Agenda Building Theory of Media एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत
अर्थ, परिभाषा, पृष्ठभूमि, मुख्य अवधारणा, महत्व, सीमाएँ, आज की प्रासंगिकता और संदर्भ
एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत (Agenda Building Theory of Media)
परिचय (Introduction) मीडिया समाज में केवल घटनाओं की सूचना देने का कार्य नहीं करता, बल्कि यह यह भी तय करता है कि कौन-से मुद्दे जनता के ध्यान के केंद्र में आएँगे और कौन-से नहीं। इसी विचार से जन्म हुआ — Agenda Setting Theory और उसके विस्तारित रूप Agenda Building Theory का। जहाँ Agenda Setting यह बताती है कि मीडिया “किस बारे में” जनता को सोचने के लिए प्रेरित करता है, वहीं Agenda Building यह स्पष्ट करती है कि मीडिया का एजेंडा स्वयं कैसे बनता है — यानी किन शक्तियों, स्रोतों, और प्रक्रियाओं से तय होता है कि मीडिया किन विषयों को प्राथमिकता देगा। इस प्रकार, Agenda Building Theory मीडिया की आंतरिक निर्णय-प्रक्रिया और बाहरी प्रभाव कारकों को समझने का प्रयास करती है।
अर्थ और परिभाषा (Meaning and Definition)
अर्थ (Meaning): “Agenda Building” का अर्थ है — मीडिया द्वारा किसी विशेष विषय, घटना या मुद्दे को महत्व देना, प्राथमिकता देना या उसे सार्वजनिक विमर्श (public discourse) का केंद्र बनाना। परंतु यह प्रक्रिया केवल मीडिया के भीतर नहीं होती; इसमें राजनीतिक दल, सरकारी संस्थाएँ, हित समूह, जनमत, और सामाजिक घटनाएँ सभी मिलकर योगदान करते हैं। यानी, एजेंडा बिल्डिंग एक सहभागी और पारस्परिक प्रक्रिया है जिसमें मीडिया और समाज एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
मुख्य परिभाषाएँ (Definitions): Agenda Building Theory of Media
- Lang & Lang (1981) के अनुसार —
“Agenda building refers to the process by which media, public, and policymakers influence each other in determining the importance of issues.”
(एजेंडा बिल्डिंग वह प्रक्रिया है जिसमें मीडिया, जनता और नीति-निर्माता मिलकर मुद्दों के महत्व को निर्धारित करते हैं।)
- Cobb, Ross, and Ross (1976) के अनुसार —
“Agenda building is the process through which issues come to command the attention of policymakers.”
(एजेंडा बिल्डिंग वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई मुद्दा नीति-निर्माताओं के ध्यान का केंद्र बनता है।)
- McCombs (2004) के अनुसार —
“Agenda building explains how media agendas are shaped by various forces in the social and political environment.”
(एजेंडा बिल्डिंग यह बताता है कि मीडिया एजेंडा समाज और राजनीति के विभिन्न प्रभावों द्वारा कैसे निर्मित होता है।)
परिभाषा: Agenda Building Theory of Media
एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत के अनुसार, मीडिया जिन विषयों को प्रमुखता देता है, वे विषय केवल पत्रकारों की पसंद से नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्तियों, जनमत, संस्थागत दबावों, और सामाजिक संदर्भों से मिलकर बनते हैं।
अर्थात, मीडिया और समाज मिलकर “एजेंडा” तय करते हैं — यह एक द्विदिश (two-way) प्रक्रिया है।
पृष्ठभूमि (Background of the Theory) Agenda Building Theory of Media
एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत की जड़ें 1960 और 1970 के दशक की राजनीतिक संचार (Political Communication) परिकल्पनाओं में हैं।
- 1968 में Maxwell McCombs और Donald Shaw ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर अपने प्रसिद्ध अध्ययन “The Chapel Hill Study” के माध्यम से Agenda Setting Theory प्रस्तुत की।
- इसके बाद 1970 के दशक में Cobb, Ross and Ross (1976) तथा Lang & Lang (1981) ने पाया कि मीडिया स्वयं किसी निर्वात में एजेंडा तय नहीं करता, बल्कि यह राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक शक्तियों के साथ मिलकर एजेंडा का निर्माण (building) करता है।
इस प्रकार, Agenda Building Theory को Agenda Setting Theory का विस्तारित और गतिशील रूप (Dynamic Extension) माना गया।
मुख्य अवधारणा (Main Concept of Agenda Building Theory) –एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि — “Media, public, and policymakers collectively participate in shaping the public agenda.”
मुख्य घटक (Main Components): Agenda Building Theory of Media
- मीडिया एजेंडा (Media Agenda): वे विषय जिन्हें समाचार माध्यम प्राथमिकता देते हैं।
- जनता का एजेंडा (Public Agenda): वे मुद्दे जिन पर जनता अधिक चर्चा करती है या उन्हें महत्वपूर्ण मानती है।
- नीति एजेंडा (Policy Agenda): वे मुद्दे जिन पर नीति-निर्माता और सरकार निर्णय लेते हैं।
एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत यह मानता है कि ये तीनों आपस में अंतःक्रियात्मक (interactive) हैं।
प्रक्रिया (Process of Agenda Building):
- इनपुट (Input):
- राजनीतिक दलों की प्रेस विज्ञप्तियाँ
- सामाजिक आंदोलनों और विरोध प्रदर्शन
- सरकारी नीतियाँ या रिपोर्टें
- जनभावनाएँ और सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएँ
- मीडिया प्रोसेसिंग (Media Processing):
- संपादकीय निर्णय
- पत्रकारों की मूल्य-धारणाएँ
- समाचार चयन (gatekeeping)
- आउटपुट (Output):
- मीडिया में प्रमुख खबरें, विशेष रिपोर्ट, हेडलाइन्स
- जनता में उन मुद्दों पर बहस
- नीति-निर्माताओं पर दबाव
- फीडबैक (Feedback):
- जनता की प्रतिक्रिया के आधार पर मीडिया और सरकार फिर से अपने एजेंडे को समायोजित करती है।
उदाहरण (Examples): Agenda Building Theory
- कृषि कानून आंदोलन (2020–21): किसानों के विरोध प्रदर्शन को मीडिया में दी गई कवरेज और जनता की सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं ने मिलकर इसे राष्ट्रीय एजेंडा बना दिया।
- स्वच्छ भारत मिशन: सरकार की पहल को मीडिया और विज्ञापन अभियानों के माध्यम से व्यापक चर्चा का विषय बनाया गया।
- जलवायु परिवर्तन: पहले इसे केवल वैज्ञानिक मुद्दा माना जाता था, परंतु मीडिया और नीति-निर्माताओं के संयुक्त प्रयास से यह वैश्विक नीति एजेंडा बन गया।
महत्व (Importance of Agenda Building Theory of Media)diffusion theory Play Theory Framing Theory of Mass Media फ्रेमिंग सिद्धांत
- मीडिया निर्णय-प्रक्रिया को समझने में सहायक: यह सिद्धांत बताता है कि मीडिया किन आधारों पर विषय चुनता है और किन प्रभावों से उसकी प्राथमिकताएँ बनती हैं।
- जनसंचार और लोकतंत्र का संबंध स्पष्ट करना: लोकतंत्र में जनता और मीडिया दोनों मिलकर राजनीतिक विमर्श का निर्माण करते हैं; यह सिद्धांत इसी संबंध को परिभाषित करता है।
- राजनीतिक संचार में उपयोगी: चुनावों और सार्वजनिक नीतियों में यह समझने में मदद करता है कि कौन-से मुद्दे सार्वजनिक बहस का हिस्सा बनते हैं और क्यों।
- सामाजिक आंदोलनों की भूमिका स्पष्ट करना: यह सिद्धांत दर्शाता है कि सामाजिक आंदोलन, विरोध प्रदर्शन और जन-आवाज़ें भी मीडिया एजेंडा को प्रभावित कर सकती हैं।
- नीति-निर्माण की पारदर्शिता: जब जनता किसी मुद्दे को लेकर सक्रिय होती है, तो नीति-निर्माता उस पर प्रतिक्रिया देते हैं — जिससे नीति निर्माण में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है।
- मीडिया नैतिकता के अध्ययन में उपयोग: यह सिद्धांत यह प्रश्न उठाता है कि क्या मीडिया अपने एजेंडे में सामाजिक हितों को प्राथमिकता देता है या कॉर्पोरेट एवं राजनीतिक दबावों को।
सीमाएँ (Demerits / Criticisms) Agenda Building Theory
- कारण और परिणाम की अस्पष्टता: यह तय करना कठिन है कि एजेंडा सबसे पहले कहाँ से शुरू होता है — मीडिया से, जनता से, या सरकार से।
- मीडिया स्वायत्तता पर प्रश्न: मीडिया पर राजनीतिक और आर्थिक दबावों के कारण यह हमेशा स्वतंत्र रूप से एजेंडा तय नहीं कर पाता।
- सामाजिक मीडिया युग में जटिलता: आज हर व्यक्ति सूचना निर्माता है, इसलिए यह जानना कठिन है कि एजेंडा “निर्मित” कौन कर रहा है।
- मापन की कठिनाई: एजेंडा निर्माण एक जटिल और क्रमिक प्रक्रिया है, जिसका सीधा मापन मुश्किल है।
- विकसित देशों पर आधारित अध्ययन:
इस सिद्धांत के अधिकांश शोध पश्चिमी देशों पर आधारित हैं; विकासशील देशों की मीडिया-राजनीति संरचना अलग हो सकती है।
आज के युग में प्रासंगिकता (Relevance in the Modern Era)
- सोशल मीडिया का प्रभाव: आज जनता सोशल मीडिया पर किसी मुद्दे को ट्रेंड कराकर मीडिया और नीति-निर्माताओं को प्रभावित कर सकती है — जैसे #MeToo या #FarmersProtest। यह bottom-up agenda building का उदाहरण है।
- डेटा और एल्गोरिद्म की भूमिका: डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म यह तय करते हैं कि कौन-सी खबरें अधिक दिखाई जाएँ — जिससे “Algorithmic Agenda” बनती है।
- राजनीतिक संचार में रणनीतिक एजेंडा: राजनीतिक दल अब मीडिया और सोशल नेटवर्क्स के माध्यम से अपने एजेंडे को रणनीतिक रूप से प्रचारित करते हैं।
- जनता की सहभागिता: डिजिटल युग में जनता केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि एजेंडा निर्माता (Agenda Builder) बन गई है।
- मीडिया जवाबदेही: Fake news और paid content के युग में यह सिद्धांत मीडिया की जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर नए प्रश्न खड़े करता है।
निष्कर्ष (Conclusion) Agenda Building Theory
एजेंडा बिल्डिंग सिद्धांत मीडिया, समाज और राजनीति के बीच साझा एजेंडा निर्माण की प्रक्रिया को समझने का एक अत्यंत प्रभावी उपकरण है। यह सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि मीडिया किसी मुद्दे को केवल प्रकाशित नहीं करता, बल्कि उसकी सामाजिक और राजनीतिक “महत्ता” का निर्माण भी करता है। आज के डिजिटल लोकतंत्र में, जहाँ मीडिया, जनता और नीति-निर्माता तीनों ही सक्रिय हैं, एजेंडा बिल्डिंग प्रक्रिया पहले से अधिक गतिशील और पारदर्शी हो गई है। हालाँकि, कॉर्पोरेट हित, राजनीतिक दबाव और एल्गोरिद्मिक नियंत्रण जैसी चुनौतियाँ इस प्रक्रिया को जटिल बनाती हैं, फिर भी यह सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि — “मीडिया में जो दिखाई देता है, वह केवल खबर नहीं, बल्कि किसी विचार, शक्ति और समाज के बीच चल रही बातचीत का परिणाम है।” diffusion theory Play Theory Framing Theory of Mass Media फ्रेमिंग सिद्धांत
संदर्भ (References)
Lang, G. E., & Lang, K. (1981). Watergate: An Exploration of the Agenda-Building Process. In Wilhoit & de Bock (Eds.), Mass Communication Review Yearbook.
Cobb, R., Ross, J. K., & Ross, M. H. (1976). Agenda Building as a Comparative Political Process. American Political Science Review, 70(1), 126–138.
McCombs, M. (2004). Setting the Agenda: The Mass Media and Public Opinion. Polity Press.
Rogers, E. M., & Dearing, J. W. (1988). Agenda-Setting Research: Where Has It Been, Where Is It Going?
McQuail, D. (2010). McQuail’s Mass Communication Theory. Sage Publications.
Kumar, Keval J. (2018). Mass Communication in India. Jaico Publishing House.
Norris, P. (2000). A Virtuous Circle: Political Communications in Postindustrial Societies. Cambridge University Press.