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      Home Media Study Material Graphic Design

      Flow in page design डिजाइन में प्रवाह

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      2 years ago
      in Graphic Design
      0

      Flow in page design is very important to give any message in an effective manner. This article describes important aspects of flow in page design

      Flow in page design पेज डिजाइन में प्रवाह

      Design flow

      Flow in design

      Photo Google


      डिजाइन प्रवाह के अंतर्गत किसी पेज पर प्रस्तुत किए गए सामग्री में सभी तत्वों को इस ढंग से रखा जाता है जिससे कि दर्शक को यह निर्देश या मदद मिल सके कि पेज में किस बिंदु पर सबसे पहले नजर डालनी है और फिर उसके बाद कहां पर देखना है। इसके अभाव में कोई भी पेज, भले ही वह प्रिंट माध्यम अथवा अन्य माध्यम पर ही क्यों न हो, वह दर्शक हो यह नहीं बता पाता है कि वह सबसे पहले क्या देखें या कहां से देखना शुरू करें और फिर उसके बाद किधर देखें।

      इसका परिणाम यह होता है कि हर दर्शक उस दृश्य को अपने अपने ढंग से देखते हुए जो कुछ भी समय देता है, उसमें वह अलग-अलग प्रकार की सामग्री को देखता है। इसका कारण यही है कि इन पेज पर विजुअल प्रवाह को ध्यान में रखकर के डिजाइन नहीं की गई रहती है।


      डिजाइन प्रवाह का महत्व Importance of page design flow

      डिजाइन प्रवाह में हमारी आंख किसी भी प्रकार के दृश्य संयोजन में किस प्रकार से घूमती है, इसका निर्धारण होता है। किसी भी पेज को दर्शक अपने ढंग से देखता है। किंतु इसी के साथ ही यह भी सच है कि एक सफल डिजाइनर दर्शक की आंख को अपने ढंग से इस प्रकार से निर्देशित करने की प्रयास करता है, जिससे कि वह पेज पर वांछित क्रम में ही सामग्री को देखें । इसके लिए वह डिजाइन के मूलभूत सिद्धांतों का भी इस्तेमाल करता है ।

      https://www.cdgi.com/2020/12/design-principle-no-3-design-flow/

      इस सिद्धांतों का इस्तेमाल करके किसी डिजाइन में वह संदेश को एक सही रूप प्रदान करता है और इसमें आवश्यकतानुसार विजुअल का इस्तेमाल करके लिखित विषय वस्तु को पढ़ने के लिए पाठक को आमंत्रित किया जाता है।

      डिजाइन प्रवाह को एक कहानी का दृष्टांत देकर के स्पष्ट किया जा सकता है। जब भी कोई कहानी कही जाती है तो वह कई भागों में विभाजित होती है और घटनाओं के होने के क्रम के अनुसार उसे बताया जाता है । इस प्रकार से उसका पहला दृश्य दूसरे दृश्य से पहले आता है। इसी प्रकार से, दूसरा दृश्य , तीसरे दृश्य के पहले आता है।

      यदि कहानी के इस क्रम में बदलाव कर दिया जाए तो वही सूचनाओं को देने के बावजूद उसका एक अलग ढंग से पाठक पर प्रभाव पड़ता है। भले ही उसमें आवश्यकतानुसार फ्लैशबैक का इस्तेमाल करके ही क्यों न उसे प्रस्तुत किया गया हो । यहां पर यह कहा जा सकता है कि कहानी के प्रस्तुत करने के प्रवाह को परिवर्तित कर दिया जाता है। यही बात डिजाइन के संदर्भ में भी लागू होती है

      डिजाइन प्रवाह में महत्वपूर्ण घटक

      डिजाइन के प्रवाह को सामान्य तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

      -वर्बल या लिखित प्रवाह – इसके अन्तर्गत वह पथ लिया जाता है जो कि किसी टैक्स्ट को पढ़ने के सन्दर्भ में अपनाया जाता है।

      -दृश्य प्रवाह – इसके अन्तर्गत वह पथ लिया जाता है जो कि पेज पर किसी दृश्य को देखने के सन्दर्भ में अपनाया जाता है।

      सही ढंग से किये गये प्रवाह के माध्यम से किसी डिजाइन में आंख को किसी एक तत्व से दूसरे तत्व पर बहुत ही आसानी के साथ चलाया जा सकता है। इससे कोई पाठक को इस बात को जानने समझने में मदद मिलती कि किसी सूचना में किन बातों को दिया गया है। इस प्रकार से संदेश का प्रवाह कही बेहतर ढंग से होता है।

      वर्बल प्रवाह को बेहतर करना – इस ढंग के प्रवाह में किसी प्रकार के पठन को आसान एवं सुगम्य बनाने के लिए आवश्यक कार्य किया जाता है। हिन्दी में पाठक बाॅये से दाॅये की तरफ एवं ऊपर से नीचे की तरफ पढ़ता है। इस प्रकार से किसी सामग्री को देने में उसमें सही प्रकार से प्रवाह दिखता है। अतः इस कार्य को सही ढंग से करने के लिए कई बातों ध्यान में रखना चाहिए। आगे इसके बारे में चर्चा की गई

      सहुलियतपूर्ण रूप में कापी पठन के उपाय

      किसी भी साइट अथवा पेज पर टाइपोग्राफी में स्थिरता होनी चाहिए। अर्थात् फांट रंग, फेस आकार, आदि के इस्तेमाल में एक स्थिरता होनी चाहिए। इससे कि आंख को उसे ग्रहण करने में सहुलियत होती है।

      • पेज पर ऐसे फांट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिसे पढ़ने में सहुलियत हो। यहाॅं पर यह भी ध्यान देने की बात है कि किसी फांट को अनावश्यक तौर पर सजावट दे करके अपठनीय नही बना देना चाहिए।
      • कालम की चैड़ाई पर ध्यान देना चाहिए। यह पर्याप्त ढंग से दी जानी चहिए जिससे कि पढ़ने में सहुलियत हो। यह न तो काफी अधिक हो और न ही बहुत कम हो। इसे पढ़ने में सहुलियत महसूस होना चाहिए।
      • समीपता के सिद्धान्त का पालन करते हुए शीर्षक के समीप ही टैक्स्ट को दिया जाना चाहिए, जिससे कि वे उससे जुड़ करके दिखे। इसी प्रकार से फोटो के समीप ही कैप्शन दिया जाना चाहिए।

      -टैक्स्ट को इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाना चाहिए जिससे कि यह स्पष्ट हो कि किसके साथ क्या दिया जा रहा है।

      -क्षैतिज लय के साथ ही ऊर्ध्वाधर लय को भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें इसकी चौड़ाई एवं मार्जिन आदि बातें शामिल हैं।

      इसे भी पढ़ें- डिजाइन में बिंदु का महत्व

      इसे स्थिरता के साथ सम्पूर्ण डिजाइन में इस्तेमाल किया गया है। एक समान पॅक्ति की ऊॅंचाई मार्जिन आदि के कारण इसमें ऊर्ध्वाधर स्थिरता होती है।

      ऊर्ध्वाधर डिजाइन प्रवाह को बेहतर करना Improving vertical design flow

      सामान्यतौर पर पढ़ने की दिशा बाॅये से दाॅये की तरफ होती है। किन्तु विविध प्रकार के इमैज, ग्रैफिक, टैक्स्ट वं इस प्रकार के अन्य तत्वों को मिला करके इस स्वाभाविक प्रवृत्ति को बदला भी जा सकता है।

      बहुत से इमैज में दिशा का बोध रहता है। इसमें किसी ऐरो, हाथ से संकेत, कोई उस दिशा में देखता चेहरा होता है। आंख के देखने की गति किसी इमैज के आने के पश्चात उसके द्वारा दिये जा रहे संकेत के अनुसार तेज या धीमा होता है।

      यदि पेज पर कोई आंख दाॅंयें की तरफ चल रही है और कोई इमैज उसी दिशा में देख रहा है तो फिर आंख अपेक्षाकृत कुछ तेजी के साथ चलेगी। इसी प्रकार से यदि इमैज बाॅये की तरफ देख रहा है तो फिर आंख की गति धीमी हो जायेगी। इस प्रकार से इमैज का इस्तेमाल किसी पेज के विजुअल पाथ को नियंत्रित करने के सन्दर्भ में किया जाता है।

      ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज रेखाएं आंख के दाॅये तरफ जाने की प्रवृत्ति को रोक सकती हैं। यह बात इसी प्रकार से है जैसे कि किसी टहलने के दौरान किसी प्रकार के चहारदीवारी अथवा बाड़ के आ जाने के कारण व्यक्ति ठहर जाता है। ऐसी स्थिति में चहारदीवारी के ऊपर के बजाय टहल करके आगे जाना ज्यादा सुविधाजनक होता है। इसलिए उस जगह पर व्यक्ति रूक जाता है। इसी प्रकार से टैक्स्ट सामग्री को दिशा देते हुए भिन्न भिन्न दिशाओं में टैक्स्ट प्रस्तुत किया जा सकता है।

      इस प्रकार के तरीके का काफी इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि लोग किसी क्षेत्र के एक निश्चित घेरे के बीच में ही रहे। और उससे बाहर न आंख न जा सके। यह संभव है कि कोई बड़ा स्तम्भ हो, जिससे कि पेन्टिंग से बाहर जाने पर व्यवधान हो सकता है और फिर वह आंख वापस हो जाती है।

      – इमैज की दिशा का इस्तेमाल आंख की गति एवं दिशा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
      -आंख की दिशा को यदि वापस ले आना है, तो फिर उस स्थिति में किसी प्रकार का अवरोध दिया जाना चाहिए। या फिर ऐरो मार्क दिया जा सकता है।
      -किसी डिजाइन से हो करके आसानी के साथ गुजरने के लिए ओपेन पाथ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
      – आंख को आकृष्ट करने के लिए विरोधाभास वाले रंग एवं आकार का इस्तेमाल किया जाता है।

      इस प्रकार से डिजाइन निर्माण के समय डिजाइन प्रवाह को ध्यान देने पर हम उसके प्रभाव को बेहतर कर सकते हैं ।

      Flow in page design

      Tags: Effective design
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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