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      Home Media Study Material

      Controlling light in photography

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 months ago
      in Media Study Material, Photography
      0

      Controlling light in photography फोटोग्राफी में प्रकाश नियंत्रण

      Tools for controlling light in photography

      रिफ्लेक्टर का उपयोग रिफ्लेक्टर एक साधारण लेकिन असरदार उपकरण है जो प्राकृतिक या कृत्रिम प्रकाश को वापस विषय की ओर परावर्तित करता है। जब बाहरी प्रकाश बहुत तेज या असंतुलित हो, तो रिफ्लेक्टर की मदद लेकर के हम वंचित स्थान पर प्रकाश प्रक्षेपित कर सकते हैं और यदि अवांछित है छाया है तो उसे भी दूर कर सकते हैं। प्रकाश प्ररावर्तक भिन्न-भिन्न रूप आकार में आते हैं जिससे की फोटोग्राफी में स्थित संसार उनका इस्तेमाल किया जा सके। रिफ्लेक्टर प्रकाश की दिशा बदल सकते हैं या हाइलाइट्स को मुलायम बना सकते हैं। रिफ्लेक्टर गोल, चौकोर, सिल्वर, गोल्डन या डिफ्यूजर वाले कई प्रकार के आते हैं। इनका उपयोग आउटडोर शूट में चेहरे की चमक, गहराई और टेक्सचर को बैलेंस करने के लिए किया जाता है। रिफ्लेक्टर को लगाने के लिए स्टैंड भी आते हैं ।

      डिफ्यूजर या सॉफ्टबॉक्स परावर्तन के विपरीत डिफ्यूजर एक ऐसा सतह होता है जो की अर्थ पारदर्शी रूप में होता है । यदि कहीं पर अगर बहुत तेज प्रकाश है तो उसे वह कम कर देता है । इसलिए इसका इस्तेमाल उन जगहों पर होता है जहां पर तेज प्रकाश होता है। यदि आउटडोर फोटोग्राफी की जा रही है और सूर्य की बहुत तेज रोशनी रहती है । उस स्थिति में यह सूर्य के प्रकाश और वस्तु के बीच में लगाया जाता है । डिफ्यूजर एक पारदर्शी या अर्ध-पारदर्शी सतह होती है जो तेज रोशनी को मुलायम बना देती है। जब सूरज की सीधी रोशनी बहुत कठोर हो तो डिफ्यूजर उसके बीच में लगाया जाता है। इस तरह से इस्तेमाल करने से प्रकाश फैल जाता है और छायाएँ हल्की व मुलायम हो जाती हैं। सॉफ्ट बॉक्स स्टूडियो लाइटिंग में इस्तेमाल होने वाला एक प्रकार का डिफ्यूजर है जो कृत्रिम लाइट को भी समान और प्राकृतिक बनाता है। यह पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में खास तौर पर काम आता है। वर्तमान में बहुत ही विविध रूपों में डिफ्यूजर आने लगे हैं और इसके लिए स्टैंड भी आते हैं जिससे कैसे सही तरीके से लगाया जा सके ।

      tools for controlling light

      न्यूट्रल डेन्सिटी फिल्टर फिल्टर का उपयोग डिफ्यूजर के विपरीत न्यूट्रल डेंसिटी फिल्टर का इस्तेमाल कैमरे के लेंस के सामने किया जाता है यह प्रकाश की तीव्रता को काम तो करता है किंतु उसके रंग को नहीं बदलता है जब कभी भी लंबा स्पीड अधिक प्रकाश में इस्तेमाल किया जाता है उसे स्थिति में इस प्रकार के फिल्टर उपयोगी होते हैं । इससे बड़ा अपरिचित और लंबा शटर स्पीड देने में मदद मिलती है । एनडी फिल्टर कैमरे के लेंस पर लगाया जाता है। यह बाहरी प्रकाश की तीव्रता को कम करता है लेकिन रंगों को नहीं बदलता। जब बहुत ज्यादा रोशनी हो (जैसे दोपहर के समय आउटडोर शूट) तो एनडी फिल्टर आपको लंबा शटर स्पीड इस्तेमाल करने या वाइड अपर्चर खोलने की सुविधा देता है, जिससे बैकग्राउंड ब्लर या मोशन ब्लर जैसे क्रिएटिव इफेक्ट्स संभव होते हैं। यह लैंडस्केप फोटोग्राफी में बेहद उपयोगी है।

      फ्लैश पावर और लाइट मोडिफायर कंट्रोल – फोटोग्राफी में प्रकाश नियंत्रण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। सही प्रकाश ही तस्वीर को आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है। यदि प्रकाश अधिक हो तो तस्वीर ओवरएक्सपोज हो जाती है और कम होने पर धुंधली दिखती है। इसलिए प्रकाश की तीव्रता, दिशा और कोण को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। फोटोग्राफर इसके लिए परावर्तक या रिफ्लेक्टर, डिफ्यूजर, फ्लैश और स्टूडियो लाइट जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं। प्रकाश नियंत्रण से पिक्चर की गहराई, टेक्सचर और भावनाओं को सटीकता से उभारा जा सकता है। यही कारण है कि प्रकाश नियंत्रण को फोटोग्राफी का आधार स्तंभ माना जाता है। यहां पर आगे फोटोग्राफी करते समय प्रकाश को नियंत्रित करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीकों की चर्चा की गई है Controlling light in photography

      Role of Light in Photography

      कैमरा सेटिंग्स – आईएसओ शटर स्पीड और अपर्चर – बाहरी प्रकाश को नियंत्रित करने का सबसे बुनियादी तरीका कैमरा सेटिंग्स को एडजस्ट करना है। प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए सबसे बुनियादी तरीका कैमरे के में ही दी गई रहती है । कैमरा में लगे आइसो शटर स्पीड और प्रेशर की मदद से हम प्रकाश की तीव्रता को कम या अधिक करते हैं । किंतु तीव्रताओं को कम अधिक करने के दौरान इसका अन्य प्रभाव पड़ता है । यदि इसीलिए यदि सीधे प्रकाश को ही यदि सिर्फ नियंत्रित करना है , तो उस स्थिति में अन्य साधन अपनाते हैं । अगर उसके साथ-साथ अन्य प्रभावों के साथ भी उसका उपयोग करना है तो फिर उचित में कैमरे के शटर स्पीड एपर्चर और आइसो का उपयोग बहुत प्रभावित तरीका है । प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए आइसो कम रखने से कम रोशनी में भी प्रकाश की व्यवस्था हो जाती है। इसी तरह से शटर स्पीड तेज करने पर कम रोशनी आता है और उसे धीमा करने पर अधिक रोशनी आती है । दूसरी तरफ, एपर्चर बड़ा करने पर रोशनी ज्यादा आती है और छोटा करने की रोशनी कम आती है । Controlling light in photography

      https://studio.youtube.com/video/0o1IBMU9CU4/edit

      स्थान और समय का चुनाव फोटोग्राफी करते समय का फोटोग्राफी की जा रही है अभी बात बहुत महत्वपूर्ण होती है सुबह और शाम का प्रकाश सबसे अच्छा फोटोग्राफी के लिए माना जाता है , क्योंकि वह सॉफ्ट और गर्म होता है । किंतु उसके विपरीत तेज प्रकाश होने पर इसको काफी व्यवस्थित करना पड़ता है । इसलिए सही फोटोग्राफी करने के लिए सुबह या शाम का समय उपयोग करना चाहिए । साथ ही विषय को किसी छायादार जगह पर रखकर, या बैकग्राउंड बदलकर भी प्रकाश नियंत्रित किया जा सकता है। यानी शूट की लोकेशन और टाइमिंग बदलना भी एक व्यावहारिक तरीका है।

      यदि आप बाहरी प्रकाश के साथ अतिरिक्त फ्लैश लाइट इस्तेमाल कर रहे हैं, तो फ्लैश की पावर को कम या अधिक करके एक्सपोजर बैलेंस किया जा सकता है। इसके साथ ही बाउंस कार्ड, स्नूट, ग्रिड या जेल फिल्टर जैसे लाइट मोडिफायर लगाकर आप रोशनी की दिशा, रंग और फैलाव नियंत्रित कर सकते हैं। इससे विषय पर एक्स्ट्रा शाइन या हाइलाइट्स को नियंत्रित करना आसान होता है। Controlling light in photography

      अन्य नियंत्रक साधन

      गोबो या फ्लैग का उपयोग – गॉबो या फ्लैग ब्लैक कार्ड, कपड़े या किसी अपारदर्शी वस्तु से बनाया जाता है जिसे प्रकाश स्रोत और विषय के बीच रखकर लाइट को आंशिक रूप से रोक दिया जाता है। इससे आप छाया की दिशा और आकार तय कर सकते हैं और इससे ज्यादा सिनेमैटिक प्रभाव बना सकते हैं।

      ग्रिड, स्नूट और हनीकॉम्ब अटैचमेंट – इस उपकरण की मदद से प्रकाश स्रोत से आने वाले प्रकाश को हम विभिन्न तरीके से फोकस कर सकते हैं यह है ये अटैचमेंट लाइट को “फोकस्ड” और संकीर्ण नैरो बीम कर देते हैं। उदाहरण के लिए, स्नूट से आप सिर्फ चेहरे पर या किसी छोटे हिस्से पर रोशनी डाल सकते हैं जबकि बाकी जगह अंधेरी रहे। इससे विषय पर नाटकीय इफेक्ट बनाना आसान होता है। Controlling light in photography

      जेल या कलर फिल्टर – रंगीन पारदर्शी शीट (जेल) लाइट या फ्लैश के ऊपर लगाकर आप प्रकाश का रंग बदल सकते हैं। इससे आप वार्म कूल,, नीला, लाल आदि टोन बना सकते हैं या व्हाइट बैलेंस सुधार सकते हैं। यह क्रिएटिव और करेक्शन दोनों उद्देश्यों से काम आता है।

      पोलराइजर फिल्टर – यह एक प्रकार का फिल्टर होता है जो की यह फिल्टर लेंस पर लगाकर आप रिफ्लेक्शन, ग्लेयर और आसमान के रंगों को नियंत्रित कर सकते हैं। तेज धूप में पत्तियों या पानी की सतह पर चमक कम करने के लिए पोलराइजर बहुत कारगर होता है। यह लैंडस्केप फोटोग्राफी में लोकप्रिय है।

      सिल्हूट और बैकलाइटिंग तकनीक – अगर बाहरी प्रकाश बहुत तेज है तो आप विषय को बैकलाइटिंग या सिल्हूट मोड में शूट कर सकते हैं। यानी प्रकाश को पीछे रखकर विषय को अंधेरे में दिखाना। यह क्रिएटिव इफेक्ट देता है और रोशनी को नियंत्रित करने का प्राकृतिक तरीका है।

      ग्रे कार्ड और लाइट मीटर का उपयोग – ग्रे कार्ड अथवा हैंडहेल्ड लाइट मीटर की मदद से एक्स्पोजर और व्हाइट बैलेंस का मापन किया जाता है इससे कैमरा सेटिंग को सही करने में मदद मिलती है जब कभी भी बहुत व्यावसायिक अवसर पर फोटोग्राफी की जाती है तो उसमें यह तरीका इस्तेमाल किया जाता है। ग्रे कार्ड या हैंडहेल्ड लाइट मीटर से आप एक्सपोजर और व्हाइट बैलेंस को माप सकते हैं। इससे आप बाहरी प्रकाश के स्तर के अनुसार कैमरा सेटिंग्स जिसमें आइसो, अपर्चर, शटर स्पीड शामिल है इसको सटीक कर सकते हैं। यह प्रोफेशनल शूट में बहुत उपयोगी है।

      परावर्तक सतह एवं आसपास की वस्तुएँ बदलना – कई बार ऐसे भी स्थिति आती है जिसमें कि किसी जगह पर उसके आसपास या बैकग्राउंड पर रंगीन लाइट को लगेगा आते हैं और वह तस्वीर को बुला सकते हैं ऐसे प्रकाश को रोकने के संदर्भ में सफेद कपड़े कल कपड़े या न्यूट्रल बैकग्राउंड रख करके उसके प्रकाश परावर्तन को कम किया जाता है कभी-कभी विषय के आसपास के बैकग्राउंड या फर्श की रंगीन सतह लाइट को रिफ्लेक्ट करके तस्वीर बिगाड़ देती है। आप सफेद कपड़ा, काला कपड़ा, या न्यूट्रल बैकग्राउंड रखकर उस अवांछित परावर्तन को कम कर सकते हैं।

      मल्टी-लाइट बैलेंसिंग – अगर बाहरी प्राकृतिक रोशनी बहुत तेज या एक तरफ से आ रही है, तो आप दूसरी तरफ “फिल लाइट” जोड़कर कंट्रास्ट कम कर सकते हैं। यह स्टूडियो और आउटडोर दोनों शूट में मददगार है।

      Controlling light in photography

      Tags: Light controller
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      Dr. Arvind Kumar Singh

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