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      Ban on Cricket commentary

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      10 months ago
      in Radio
      0
      Ban on Cricket commentary

      Ban on Cricket commentary – Cricket commentary is very popular in India. But there was a time when cricket commentary was banned in India. this article discusses some aspects of that event.

      Ban on Cricket commentary भारत में जब रेडियो पर खेल कमेन्टरी पर रोक लगी

               कमेन्टरी मीडिया का एक बहुत ही रोचक कार्यक्रम है। हमारे देश में इसके प्रति लोगों की दिवानगी है। जब  रेडियो पर  किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का कमेन्टरी का प्रसारण किया गया रहता है, उस कार्यक्रम में लोग सिर्फ आवाज सुनकर के दृश्य की अपने मन में कल्पना करते हैं। खेलों में तो कमेन्टरी के माध्यम से कमेंटेटर खेल के उन क्षणों एवं चरणों को भी बहुत ही रोचक और उत्तेजनापूर्ण बना देता है, जिन अवसरों पर खेल काफी धीमी गति अथवा बोरिंग रूप में भी होते रहते हैं।

      भारत में खेल कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हैं और क्रिकेट कमेंटरी के बारे में तो करना ही क्या है। लोग सारे कार्य छोड़ करके इसे सुनते हैं। किन्तु क्या आप को पता है कि भारत कभी रेडियो रेडियो माध्यम पर क्रिकेट कमेन्टरी जैसे अति लोकप्रिय कार्यक्रम के प्रसारण पर ही रोक लगा दिया गया था।

                    किन्तु इस बात को बताने से पहले कमेन्टरी के बारे में कुछ चर्चा कर लेते है। कमेंटरी करने के लिए कमेंटेटर सही उच्चारण करने की अच्छी कुशलता होती है। खेल में कुछ भी घटित हो रहा होता है उसे देख कर वह उसे तुरंत जीवन्त शब्दों में बदल कर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने की उसमें कला होती है। वह घटनाओं को इस प्रकार से वर्णित करता है कि लोग लोग इसे सुन करके रोमांचित हो उठते हैं। कमेन्टेटर दृश्य को शब्दों के माध्यम से जीवन्त रूप में प्रस्तुत करने की कला में माहिर होते है। https://mediastudyworld.in/radio-programme-radio-news-report-radio-report/

      कमेन्टरी करने के दौरान वे न केवल खेल वरन्, अपने आस पास के सम्पूर्ण परिवेश का वर्णन कर रहे होते हैं जिससे कि श्रोताओं को पूरे दृश्य का अधिकतम आनन्द मिल सके। एक तेज गति के खेल के दौरान कमेंट्री करने के लिए उसे प्रति सेकंड लगभग 250 शब्दों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। कमेंटरी के दौरान तो ऐसे क्षण आते रहते हैं जबकि कमेंटेटर को बहुत तेज गति से बात करनी होती है। फुटबाल, हाकी जैसे खेलों की कमेन्टरी तो काफी तेज गति से करनी पड़ती है।

                जब तक भारत में टीवी का व्यापक प्रसार नहीं हुआ था, उस समय तक रेडियो पर प्रसारित होने वाली क्रिकेट कमेन्टरी की लोकप्रियता अपने चरम पर होती थी। उस समय के कमेंटेटर तो पूरे देश में  पहचाने जाते रहे हैं। उनका नाम लोगों की जुबान पर रहता था। उनमें प्रत्येक की कमेन्टरी कला अपने आप में बहुत ही अनूठे रूप में देखी जाती थी। पहले के दौर में भारत के प्रमुख कमेंटेटरों में जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी, मुरली मनोहर मंजुल, सुशील दोषी, स्कंद गुप्त आदि का नाम लिया जा सकता है। ये खेल के अतिरिक्त अन्य अवसरों जैसे छब्बीस जनवरी, पन्द्रह अगस्त एवं कुम्भ एवं ऐसे अन्य आयोजनों एवं महोत्सव पर रेडियो कमेन्टरी करते रहे हैं।

              बाद में टीवी माध्यम के आ जाने के बाद रेडियो की तुलना में टीवी वर्तमान में टीवी पर क्रिकेट का सजीव प्रसारण किया जाने लगा है। इस पर क्रिकेट कमेन्टरी करने वाले अधिकतर कमेन्टेटर पूर्व खिलाड़ी ही होते हैं। इन्हे प्रतिदिन के हिसाब से जबरदस्त भुगतान किया जाता है। किन्तु आज कमेन्टरी का स्वरूप भी काफी बदल गया है। अब टीवी माध्यम सजीव प्रसारण दर्शक खेल को सीधे देखते हैं । इसलिए किया जाता है और उस पर तेज गति से कमेन्टरी करने की कमेन्टेटर पर बहुत दबाव नही होता है। वे इसका विश्लेषण करके प्रस्तुत करते है।

             पहले के समय में क्रिकेट कमेन्टरी का पूरा आनंद लोग रेडियो पर प्रस्तुत कमेंट्री के माध्यम से ही लेते रहे हैं। किन्तु इस कमेन्टरी को सुनने के लिए रेडियो सेट भी बड़ी संख्या में नहीं होते थे। इसलिए गाॅव, कस्बे, शहर में लोग क्रिकेट खेल के बारे में जानकारी लेने के लिए रेडियो के आस पास बैठ करके लोग कमेंटरी सुनते रहते थे। जहाॅ कहीं पर भी रेडियो पर कमेन्टरी प्रसारित हो रही होती हैं, लोग उसके पास बैठ करके कमेन्टरी सुनते।  इस दौरान कमेन्टेटर द्वारा प्रस्तुत खेल दृश्य के साथ ही वे सभी अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त करते और आपस में उसका विश्लेषण भी प्रस्तुत कर रहे होते।

               किंतु आपको यह जान करके बहुत ही आश्चर्य होगा कि भारत में एक ऐसा भी समय था जबकि भारत में कमेन्टरी प्रसारण पर पर रोक लगा दी गयी। यह सुनने में बहुत ही अटपटा लग रहा है, किंतु सत्य यही है। भारत के इतिहास का वह दौर था, जब देश अभी हाल ही में आजाद हुआ था और भारत की सूचना प्रसारण में मन्त्री बीवी केसकर बने। बी.वी. केसकर ने ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) पर 1952 में क्रिकेट कमेंटरी पर प्रतिबंध लगा दिया। उनका मानना था कि भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता ब्रिटिश संस्कृति और भाषा पर निर्भर है। हालाँकि, बाद में उन्हें प्रतिबंध रद्द करने और लाइव क्रिकेट प्रसारण की अनुमति देने के लिए मजबूर होना पड़ा। Ban on Cricket commentary

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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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