरीके से प्रकाश कैप्चर करने के लिए व्यवस्था न हो। इसी प्रकार से जब कैमरा को बगैर फ्लैश के फोटो लिया जा रहा है तो फिर उस स्थिति में आईएसओ को एक उच्च संख्या में सेट किया जाता है जिससे कि पिक्चर में ब्लर न हो।

                अधिकांश कैमरों में, ऑटो आईएसओ के लिए भी एक सेटिंग होती है, जो कम रोशनी वाले वातावरण में बढ़िया काम करती है। इस सेटिंग की खूबी यह है कि इसमें अधिकतम आईएसओ फिक्स रहता हैं जिसका हम उपयोग करना चाहते हैं, ताकि कैमरा उस सीमा को पार न करे। अगर किसी फोटो में न्वायज की मात्रा को सीमित करना है तो अधिकतम आईएसओ 800, 1600, या 3200 जैसी किसी मान पर सेट किया जा सकता है। किन्तु इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि कैमरा इन आईएसओ तक पहुंचने पर उत्तरोत्तर लंबी शटर गति का होता जायेगा और जो फोटो को धुंधला करती हैं।

      फोटो में न्वायज कम करना और छवि गुणवत्ता को बढ़ाना

                उच्च-गुणवत्ता वाली छवियों को कैप्चर करने का एक अच्छा तरीका बेस आईएसओ 100 का उपयोग करना होता है। किन्तु बात हमेशा पूरी तरह से सत्य नही है। जब कोई फोटो अधेरे में लेना रहता है तो उस समय उच्च  आईएसओ का उपयोग करना अनिवार्य हो जाता है। इसलिए बेस आईएसओ का उपयोग तभी करना चाहिए जब ऐसा करने के लिए पर्याप्त रोशनी हो। एक अंधेरे वातावरण में आईएसओ 100 आईएसओ का इस्तेमाल करने पर फोटो अधेरा दिखेगा। इस स्थिति में बहुत तेज शटर का इस्तेमाल किया जा रहा है तो फोटो में बहुत अधिक अंधेरे में आ जाएंगी।

      अपनी छवि गुणवत्ता को अधिकतम करने के लिए निम्न चरणों का पालन करना होता है –

      1.सबसे पहले  अपर्चर सेटिंग किया जाता है जिससे कि फोटो में वांछित क्षेत्र की गहराई प्रदान करेगी। अपर्चर की संख्या कम होने पर अर्थात् बड़ा छिद्र होने पर पिक्चर में कम गहराई उत्पन्न होती है एवं अपर्चर संख्या अधिक होने पर अर्थात् छोटे छिद्र  होने पर पिक्चर में अधिक गहराई उत्पन्न होती है।

      2. अपने आईएसओ को इसके मूल मूल्य पर सेट करें, और अपनी शटर गति को उस सेटिंग में रखें जो उचित एक्सपोजर प्रदान करे।

      3. यदि  फोटो धुँधला है, तो आइएसओ के मान को  धीरे धीरे बढ़ाते है और इसे तब तक बढ़ाते है जब तक कि धुंधलापन गायब हन हो जाये।

      4. यदि आईएसओ का मान बहुत अधिक हो रहा है तो फिर उसमें न्वायज की आषंका बढ़ जाती है। इसलिए यदि अपर्चर को बढ़ा करके पिक्चर की गहराई कुछ कम कर देते है। आईएसओ के न्वायज को कम करते है।

      इन चरणों का पालन करते हैं, तो इस स्थिति में अधिकतम छवि गुणवत्ता वाली फोटो प्राप्त करेंगे। न्वायज, गति धुंधलापन और क्षेत्र की गहराई के बीच आदर्श संतुलन पाएंगे।

      सामान्य आईएसओ के बारे मे मुख्य बातें

      डिजिटल सेंसर में केवल एक ही संवेदनशीलता होती है, चाहे आईएसओ का मान कुछ भी हो। यह कहना अधिक सटीक है कि आईएसओ  कैमरे को यह बताने के लिए एक मैपिंग की तरह है कि किसी विशेष इनपुट एक्सपोजर को देखते हुए आउटपुट फोटो कितना उज्ज्वल होना चाहिए।

              आइएसओ एक्सपोजर का हिस्सा नहीं है। शटर स्पीड और अपर्चर भौतिक रूप से अधिक प्रकाश कैप्चर करके आपकी तस्वीर को उज्ज्वल करते हैं। जबकि आईएसओ ऐसा नहीं करता है। यह अनिवार्य रूप से कैमरे द्वारा पहले से ली गई तस्वीर को उज्ज्वल करता है। इसलिए इसे एक्सपोजर का एक घटक नहीं माना जाता हैं।

                    किसी फोटो की ब्राइटनेस को कम्प्यूटर पर सम्पादन के समय ब्राइटनेस बढ़ाने की तुलना में कैमरे में अधिक आईएसओ मान रख करके फोटो लेना कहीं अधिक सही है क्या कि कम्प्यूटर में फोटो को ब्राइट करने में जो न्वायज उत्पन्न होती है वह अधिक आईएसओ से उत्पन्न न्वायज की तुलना में अधिक होती है। इसे हम दूसरे शब्दों में इस प्रकार से कह सकते है कि यदि किसी पिक्चर की ब्राइटनेस को बढ़ाना है तो फिर उसका आइएसओ बढ़ा देना चाहिए बजाय इसके कि कम्प्यूटर में उसकी ब्राइटने को बढ़ाया जाये।

             आईएसओ फोटो की चमक को बढ़ाता या घटाता है, लेकिन इसी के साथ वह फोटो पर न्वायज भी उत्पन्न करता है । यह दाने के रूप में होते है। कम आईएसओ होने पर यह कम और अधिक आईएसओ होने पर ये दाने अधिक होता है। इसी प्रकार से इसकी डायनामिक रेंज कम आइएसओ पर अधिक एवं अधिक आईएस ओ पर कम होती है।

           कम रोशनी की स्थिति में शूटिंग करते समय शटर गति आमतौर पर कम रखी जाती है। शटर गति को कम रखने पर कैमरे में प्रकाष देर अवधि तक जाता है और इस दौरान यदि कैमरा स्थिर नही रखा गया तो फिर कैमरे में कंपन की आशंका होती है । इससे फोटो  धुंधली हो जाती है। इससे बचने के लिए, आईएसओ सेटिंग को एक उच्च मान तक बढ़ाना चाहिए, जैसे कि आईएसओ 800 या 1600 आदि मान पर रखते है।

      इस प्रकार कैमरे में कम प्रकाश के होने पर आइसो का सही मान रख कर के अच्छा पिक्चर लेते हैं

      Tags: benefits of digital photographycommunication skillsPhoto journalism and ethicsradio documentary
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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