Dependency Theory of Media – मीडिया का निर्भरता सिद्धांत – मीडिया हमारे समाज का एक अभिन्न और शक्तिशाली हिस्सा है। यह न केवल हमें समाचार और जानकारी देता है, बल्कि हमारी राय, दृष्टिकोण और निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। हमारे सोचने का तरीका, हमारे आस-पास की दुनिया को देखने का नजरिया — बहुत हद तक मीडिया से निर्मित होता है। सोचिए, अगर मीडिया अचानक एक दिन काम करना बंद कर दे तो क्या होगा? हमें पता नहीं चलेगा कि देश में क्या हो रहा है, चुनाव किस दिशा में जा रहे हैं, मौसम कैसा है, या दुनिया में कौन-सी नई खोज हुई है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारी जानकारी और समझ का एक बड़ा हिस्सा मीडिया पर निर्भर है। इसी वास्तविकता को समझाने के लिए संचार सिद्धांतकार सैंड्रा बॉल-रोकिच (Sandra Ball-Rokeach) और मेल्विन डीफ्लूर (Melvin DeFleur) ने 1976 में मीडिया सिस्टम डिपेंडेंसी थ्योरी (Media System Dependency Theory) प्रस्तुत की। यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति, मीडिया और समाज – तीनों के बीच एक पारस्परिक निर्भरता का संबंध है। अर्थात समाज को सूचना चाहिए, मीडिया उसे देता है; लेकिन मीडिया को भी समाज और उसकी मान्यता की जरूरत होती है। Dependency Theory of Media
2. अर्थ और परिभाषा (Meaning and Definition)
‘Dependency’ का अर्थ होता है “आश्रित होना” या “निर्भर रहना”। इस सिद्धांत में यह आशय इस बात से है कि व्यक्ति और समाज अपनी सूचना, समझ और निर्णय लेने के लिए मीडिया पर किस हद तक निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति सुबह अख़बार या मोबाइल न्यूज़ ऐप खोलता है ताकि दुनिया की खबरें जाने, तो वह अनजाने में मीडिया पर निर्भर होता है। उसे अपने परिवेश का ज्ञान, अपनी सामाजिक राय, और अपने विचारों का आधार मीडिया से मिलता है। मीडिया के बिना उसकी सूचनात्मक दुनिया अधूरी रह जाएगी।
इस सिद्धांत के अनुसार, “व्यक्ति जितना अधिक अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए मीडिया पर निर्भर होगा, मीडिया उसके जीवन में उतना ही प्रभावशाली बन जाएगा।” यह निर्भरता केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं होती, बल्कि सामूहिक स्तर पर भी होती है। पूरा समाज — राजनीति, शिक्षा, संस्कृति, अर्थव्यवस्था — सब किसी न किसी रूप में मीडिया पर निर्भर हैं। Dependency Theory of Media
मुख्य परिभाषा (Ball-Rokeach & DeFleur, 1976): The more a person depends on media to meet needs, the more important the media becomes to that person’s life.”
अर्थात — जितनी अधिक व्यक्ति या समाज की सूचना, निर्णय या मनोरंजन की आवश्यकताएँ मीडिया से जुड़ी होंगी, उतनी ही अधिक मीडिया की शक्ति और प्रभाव होगा।
3. अवधारणा (Concept of Dependency Theory) – मीडिया निर्भरता सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि व्यक्ति, मीडिया और समाज — ये तीनों एक संचार प्रणाली (Communication System) का हिस्सा हैं। इनके बीच एक निरंतर “परस्पर-निर्भर” (Interdependent) संबंध बना रहता है। सैंड्राबॉल-रोकिच और मेल्विन डीफ्लूर ने कहा कि समाज का व्यवहार और सोच तब सबसे अधिक बदलता है जब वह किसी संकट, परिवर्तन या अनिश्चितता के दौर से गुजरता है। ऐसे समय में लोग दिशा और स्पष्टता पाने के लिए मीडिया पर अधिक निर्भर हो जाते हैं। उदाहरण के लिए —
- जब किसी देश में चुनाव होते हैं, तब लोग यह जानने के लिए मीडिया देखते हैं कि कौन-से नेता आगे हैं, किस पार्टी की नीतियाँ क्या हैं। जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, जैसे भूकंप या महामारी, तब लोग मीडिया के माध्यम से सुरक्षा, सहायता और राहत की जानकारी प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, मीडिया एक ऐसा माध्यम बन जाता है जो समाज की सूचनात्मक आवश्यकता को पूरा करता है और समाज के विचार निर्माण की प्रक्रिया को दिशा देता है। यह सिद्धांत यह भी कहता है कि यह निर्भरता स्थिर नहीं रहती —
यह समय, परिस्थिति और सामाजिक वातावरण के अनुसार बढ़ती या घटती रहती है।
4. निर्भरता के प्रकार (Types of Dependency) निर्भरता सिद्धांत के अनुसार, मीडिया पर निर्भरता के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं:
- व्यक्तिगत निर्भरता (Individual Dependency): जब व्यक्ति अपनी दैनिक जरूरतों, विचारों, या निर्णयों के लिए मीडिया पर निर्भर होता है। जैसे — कोई व्यक्ति न्यूज़ देखकर शेयर मार्केट में निवेश का निर्णय लेता है, या सोशल मीडिया पर ट्रेंड देखकर कोई उत्पाद खरीदता है। यह निर्भरता सीधे व्यक्ति और मीडिया के बीच का रिश्ता है।
- सामाजिक निर्भरता (Societal Dependency): जब पूरा समाज किसी बड़ी समस्या या संकट में एक समान सूचना के लिए मीडिया पर निर्भर होता है। उदाहरण — कोविड-19 महामारी के दौरान पूरा समाज मीडिया से ही जानकारी ले रहा था कि वायरस से बचने के उपाय क्या हैं, वैक्सीन कहाँ उपलब्ध है, सरकारी नियम क्या हैं।
- संस्थागत निर्भरता (Institutional Dependency): जब सरकार, संगठन, या कंपनियाँ जनता से संवाद या प्रचार के लिए मीडिया पर निर्भर होती हैं। जैसे — चुनाव आयोग, मंत्रालय या व्यवसायिक ब्रांड अपने संदेश मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुँचाते हैं।
5. मुख्य सिद्धांत (Core Assumptions of Dependency Theory)
- सामाजिक स्थिरता में कम निर्भरता: जब समाज में सब कुछ सामान्य और स्थिर होता है, तब लोगों की मीडिया पर निर्भरता सीमित होती है। लोग जानकारी के लिए अन्य स्रोतों जैसे परिवार, मित्र, अनुभव आदि का भी उपयोग करते हैं।
- सामाजिक परिवर्तन या संकट में बढ़ी निर्भरता: जब समाज किसी संकट या बड़े बदलाव से गुजरता है, तब लोग स्पष्ट दिशा पाने के लिए मीडिया पर अधिक निर्भर हो जाते हैं। जैसे — युद्ध, आर्थिक मंदी, महामारी, राजनीतिक संकट आदि के समय।
- निर्भरता = शक्ति (Power): जितनी अधिक समाज की निर्भरता मीडिया पर होगी, मीडिया की शक्ति उतनी ही बढ़ेगी। क्योंकि तब मीडिया लोगों की राय, भावनाएँ और व्यवहार को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है।
- मीडिया और समाज का पारस्परिक प्रभाव: मीडिया समाज से विषय लेता है और समाज को वापस व्याख्यायित दृष्टिकोण लौटाता है। दोनों के बीच एक गतिशील चक्र चलता रहता है।
6. महत्व (Importance of the Theory)
- मीडिया के प्रभाव को समझने में सहायता: यह सिद्धांत हमें बताता है कि मीडिया की वास्तविक शक्ति केवल सूचना प्रसारण में नहीं, बल्कि समाज की राय और सोच बनाने में है।
- समाज और मीडिया के रिश्ते की व्याख्या: इस सिद्धांत ने पहली बार मीडिया को समाज की संरचना का हिस्सा माना। यह दिखाता है कि मीडिया और समाज दोनों एक-दूसरे से निरंतर संवाद करते हैं।
- संकट काल में मीडिया की भूमिका स्पष्ट करना: किसी महामारी, प्राकृतिक आपदा या सामाजिक आंदोलन के समय मीडिया नागरिकों के लिए दिशा और सुरक्षा का प्रमुख स्रोत बन जाता है।
- राजनीति और शासन के लिए मार्गदर्शक: सरकारें यह समझ सकती हैं कि लोग किन माध्यमों पर अधिक भरोसा करते हैं, और किस प्रकार के संदेश सबसे प्रभावशाली होते हैं।
- मीडिया अनुसंधान और नीति निर्माण में उपयोग: यह सिद्धांत मीडिया प्रभावों के अध्ययन के लिए एक रूपरेखा देता है — जैसे कि कौन-सा वर्ग किस परिस्थिति में अधिक प्रभावित होता है।
7. मुख्य विशेषताएँ (Main Characteristics) ABX Model of Communication diffusion theory
- परस्पर निर्भरता: व्यक्ति, मीडिया और समाज — तीनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यह एक एकतरफा प्रक्रिया नहीं है, बल्कि द्विपक्षीय है।
- अनिश्चितता के समय में बढ़ी भूमिका: जब लोगों को दिशा की आवश्यकता होती है, तब मीडिया मार्गदर्शक बनता है।
- सूचना = शक्ति: जो संस्था सूचना नियंत्रित करती है, वही प्रभावशाली बन जाती है। मीडिया इस “सूचना शक्ति” का केंद्र है।
- दीर्घकालिक संबंध: समय के साथ मीडिया और जनता का संबंध स्थायी और विश्वसनीय हो जाता है।
- तकनीकी विकास के साथ विस्तार: रेडियो और टीवी से शुरू होकर आज इंटरनेट, मोबाइल, और सोशल मीडिया तक — मीडिया पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है।
- मीडिया के विविध कार्य:
सूचना देने के साथ-साथ मीडिया शिक्षा, मनोरंजन, प्रचार, और समाज को एकजुट रखने का काम करता है।
8. सीमाएँ (Demerits / Criticisms)
- व्यक्ति की स्वतंत्रता की अनदेखी: सिद्धांत यह मान लेता है कि सभी लोग मीडिया के समान प्रभाव में आते हैं, जबकि कई लोग आलोचनात्मक सोच रखते हैं।
- मापन की कठिनाई: मीडिया पर निर्भरता का सटीक माप करना मुश्किल है — क्योंकि यह मानसिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर काम करती है।
- सांस्कृतिक विविधता की उपेक्षा:
अलग-अलग समाजों में मीडिया की भूमिका अलग होती है — पर सिद्धांत इसे समान रूप से देखता है। - नए मीडिया का प्रभाव:
यह सिद्धांत उस समय विकसित हुआ जब डिजिटल मीडिया नहीं था। आज सोशल मीडिया ने “निर्भरता” को “आपसी सहभागिता” में बदल दिया है। - अति-आशावादी दृष्टिकोण:
यह सिद्धांत मीडिया की भूमिका को सकारात्मक मानता है, परंतु गलत सूचना या फेक न्यूज की स्थिति में यह खतरनाक भी हो सकती है।
9. वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता (Relevance Today)
आज का युग “डिजिटल निर्भरता” का युग है। हमारी सुबह मोबाइल नोटिफिकेशन से शुरू होती है और रात सोशल मीडिया फीड के साथ खत्म होती है। हर निर्णय — क्या खरीदें, किसे वोट दें, किस पर भरोसा करें — मीडिया के प्रभाव में होता है।
सोशल मीडिया युग: अब मीडिया सिर्फ संस्थान नहीं, बल्कि व्यक्ति भी है। हर नागरिक ट्विटर, इंस्टाग्राम या यूट्यूब के माध्यम से सूचना का निर्माता और उपभोक्ता दोनों है।
- संकट की स्थितियाँ: कोविड-19 जैसी परिस्थितियों में मीडिया पर भरोसा समाज की दिशा तय करता है। गलत सूचना (misinformation) के खतरे के कारण अब फैक्ट-चेकिंग मीडिया निर्भरता का नया आयाम बन गया है।
- राजनीति और लोकतंत्र: राजनीतिक दल मीडिया पर अपनी छवि और एजेंडा प्रसारित करने के लिए निर्भर हैं। अब “मीडिया मैनेजमेंट” चुनाव का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
- एल्गोरिद्मिक निर्भरता: आज हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के एल्गोरिद्म पर निर्भर हैं। कौन-सी खबर पहले दिखेगी, कौन-सी छिप जाएगी — यह अब तकनीक तय करती है।
- शिक्षा और जीवनशैली: ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल बैंकिंग, ई-गवर्नेंस — ये सब मीडिया निर्भरता के आधुनिक उदाहरण हैं।
10. निष्कर्ष (Conclusion) Dependency Theory of Media Agenda setting theory Communication theory
मीडिया निर्भरता सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि मीडिया केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि समाज के ढांचे का सक्रिय अंग है। जितनी अधिक समाज की सूचना की जरूरत बढ़ती है, उतनी ही अधिक मीडिया की शक्ति और जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। यह सिद्धांत आज भी उतना ही प्रासंगिक है — बल्कि और भी अधिक, क्योंकि डिजिटल युग में हम 24 घंटे किसी न किसी माध्यम से जुड़े हैं। मीडिया अब हमारे लिए सिर्फ जानकारी का स्रोत नहीं, बल्कि सोच, व्यवहार और निर्णय का निर्माणकर्ता बन चुका है। इसलिए, नागरिकों को चाहिए कि वे मीडिया पर भरोसा तो करें, लेकिन विवेक के साथ — क्योंकि मीडिया पर निर्भरता तभी सार्थक है जब वह सत्य और जिम्मेदारी के आधार पर हो।
सारांश:
“मीडिया जितना शक्तिशाली है, उतना ही समाज का दर्पण भी है — और उसकी सच्चाई इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस पर कितनी समझदारी से निर्भर हैं।”
11. स्रोत References)
- Ball-Rokeach, S. & DeFleur, M. (1976). A Dependency Model of Mass Media Effects. Communication Research, Vol. 3.
- McQuail, D. (2010). McQuail’s Mass Communication Theory. Sage Publications.
- Baran, S. & Davis, D. (2012). Mass Communication Theory: Foundations, Ferment, and Future. Cengage Learning.
- IGNOU MJMC Study Material – Unit on “Media Effects and Dependency Theory.”
- Oxford Internet Institute (2021). Digital Media and Dependency Reports.