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      Home Media Study Material TV

      TV news बदल गया टीवी माध्यम पर समाचारों के प्रस्तुति का अंदाज

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in TV
      0
      DD News reader in earlier time, Courtesy DD

      TV news is an important program of TV media. This article describes changing pattern of presentation of news on private TV news channels.

      टीवी पर समाचारों के प्रस्तुति का बदलता अंदाज TV news trend

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      पिछली सदी के आखिरी दशक में भारत में जो निजी समाचार एवं अन्य टीवी चैनलों का आगमन आरम्भ हुआ, वह तीन दशक से ऊपर के समय में बहुत ही विस्तृत स्वरूप एवं आकार धारण कर लिया है। आम लोगों के बहुत बडेे़ वर्ग द्वारा ऐसे चैनलों का स्वागत किया गया, क्योकि एक लम्बे समय से लोगों के लिए सरकार नियंत्रित दूरदर्शन ही एकमात्र विकल्प होता था। भारत में एक लम्बे समय तक समाचार एवं अन्य प्रकार के टीवी कार्यक्रमों में उसी का दबदबा रहा था। दूरदर्शन के कार्यक्रमों की प्रस्तुति का अपना एक खास प्रकार का तौर तरीका था। निजी टीवी चैनलों के रूप में लोगों को एक नया माध्यम मिला। धीरे धीरे बड़ी संख्या में टीवी समाचार चैनल प्रसारित किय जाने लगे। समय के साथ अब उनके प्रस्तुति का तौर तरीका भी काफी बदलने लगा है। यहॉं पर आगे समाचारों के प्रस्तुति के तौर तरीके में किये जा रहे बदलाव के बारे में चर्चा की गयी है।
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      पहले किसी टीवी समाचार कार्यक्रम के आरम्भ एवं अन्त में विज्ञापन दिये जाते थे । प्राइवेट टीवी समाचार चैनल पर प्रसारण के बीच में कुछ समय के लिए विज्ञापन दिए जाते थे। फिर दोनों आपस में जबरदस्त ढंग से गुॅथ दिये जाने लगे। किन्तु अब टीवी चैनलों में व्यापारिक पक्ष का बहुत जबरदस्त समावेश हो गया है । चैनलों पर समाचार का स्थान विज्ञापन एवं विज्ञापन का स्थान समाचार लेता जा रहा है। विज्ञापनों के लिए समाचार से अधिक समय है । वहीं पर टीवी समाचार TV news अब एक विज्ञापन कम्पेन का रूप धारण कर लेते हैं। किसी एक समाचार को वे पूरे समय एक कम्पेन के तौर पर लगातार दिखाते रहते हैं, मानो उस समय दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण समाचार वही है। इसके कार्यक्रम कुछ समाचारों पर केन्द्रित रहते हैं। टीवी चैनल पर समाचारों की प्रस्तुति ऐजेंडे के तौर पर दिखते हैं। समाचारों के विषय में किसी प्रकार का कोई सन्तुलन नही रहता है। वर्तमान में जनमानस के बीच बड़ी संख्या में विविध प्रकार के विषय बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं। इसके बारे में चर्चा करने एवं समाचार देने की आवश्यकता है । सरकार द्वारा भी कई बार यह बात कही गयी है कि वे जनता से जुड़े विषयों एवं कार्यक्रमों के बारे में चर्चा करें। किन्तु निजी समाचार चैनलों द्वारा कभी भी किसी प्रकार के विकास कार्यक्रमों की भूल करके भी चर्चा नही की जा सकती है।


      कई चैनलों द्वारा राजनीतिक दलों के पक्ष एवं विपक्ष के तौर पर समाचार प्रस्तुत किया जाने लगे हैं। किसी प्रकार की बाध्यता न होने के बावजूद अधिकतर टीवी चैनल राजनीतिक समाचारों को ही वरियता देते हैं। अन्य प्रकार के समाचारों को बहुत कम समय दिया जाता है। टीवी समाचार कुछ ही विषयों पर ही केन्द्रित रहते हैं। टीवी चैनल पर समाचारों की प्रस्तुति ऐजेंडे के तौर पर दिखते हैं। विभिन्न विषयों के उस पहलू को काफी जोरदार ढंग से प्रस्तुत किया जाता है जो कि उनकी नकारात्मक छवि को प्रस्तुत करते है। पहले समाचारों में तथ्य अधिक होते थे। अब तथ्यों के साथ ही रिपोर्टर के विचार काफी अधिक मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं।

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      बहस वाले कार्यक्रम टीवी समाचारTV News कार्यक्रम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग हो गये हैं। किन्तु इस प्रकार की बहस कार्यक्रम को अत्यधिक विवादपूर्ण बना करके प्रस्तुत किया जाता है। यदि बहस में भाग लेने वाले कोई व्यक्ति शान्तिपूर्वक उसमें भाग लेना चाहता है, तो उसके साथ इस तरह से व्यवहार किया जाता है जिससे कि वह उत्तेजित और आक्रोशित हो करके बोले और एक कलह एवं विवादपूर्ण कार्यक्रम बन जाये। पहले कार्यक्रम में भाग लेने वाले व्यक्तियों के बीच विवाद होते थे। अब एंकर स्वयं विवाद करता है। पहले महत्वपूर्ण व्यक्तियों के विवादपूर्ण बातों को ले करके चर्चा की जाती थी। किन्तु अब समाज में किसी भी व्यक्ति द्वारा कुछ विवादपूर्ण बात कह देने पर उसे ले करके बहस एवं विवाद आरम्भ हो जाता है।


      वर्तमान में टीवी समाचारों TV news में समाचार से ज्यादा विचारों की अभिव्यक्ति की जाने लगी है। टीवी एंकर अपने विचारों का अधिक से अधिक मात्रा में प्रस्तुत करने का प्रयास करते है। बहुत ही विवादास्पद विषयों को ले करके उसके बारे में लगातार चर्चा करते हैं। टीवी समाचार छोटे छोटे नकारात्मक समाचारों को काफी अधिक वरियता दी जाती है। टीवी चैनलों द्वारा विविध प्रकार के कार्यक्रमों का अब अधिक से अधिक सीधा प्रसारण किया जाने लगा है। वर्तमान में तकनीक की सुविधा के कारण किसी भी प्रकार के कार्यक्रम को सजीव प्रसारित किया जा सकता है।


      टीवी माध्यमों पर समाचारों बहुत तेज गति से प्रस्तुत किया जाता है। हम जानते हैं कि टीवी समाचारों पढ़ने की एक निश्चित गति होती है। यह इस प्रकार से होना चाहिए जिसे कि लोग बहुत ही सहज एवं आसानी के साथ समझ सके। किन्तु इन्हें इतनी तेजी से प्रस्तुत किया जाता है जिससे कि लोगों को उसे सुनने एवं समझने में दिक्कतें होती है। समाचारों के प्रस्तुति के तौर तरीके से लगता है कि मानो कोई ऑधी तूफान आ गया है और दर्शकको उसे समझने के लिए बहुत ही ध्यान दे करके सुनना पड़ता है।

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      टीवी समाचार चैनल पर सुनने वाली बातों को अब टेक्स्ट के साथ प्रस्तुत किया जाता है, जिससे कि जो भी समाचार को देख रहा है, वह उसे पढ़ भी सके। इस प्रकार टीवी पर अब सिर्फ दृश्य ही नही, वरन् लिखित सामग्री भी प्रस्तुत की जाती है। टीवी पर लोगों को अपनी तरफ खींचने के लिए एवं बनाये रखने के लिए बहुत ही सनसनीखेज ढंग से एवं लम्बे समय तक इन्ट्रो एवं टीजर देते रहते हैं। तकनीकी की सुविधा हो जाने के कारण से कभी भी एवं कहीं से भी लाइव समाचार दिया जा सकता है ।

      अब टीवी समाचारों TV news को नाटकीय रूप में दिखाया जाता है। समाचार घटनाएं ड्रामे के रूप में दिखती हैं। शैक्षणिक जगत में समाचार एवं इससे जुड़े कार्यक्रमों को नान फिक्शनल कार्यक्रम के तौर पर दिखाया बताया जाता है। किन्तु वर्तमान में टीवी समाचार के साथ नाटकीय तत्वों का अधिकतम समावेश होता है। समाचार एवं समाचार शीर्षक को तुकबंदी करके सुनाया जाता है । इन्हे श्रोताओं को चिल्ला करके एक उत्पाद के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है। समाचार में बैकग्राउंड संगीत के अतिरिक्त विविध प्रकार के ध्वनि एवं प्रकाश प्रभाव डालना तो बहुत ही आम बात हो गयी है । इसी के साथ, इसमें एंकर की प्रस्तुति का ढंग कम नाटकीय नही होता है। वही पर, ये समाचार कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने वाले फील्ड रिपोर्टरों को भी एक कलाकार के तौर पर ही प्रस्तुत करते हैं। यदि इन कार्यक्रमों में कोई विषय विशेषज्ञ, व्यक्ति आदि जुड़े हुए हैं तो फिर उन्हे भी एक्टिंग के रूप में ही बातों को प्रस्तुत करने का दबाव रहता है। अब ये चैनल किसी भी समाचार को इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं, मानों वह बहुत ही आवष्यक समाचार हो।

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      टीवी समाचारों TV news को देखना हमारी जरूरत तो है। किन्तु नये दर्शकों के जुड़ने के साथ अब बहुत से दर्शक इससे दूर भी होते जा रहे है। टीवी पर हर समय समाचार देखने वाले अलग अलग दर्शक हैं। किन्तु ह क्या कर रही होर व्यक्ति को हमेशा या किसी भी समय समाचार देखने से ज्यादा उससे बचने की आवश्यकता है। इसे अनुशासित ढंग से एक निश्चित समय पर देखना बेहतर है।

      पहले लगातार समाचार प्रसारित करने वाले टीवी चैनल नहीं होते थे । किंतु बाद में इसे लगातार प्रस्तुत किया जाने लगा । यह कार्य व्यवसाय के रूप में किया जाने लगा । विज्ञापन पाने के लिए अधिक से अधिक दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए टीवी समाचार चैनल हर तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन टीवी पर लगातार एवं बार बार किसी भी समय समाचार देखना स्वयं को मानसिक तौर पर डिस्टर्ब करना एवं समय बर्बाद करना है। ऐसे समाचारों को बार बार देखने की आवश्यकता भी नही होती है। अधिकतर समाचारों में ऐसा कुछ भी नही रहता है कि इसे बार बार या फिर किसी भी समय देखने की आवश्यकता हो। जिस प्रकार से हम जीवन के अन्य सभी क्रिया कलापों को एक समयबद्ध ढंग से करते हैं, उसी प्रकार से टीवी चैनल पर समाचार आदि को देखने के सम्बन्ध में भी आवश्यक है कि स्वयं अपने एवं घर, परिवार, समाज तथा राष्ट्र के हित में एक निश्चित समय एवं अवधि तक अनुशासित ढंग से देखा जाये।

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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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