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      Home Media Study Material

      Radio Recording Equipment

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 months ago
      in Media Study Material, Radio
      0

      Radio Recording Equipment रेडियो रिकार्डिंग के लिए विविध प्रकार के माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया जाता है। यहॉ पर आगे इन विविध उपकरणों के बारे में चर्चा की गयी है। https://onlineradiofm.in/stations/all-india-air-lucknow

      माइक्रोफोन

       Radio Recording Equipment के अंतर्गत किसी भी रेडियो रिकार्डिग माइक्रोफोन  सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। इसका काम बोलने वाले व्यक्ति, गायक या किसी भी स्रोत से ध्वनि को कैप्चर करना होता है। यह ध्वनि को विद्युत सिग्नल में बदलता है ताकि आगे प्रोसेसिंग या रिकॉर्डिंग की जा सके। माइक्रोफोन कई प्रकार के होते है। इसके बारे में अलग से चर्चा की गयी है। अलग-अलग प्रकार अलग-अलग परिस्थितियों में उपयोग किए जाते हैं। 

      डायनेमिक माइक्रोफोन मजबूत और टिकाऊ होते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल उन जगहों पर किया जा सकता है जहॉं पर कि बहुत ही रफ ढंग से इस्तेमाल किया जाता है। यह लाइव शो या आउटडोर रिकॉर्डिंग के लिए उपयुक्त होता है। कंडेंसर माइक्रोफोन उच्च संवेदनशीलता और साफ ध्वनि के लिए, स्टूडियो रिकॉर्डिंग में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। रिबन माइक्रोफोन गर्म और प्राकृतिक ध्वनि के लिए, विशेष रूप से वॉइस ओवर या म्यूजिक के लिए उपयुक्त होता है । शॉटगन माइक्रोफोन एक दिशा से ध्वनि पकड़ने के लिए, इंटरव्यू या फील्ड रिकॉर्डिंग में काम आता है। साथ ही पॉप फिल्टर और शॉक माउंट के साथ माइक्रोफोन का उपयोग करने से पॉपिंग साउंड और वाइब्रेशन कम होते हैं।Microphones

      पॉप फिल्टर और विंडस्क्रीन– पॉप फिल्टर माइक्रोफोन के सामने लगने वाला पतला नेट-जैसा उपकरण होता है । यह ‘प’, ‘ब’ जैसी प्लोसिव ध्वनियों को रोकता है। इससे ध्वनि बहुत तीव्र नही होती है। विंडस्क्रीन हवा के झोंकों या सांस की तेज आवाज को कम करता है। इनका उपयोग करने से रिकॉर्डिंग स्मूद, साफ और प्रोफेशनल लगती है। यह माइक्रोफोन की उम्र बढ़ाता है और माइक डायाफ्राम पर हवा के दबाव को कम करता है। Radio Studio Structure

      माइक स्टैंड और बूम आर्म -माइक स्टैंड का इस्तेमाल माइक्रोफोन को स्थिर और सही ऊँचाई पर रखने के लिए किया जाता है। स्टैंड होने से इससे हाथ में पकड़ने से होने वाला शोर खत्म हो जाता है। बूम आर्म लचीलापन देता है जिससे माइक को आसानी से इधर-उधर किया जा सकता है। ये विविध आकार प्रकार के होते है। लंबे रिकॉर्डिंग सत्रों में वक्ता आराम से बैठ या खड़ा रह सकता है और आवाज स्थिर रहती है।

      ऑडियो मिक्सर / मिक्सिंग कंसोल – ऑडियो मिक्सर कई स्रोतों (जैसे माइक्रोफोन, इंस्ट्रूमेंट, फोन कॉल) से आने वाली आवाज को मिला करके उसे सन्तुलित बैलेंस करता है। इसमें वॉल्यूम, बैलेंस, इक्वलाइजर और इफेक्ट्स को नियंत्रित करने की सुविधा होती है। लाइव शो के दौरान तुरंत ध्वनि में बदलाव किया जा सकता है। यह शो को प्रोफेशनल और सुनने में आकर्षक बनाता है।

      ऑडियो इंटरफेस – ऑडियो इंटरफेस माइक्रोफोन और मिक्सर से आने वाले एनालॉग सिग्नल को डिजिटल में बदलता है ताकि कंप्यूटर या लैपटॉप में रिकॉर्ड हो सके। इसका उपयोग उच्च गुणवत्तावाली ध्वनि की रिकॉर्डिंग के लिए किया जाता है। इसमें इनपुट-आउटपुट पोर्ट, गेन कंट्रोल और लेटेंसी कम करने के लिए खास सर्किट होते हैं।

      हेडफोन – हेडफोन रिकॉर्डिंग या लाइव शो के दौरान ध्वनि को मॉनिटर करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। क्लोज्ड-बैक हेडफोन सबसे बेहतर होते हैं क्योंकि इनमें से ध्वनि बाहर नहीं निकलती और माइक्रोफोन में वापस नहीं जाती। इससे रिकॉर्डिंग की क्वालिटी बरकरार रहती है। Radio recording technique

      स्टूडियो मॉनिटर स्पीकर्स – स्टूडियो मॉनिटर स्पीकर्स एडिटिंग और मिक्सिंग के समय सटीक ध्वनि सुनने के लिए होते हैं। ये साधारण स्पीकर से अलग होते हैं और इसमें फ्लैट फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स देते हैं, जिससे आप असली साउंड सुन सकते हैं। इससे मिक्सिंग या मास्टरिंग में सही निर्णय लेना आसान होता है।

      रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर /डिजिटल आडियो साफ्टवेयर Radio Recording Equipment- डिजिटल ऑडियो वर्कस्टेशन एक प्रकार का साफ्टवेयर है। कंप्यूटर पर चलने वाला सॉफ्टवेयर है जिसमें आप रिकॉर्डिंग,एडिटिंग, मिक्सिंग और मास्टरिंग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आडेसिटी, एडोब आडिषन, रीपर, प्रो टूल आदि आते हैं। ये मल्टी-ट्रैक रिकॉर्डिंग, इफेक्ट्स, कट-पीस्ट और प्रोसेसिंग जैसी सुविधाएं देते हैं। इससे रिकॉर्डिंग, एडिटिंग, मिक्सिंग और मास्टरिंग जैसी ऑडियो से जुड़ी प्रोफेशनल कार्य करने की सुविधा होती है। यह किसी कप्यूटर आदि पर कार्य करते है। इसके लिए एक अच्छा कंप्यूटर चाहिए।

      कंप्यूटर/वर्कस्टेशन – एक शक्तिशाली कंप्यूटर रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर चलाने और बड़ी फाइलें सेव करने के लिए जरूरी है। इसमें तेज प्रोसेसर, पर्याप्त रैम एवं एसएसडी स्टोरेज होनी चाहिए। मजबूत सिस्टम से डिजिटल वर्क स्टेषन अच्छे से कार्य करता है और मल्टी-ट्रैक रिकॉर्डिंग में दिक्कत नहीं आती है।

      साउंडप्रूफिंग सामग्री – साउंडप्रूफिंग सामग्री में एकाउस्टीक फोम पैनल,बास टेप, और भारी पर्दे आते है। इनकी मदद से कक्ष में बाहरी शोर व गूंज को रोका जाता हैं। यह रिकॉर्डिंग स्टूडियो को एक नियंत्रित ध्वनि वातावरण देता है जिससे आवाज क्लियर रिकॉर्ड होती है।

      केबल्स और कनेक्टर्स – माइक्रोफोन, मिक्सर, ऑडियो इंटरफेस और अन्य उपकरणों को जोड़ने के लिए बैलेंस्ड (एक्सएलआर) केबल का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे शोर कम आता है और सिग्नल लॉस नहीं होता। अच्छी गुणवत्ता के केबल और कनेक्टर स्टूडियो की विश्वसनीयता बढ़ाते हैं।

      यूपीएस पावर कंडीशनर– बिजली जाने पर बैकअप और वोल्टेज को स्थिर रखने के लिए न्च्ै का इस्तेमाल किया जाता है। यह महंगे उपकरणों को पावर फ्लक्चुएशन से बचाता है। रिकॉर्डिंग के बीच में बिजली कटने पर भी डेटा सुरक्षित रहता है।

      आइसोलेशन बूथ – आइसोलेशन बूथ एक छोटी सी बंद जगह होती है जहां वक्ता या गायक बाहरी शोर से अलग होकर रिकॉर्डिंग करता है। इससे आवाज बिलकुल साफ और बिना रिफ्लेक्शन के रिकॉर्ड होती है।Radio drama

      ऑडियो रिकॉर्डर – फील्ड या आउटडोर रिकॉर्डिंग के लिए पोर्टेबल रिकॉर्डर का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में विविध आकार के पोर्टेबुल रिकार्डर आ गये है। ये सभी रिकार्डर बहुत ही हल्के और विविध आकार के आ गये है। यह बैटरी पर चलने वाले होते हैं, इसे चार्ज किया जा सकता है। इसकी मदद से रिपोर्टर या रेडियो जॉकी मौके पर ही रिकॉर्डिंग कर सकते हैं।

      मॉनिटर कंट्रोलर – रेडियो रिकॉर्डिंग में मानीटर एक ऐसा उपकरण है जो स्टूडियो के मॉनिटर स्पीकर्स और हेडफोन तक जाने वाली आवाज को नियंत्रित करता है। इसके जरिए वॉल्यूम, म्यूट, इनपुट-आउटपुट सिलेक्शन और बैलेंस को आसानी से संभाला जाता है। इसका मुख्य काम इंजीनियर को रिकॉर्डिंग की असली क्वालिटी सुनाना है ताकि तुरंत गलतियों को पकड़ा और सुधारा जा सके। यह बिना डिस्टॉर्शन के सटीक साउंड मॉनिटरिंग देता है और रिकॉर्डिंग को अधिक प्रोफेशनल बनाता है।

      सिग्नल प्रोसेसर – कंप्रेसर, लिमिटर और इक्यू जैसे हार्डवेयर सिग्नल प्रोसेसर रिकॉर्डिंग से पहले ध्वनि को नियंत्रित करते हैं। यह डायनेमिक रेंज को बैलेंस करता है और क्लिपिंग या डिस्टॉर्शन रोकता है। रेडियो रिकॉर्डिंग में आवाज हमेशा स्थिर और स्पष्ट नहीं होती। कभी आवाज ज्यादा तेज होती है, कभी हल्की, कभी पॉपिंग एवं हिसिंग साउंड आ जाते हैं। सिग्नल प्रोसेसर इन सब समस्याओं को रिकॉर्डिंग के समय ही ठीक कर देते हैं । इससे रिकार्डिंग के बाद में एडिटिंग में कम मेहनत करनी पड़े और लाइव प्रसारण साफ सुनाई देती है। Radio Recording Equipment

      जिंगलइफेक्ट प्लेयर – लाइव शो के दौरान जिंगल, इफेक्ट्स या बैकग्राउंड म्यूजिक चलाने के लिए इनका इस्तेमाल होता है। इससे शो आकर्षक बनता है और टाइमिंग कंट्रोल में रहती है।

      टेलीफोन हाइब्रिड/ इंटरनेट इंटरफेस – रेडियो रिकॉर्डिंग या लाइव शो में टेलीफोन हाइब्रिड वह उपकरण होता है जो स्टूडियो और टेलीफोन लाइन को जोड़कर कॉलर की आवाज को साफ और संतुलित रूप में लाता है। अगर सामान्य तरीके से फोन को मिक्सर से जोड़ दिया जाए तो शोर, गूंज और फीडबैक जैसी समस्याएँ आती हैं।टेलीफज्ञेन हाइब्रिड इन समस्याओं को दूर करके दोनों तरफ की आवाज को अलग-अलग करता है और सही लेवल पर बैलेंस करता है, जिससे कॉलर और एंकर एक-दूसरे को साफ सुन पाते हैं। Radio Recording Equipment

      इन्टरनेट या आईपी कोडेक – एक आधुनिक तकनीक है जो पारंपरिक फोन लाइन की बजाय इंटरनेट के जरिए कॉल, इंटरव्यू या लाइव ऑडियो कनेक्शन उपलब्ध कराता है। यह ऑडियो को डिजिटल डेटा में बदलकर इंटरनेट पर भेजता और प्राप्त करता है, जिससे दूर बैठे गेस्ट या रिपोर्टर भी स्टूडियो से बिना आवाज की गुणवत्ता खोए जुड़ सकते हैं। इससे लो-लेटेंसी और हाई-क्वालिटी ऑडियो कनेक्शन संभव होता है और दुनिया के किसी भी हिस्से से स्टूडियो तक कनेक्शन आसान हो जाता है।

      स्टॉपवॉच – रेडियो स्टूडियो में सजीव रिकॉर्डिंग के दौरान टाइमिंग और शेड्यूल मैनेज करने के लिए स्टॉपवॉच या डिजिटल क्लॉक जरूरी है। इससे शो समय पर चलता है और ब्रेक या विज्ञापन सही समय पर दिए जाते हैं। इसे इस प्रकार से सेट किया जाता है कि सब लोग आसानी से देख सके।

      सुरक्षा और बैकअप सिस्टम – रेडियो रिकॉर्डिंग में सिक्योरिटी और बैकअप सिस्टम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रिकॉर्ड किया गया कंटेंट, उपकरण और नेटवर्क पूरी तरह सुरक्षित रहे। इसके लिए स्टूडियो में डेटा सिक्योरिटी, एक्सेस कंट्रोल और नेटवर्क प्रोटेक्शन जैसी तकनीकें अपनाई जाती हैं। एंटीवायरस, फायरवॉल और पासवर्ड या बायोमेट्रिक लॉगिन के माध्यम से कंप्यूटर व वर्कस्टेशन को अनधिकृत पहुँच से बचाया जाता है। साथ ही, सीसीटीवी और लॉक सिस्टम का उपयोग करके रिकॉर्डिंग रूम व कंट्रोल रूम में सुरक्षा को बेहतर करते हैं। इन उपायों से किसी भी वायरस अटैक, हैकिंग या डेटा चोरी की आषंका काफी कम हो जाती है और स्टूडियो की पेशेवर छवि बनी रहती है।

           इसी तरह बैकअप सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि तकनीकी गड़बड़ी या आपातकाल की स्थिति में भी कंटेंट सुरक्षित रहे। इसके लिए ऑटोमैटिक बैकअप, क्लाउड स्टोरेज, और एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव या नेटवर्क अटैच्ड स्टोरेज का उपयोग किया जाता है। वर्जनिंग के जरिए एक ही फाइल के अलग-अलग संस्करण सुरक्षित रहते हैं ताकि गलती होने पर पुराना संस्करण बहाल किया जा सके। पावर बैकअप और न्च्ै सिस्टम बिजली जाने या वोल्टेज फ्लक्चुएशन की स्थिति में रिकॉर्डिंग को बाधित होने से बचाते हैं। इन सभी उपायों से रिकॉर्डिंग का डेटा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है और स्टूडियो को विश्वसनीय व प्रोफेशनल बनाता है।

      ऊपर रेडियो के कार्य्रकम निर्माण के लिए जो भी Radio Recording Equipment उपकरण वर्णित किये गये हैं , वे सभी एक व्यावसायिक प्रसारण के लिए आवष्यक हैं। ये उपकरण रेडियो रिकॉर्डिंग को प्रोफेशनल गुणवत्ता देने के लिए जरूरी हैं। हर उपकरण की अपनी अलग भूमिका होती है और सभी मिलकर साफ, संतुलित और आकर्षक ऑडियो तैयार करते हैं। इन उपकरणों के सही चुनाव, रखरखाव और उपयोग से रिकॉर्डिंग स्टूडियो की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है ।

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