ABX Model of Communication
न्यूकॉम्ब का एबीएक्स मॉडल (1953)
परिचय
थिओडोर न्यूकॉम्ब ने 1953 में एबीएक्स मॉडल प्रस्तुत किया। यह एक सामाजिक-मानसिक (social-psychological) मॉडल है, जिसका मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि संचार (communication) सिर्फ जानकारी बाँटना नहीं है बल्कि यह सामाजिक संबंधों में संतुलन बनाए रखने का साधन भी है।
मॉडल की संरचना
इस मॉडल में तीन घटक होते हैं —
- A = व्यक्ति A (संचार करने वाला)
- B = व्यक्ति B (दूसरा संचारकर्ता)
- X = विषय/वस्तु (जिस विषय पर बातचीत हो रही है, जैसे घटना, मुद्दा, व्यक्ति या वस्तु)
A और B आपस में X के बारे में विचार साझा करते हैं। अगर दोनों की सोच X पर एक जैसी है तो उनका संबंध मजबूत और संतुलित रहता है। लेकिन यदि A और B के विचार अलग-अलग हैं तो असंतुलन (imbalance) पैदा होता है। इस असंतुलन को कम करने और संतुलन स्थापित करने के लिए संचार की प्रक्रिया चलती रहती है। इस प्रकार संचार रिश्तों को बनाए रखने और सामंजस्य लाने का काम करता है।
उदाहरण 1 : दोस्त और फिल्म
मान लीजिए दो दोस्त हैं — अजय (A) और विजय (B)। बातचीत का विषय (X) है एक नई फिल्म। अजय कहता है कि फिल्म बहुत अच्छी है। विजय भी सहमत है तो A और B का संबंध संतुलित है। लेकिन यदि विजय कहे कि फिल्म बेकार है तो असहमति पैदा होगी। दोनों बातचीत करेंगे, तर्क देंगे और संभव है कि विजय अजय की बात मान ले या अजय विजय की बात मान ले, या फिर दोनों अलग-अलग राय स्वीकार कर लें। इस पूरी प्रक्रिया से उनका रिश्ता फिर से संतुलन की ओर बढ़ेगा।
उदाहरण 2 : परिवार और करियर
एक पिता (A) और बेटी (B) के बीच करियर का विषय (X) है। पिता सोचते हैं कि बेटी को सरकारी नौकरी करनी चाहिए, जबकि बेटी चाहती है कि वह आर्ट्स में करियर बनाए। यहाँ असंतुलन है। पिता और बेटी बातचीत करेंगे, एक-दूसरे को समझाने की कोशिश करेंगे, बीच का रास्ता निकालेंगे, या समझौता करेंगे। इससे या तो पिता अपना दृष्टिकोण बदलेंगे, या बेटी अपनी योजना में बदलाव करेगी, या दोनों एक नया समाधान निकालेंगे। इस तरह संवाद रिश्ते को टूटने से बचाकर संतुलन बनाए रखने का काम करता है।
महत्व
इस मॉडल का महत्व यह है कि यह दिखाता है —
- संचार सिर्फ संदेश भेजना नहीं बल्कि संबंध बनाए रखना भी है।
- मतभेद संवाद को जन्म देते हैं और संवाद से सामंजस्य बनता है।
- यह मॉडल दो व्यक्तियों या छोटे समूहों की बातचीत समझने में उपयोगी है।
- परिवार, मित्रता, कार्यस्थल या किसी समूह में निर्णय लेने की प्रक्रिया समझाने के लिए यह बहुत कारगर है।
निष्कर्ष
न्यूकॉम्ब का एबीएक्स मॉडल हमें सिखाता है कि संचार केवल सूचना का लेन-देन नहीं है बल्कि यह सामाजिक जीवन में संतुलन और सामंजस्य बनाए रखने का एक साधन है। जब भी रिश्तों में मतभेद आता है, संवाद की प्रक्रिया से लोग अपने दृष्टिकोण या रिश्तों को समायोजित करके संतुलन की ओर बढ़ते हैं। यही कारण है कि यह मॉडल आज भी अंतर-व्यक्तिगत और सामाजिक संचार को समझने में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।