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      Home Media Study Material

      Characterization कहानी, नाटक, उपन्यास में चरित्र चित्रण

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Media Study Material, Radio
      0

      Characterization describes about various characters in the story, drama and novel. This article discusses various aspects of characterization

      कहानी, नाटक, उपन्यास में चरित्र चित्रण

                जब कोई लेखक कहानी, उपन्यास एवं नाटक लिखता है तो उसमें विविध घटनाएं विविध घटनाएं भी शामिल होती हैं। इन सभी घटनाओं में एक या अधिक चरित्र शामिल होते हैं। ये पात्र भी विविध स्वभाव के होते हैं। ये पात्र कैसे हैंए उनका स्वभाव कैसा हैए इसकी जानकारी उनके चरित्र वर्णन द्वारा होता है। इस चरित्र निर्माण एवं प्रस्तुत की जो प्रक्रिया होती है, वह चरित्र चित्रण कहलाता है। इन घटनाओं में ये पात्र कई प्रकार के होते हैं। कहानी के अनुसार ही उनका खास प्रकार का चरित्र होता है। कहानीए उपन्यास आदि के लेखक द्वारा इन चरित्रों का निर्माण जितना ही रचनात्मक ढंग से किया जाता हैए कहानी में उतनी ही अधिक रोचकता होती है।

      इसे भी पढ़ें Radio drama

               इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लेखक द्वारा कहानी में विविध प्रकार के कैरेक्टर निर्माण या वर्णन की प्रक्रिया कैरक्टराइजेशन कहलाती है। इस वर्णन के अंतर्गत यह बताया जाता है कि कहानी में वर्णित पात्र कौन है, कहाॅं से हैं, उसके गुण क्या हैं। इन सबके बारे में सारी बातों को ऑडियंस को बताया जाता है। इस प्रकार की प्रक्रिया का वर्णन अपने कथाओं में तो की ही जाती है। इसी प्रकार से शिक्षाए स्वास्थ्य कथाओं में भी किया जा सकता है। यदि वास्तविक कैरेक्टर होता है या यदि बायोपिक तैयार किया जा रहा हैए तो वहाॅं पर भी इसे बताया जाता है। 

      कैरेक्टर के प्रकार . कैरक्टराइजेशन के अंतर्गत किसी कहानी में वर्णित पात्रों के चरित्रों को दर्षकों समक्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया होती है। इसके अंतर्गत कैरेक्टर को उसके संवादए ऐक्शन एवं वर्णन द्वारा  प्रस्तुत करते हैंए किंतु जब वह विजुअल माध्यम होता हैए तो वहाॅं पर विभिन्न प्रकार के उसके दृश्य और अन्य प्रकार के सेट अप के माध्यम से भी कैरक्टराइजेशन करते हैं। केरैक्टराइजेषन को कई भागों में विभाजित वर्गीकृत किया गया है। इसके अंतर्गत डायरेक्ट कैरक्टराइजेशन, इनडायरेक्ट कैरक्टराइजेशन और थर्ड पर्सन कैरक्टराइजेशन तौर पर किया जा सकता है।

      प्रत्यक्ष चरित्र चित्रण  Direct Characterization

      अप्रत्यक्ष चरित्र चित्रण Indirect Characterization

      तृतीय व्यक्ति चित्रण Third person Characterization

              प्रत्यक्ष चरित्र चित्रण एवं अप्रत्यक्ष चरित्र चित्रण हमेशा साथ.साथ उपयोग किए जाते हैं और वे एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं। इसी के साथ एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि इससे अपने प्रस्तुतीकरण का अपना एक अलग प्रकार से महत्व है। इसको सही प्रकार से ध्यान देकर के प्रस्तुत किया जाता है।

      प्रत्यक्ष कैरक्टराइजेशन . इसके अंतर्गत कोई कैरेक्टर देखने एसुनने में कैसा लगता है और उसका मतलब क्या हैए जिससे कि उसके बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती हैए उसे डायरेक्ट कैरेक्टराइजेषन कहते हैं।

      अप्रत्यक्ष चरित्र चित्रण  ण् अप्रत्यक्ष कर कैरक्टराइजेशन के अंतर्गत व्यक्ति के विचारए कार्य और सोच विचार आदि व्यवहार कैसे हैंए उससे उसके द्वारा उसके चरित्र के बारे में जानकारी मिलती है। तृतीय व्यक्ति चरित्र चित्रण . इसके अन्तर्गत किसी व्यक्ति या फिर स्वयं लेखक द्वारा कहानी के पात्रों के चरित्रों के बारे में वर्णन किया जाता है।

      चरित्र चित्रण का तरीका Methods of Characterization

      किसी कहानी का लेखक अपनी रचना में विभिन्न पात्रों के चरित्र चित्रण के लिए विविध तरीको को अपनाता है। यहाॅ पर चरित्र चित्रण के लिए लेखक द्वारा अपनाये जाने वाले तरीकों के बारे में चर्चा की गयी है।

      बातचीत – Speech

      कोई कैरेक्टर क्या कहता हैए कैसे कहता हैए उसके कहने का तौर तरीका क्या है और उसमें क्या बातें कहता हैए यह उसके कैरेक्टर को प्रस्तुत करता है। इसके माध्यम से दर्शक या श्रोता को उसके बारे में जानकारी मिलती है।

      थॉट्स/सोच

      कोई करैक्टर क्या सोचता है और किन बातों में विश्वास रखता हैए उसके सोचने और विश्वास के तौर तरीका भी उस व्यक्ति के बारे में अधिक जानकारी देते हैं। अतः उसके सोचने एवं विचारने के तौर तरीके के माध्यम से उसके चरित्र को सामने ले आते है।

      दूसरों पर प्रभाव

      जब कैरेक्टर किसी दूसरे पर संवाद करता हैए बातचीत करता हैए कार्य करता है तो उस दौरान वह खुद कैसे प्रभावित होता है और दूसरे को कैसे प्रभावित करता हैए यह कैरेक्टर के बारे में बहुत जानकारी देता है। लेखक द्वारा इस पक्ष से भी उस कैरेक्टर के बारे में जानकारी प्रस्तुत किया जाता है।

      कार्य

      कोई कैरेक्टर क्या कार्य करता है, कैसे करता है, किस किस तरह से करता है, यह सारे पहलू भी उसके चरित्र को सामने प्रस्तुत करते हैं। एक ही कार्य को भिन्न भिन्न कैरेक्टर के लोगों को भिन्न भिन्न प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है।

      लुक या रूप

      कोई कैरेक्टर विभिन्न पहलुओं से कैसे दिखता हैए यह भी उसके चरित्र को सामने प्रस्तुत करता है। उसके वेशभूषा, दृश्य उसके जहाॅं कहीं भी रहता है, वहाॅं के जो परिवेश है, उसमें उसे किस तरह से तैयार किया है या उसे तो सुनना पसंद जो कुछ भी दृश्य रूप में प्रस्तुत होता हैए वह एक तरह से कैरेक्टर के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है। इन बातों के माध्यम से पात्रों के बारे में काफीं जानकारी प्राप्त की जा सकती है । किंतु जब हम उसके बारे में कहीं अधिक जानना चाहते हैं या उसके पक्षों को भी जानना चाहते हैं, उस स्थिति में फिर हम और भी तरीके अपना सकते है। इसके माध्यम से उसके बारे में जानकारी मिलती है।

      स्क्रीन लेखन में चरित्र चित्रण

              स्क्रीन लेखन में कैरक्टराइजेशन एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू होता हैं। किसी कैरेक्टर का वर्णन विभिन्न तरीके से किया जा सकता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू कैरेक्टर का वर्णन करना होता है । इस फॉर्मेट में जब कभी भी कोई नया कैरेक्टर प्रस्तुत किया जाता हैए तो उसको अपने नाम के साथ ही उसके बारे में होते पर अपीयरेंस के बारे में भी थोड़ी सी चर्चा की जाती है। उसके बारे में परिचयात्मक  ढंग से कुछ बातें बता दी जाती हैं। लेखक के आंतरिक सोचए तौर.तरीके को, अनुभव को स्क्रीन प्ले में लिखा जाता है। ऐक्शन और डायलॉग कैरेक्टर के बारे में काफी जानकारी देते हैं। कोई करैक्टर क्रोध में है तो सिर्फ यह नहीं कहा जा सकता है कि वह क्रोध में है। उसके साथ ही वह क्या कह रहा हैए कैसे कह रहा है, इसका भी वर्णन किया जाता है।

                   कैरेक्टर को विभिन्न तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है जो अभी तक जो तौर.तरीके बताए गए हैंए वह कैरेक्टर को बारे में जानकारी देते हैं। लेकिन जब कैरेक्टर को किसी खास अंदाज में प्रस्तुत करना रहता है तो वहां पर फिर लेखक अपना तरीका अपनाता है। यदि हम किसी को मजबूर कैरेक्टर के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो फिर हम घटनाक्रमों के संदर्भ में इस तरीके से संवाद से लेकर के सब कुछ प्रस्तुत करते हैं जिससे कैरेक्टर एक मजबूत है चरित्र के रूप में उभरकर सामने आता है। इसी प्रकार से कमजोर के रूप में प्रस्तुत करते हैं तो उसके कार्यए वेशभूषा. व्यवहार आदि के माध्यम से उसे प्रस्तुत करते है। कैरेक्टर को भिन्न भिन्न स्वभाव या अजीबोगरीब स्वभाव को दर्षाने के लिए उसके भिन्न भिन्न प्रकार के आइडिया अपनाते है।

                  इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि कहानीए उपन्यास आदि में कैरेक्टराइजेशन का यह बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण होता है। इसमें उन सभी पहलूओं को विस्तार से वर्णन करते हैं जिसकोे मिला करके कोई कैरेक्टर का निर्माण करता है। इसमें ऐक्शनए डायलॉग आदि मिला करके प्रस्तुत किया जाता है। कैरक्टराइजेशन स्टोरी टेलिंग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। यह सही ढंग से इसको प्रस्तुत करने से कहानी का स्टोरी टेलिंग का प्रभाव काफी रोचक हो जाता है। इसके लिए सही ढंग से वर्णन करना जरूरी है। इस प्रकार किसी कहानी नाटक उपन्यास में विभिन्न प्रकार के पात्रों को वर्णित करते है।

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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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