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      Home Media Study Material Communication

      Diffusion of innovation

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Communication, Development Communication
      0

      Diffusion of innovation is one important theory of development communication. The article discusses some important aspects of this theory

      नवीनता के विसरण का सिद्धांत Development Communication

                विद्यार्थियों! संचार के क्षेत्र में विविध प्रकार के सिद्धान्त दिये गये है। इसमें से अधिकतर सिद्धान्त संचार माध्यमों के सामाजिक, मनोवैज्ञानिक अन्तक्र्रिया के सन्दर्भ में दिये गये है। इसमें उसके प्रभावों, जनमाध्यमों के प्रति लोगों की आदतों के बारे मे बातें कहीं गयी है। समाज के विकास  के सन्दर्भ में भी जनमाध्यमों की भूमिका को ले करके काफी बातें कहीं गयी है। इसी क्रम में ईएम रोजर द्वारा दिया गया सिद्धान्त Diffusion of innovation भी काफी चर्चित रहा है।  https://massmediagroup.pro/blog-mmg/idea-development-how-to-create-and-implement-innovative-ideas

        Diffusion of innovation अथवानूतनता अथवा नवीनता के विसरण का सिद्धांत सामाजिक विज्ञान का एक बहुत ही प्रसिद्ध सिद्धांत है । इस सिद्धांत को संचार के क्षेत्र में भी इस्तेमाल किया गया है। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम 1962 में संचार वैज्ञानिक ई एम रोजर द्वारा विकसित करके प्रस्तुत किया गया। Diffusion of innovation अथवा नूतनता के विसरण के सिद्धान्त के माध्यम से यह बताया गया कि कैसे किसी भी प्रकार के नए विचार आईडिया, तरीका, उत्पाद, कार्य लोगों के बीच में संचार माध्यमों द्वारा धीरे-धीरे फैल करके स्थापित हो जाता है। इस प्रकार से वह एक समय पश्चात लोगों के बीच में लोकप्रिय हो जाता है। लोग उसे अपने जीवन में स्वीकार कर लेते हैं। इस प्रकार से नए विचार व्यवहार,, उत्पाद कार्य उनके सामाजिक दैनिक सामाजिक जीवन का एक अंग बन जाता है।

                आइये इसमें नये विचार ग्रहण करने की बात कहीं गयी है उसके अर्थ को हम पहले जाने। जब हम किसी नए विचार के ग्रहण करने की बात करते हैं। नये विचार का आशय यही है कि कोई भी व्यक्ति पारंपरिक रूप से जिस किसी भी प्रकार से अपना जीवन शैली जी रहा है,  उससेे हट करके किसी नये प्रकार के विचार कार्य या व्यवहार को अपनाता है और उसे करता है।  वह इस प्रकार का कार्य कर सकता है जिसे वह पहले नहीं करता रहा हो या कोई ऐसा व्यवहार कर सकता है जो कि उसके जीवन में पहले नहीं अपनाया गया रहा है। इसी प्रकार से वह फिर कोई ऐसी वस्तु का उपयोग कर सकता है जिसे उपयोग नहीं करता रहा है। वह अपने पारंपरिक जीवन के तरीके से एक नया तरीका अपनाता है जो कि पहले नहीं उसके जीवन में था।  यह प्रक्रिया विसरण के माध्यम से ही धीरे-धीरे होती है।

                     यहां पर यह भी बता दे कि  किसी भी प्रकार के नए विचार, व्यवहार, कार्य, उत्पाद का समाज में सभी लोग बीच में एक साथ ही स्वीकार्यता नहीं होती है। बल्कि यह एक प्रक्रियात्मक कार्य है जिसमें कि धीरे-धीरे करके लोग उसे अपनाते हैं। इसमें कुछ लोग उसे पहले अपनाते हैं। कुछ लोग उसे देख करके फिर बाद में अपनाते हैं । सभी लोग इसी प्रकार की स्थिति में भी नहीं होते हैं कि जो कुछ भी नया देखकर सुने, समझे उसे तत्काल स्वीकार कर ले । विचारों का व्यवहारों के साथ ही उसमें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पहलू भी शामिल होते हैं। इस कारण से इन्हें सबके द्वारा एक साथ है स्वीकार करना संभव नहीं हो पाता है ।

                 नये विचार को न अपनाने के अन्य कारण भी हैं।  हर व्यक्ति की अपना अलग अलग प्रकार का मनोवैज्ञानिक भी होता है। इस कारण से भी किसी भी प्रकार के विचार, कार्य, व्यवहार को सभी के साथ ही जुड़ करके स्वीकार नहीं कर पाते हैं। जब कभी भी किसी भी प्रकार के नए कार्य, विचार, व्यवहार, उत्पाद, वस्तु को किसी भी समाज में अपनाना आरंभ करना चाहते हैं तो इसके लिए यह आवश्यक है कि हम उस समाज की विशेषताओं को भी जाने समझें । उसको ध्यान में रख करके ही किसी व्यवहार कार्य को कैसे आरंभ किया जाना है, उसको अपनाएं।

       नए विचारों को लागू करना के चरण Steps in Diffusion of innovation

                इस सिद्धांत Diffusion of innovation के अनुसार  जो कुछ भी नया विचार आईडिया होता है, उसको ग्रहण करने वालों को 5 भागों में विभाजित किया जा सकता है। जब कोई नया प्रोजेक्ट या कार्यक्रम आरम्भ करना होता हैै तो इन्हीं समूहो की विशेषताओं को ध्यान में रखकर के उसे लागू किया जाता है।

       खोजकर्ता या समूह Diffusion of innovation

      इसके अंतर्गत वे सभी व्यक्ति आते हैं जो कि सबसे पहले किसी भी प्रकार के नये विचार का उपयोग करते हैं। वे कहीं अधिक खतरे या जोखिम लेने की स्थित में होते हैं। किसी भी प्रकार के नए आइडिया, विचार में रुचि रखते हैं और उन्हें जब कभी भी ऐसा अवसर मिलता है तो उसे ग्रहण करने में सबसे पहले आगे आते हैं और जब कभी भी किसी ने प्रकार के किसी विचार, आइडिया को अपनाया जाना होता है तो ऐसे लोगों के बीच में जाना लाभप्रद होता है।

      ओपीनियन लीडर के प्रतिनिधि

      इसके अंतर्गत उन लोगों का समूह आता है जो कि ओपिनियन लीडर का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस स्थित में रहते हुए वह किसी भी प्रकार के बदलाव के अवसर को स्वीकार करते हैं। वह पहले से ही इन सबके बारे में अन्य की तुलना में कहीं अधिक बेहतर सूचनाएं रखते हैं। इसलिए उन्हें नए विचार को   को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होती है । इसके अन्तर्गत वे सभी व्यक्ति आते हैं जो कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक जागरूक होते हैं।

      जल्दी आने वाला समूह

      इसके अंतर्गत व्यक्ति आते हैं जो कि ओपिनियन लीडर आदि तो नहीं होते है किंतु जन सामान्य व्यक्ति की तुलना में वे नए तौर-तरीके विचार को पहले स्वीकार करते हैं। इन्हें नए तौर-तरीके के लाभ के उपयोग के प्रमाण की आवश्यकता अवष्य होती है ।  वह उसे स्वीकार करने से पहले इसे देख लेना चाहते हैं। और इन्हें किसी नए तौर-तरीके विचार उत्पाद को स्वीकार कर आने के लिए आवश्यक है कि इनके समक्ष कुछ ऐसे प्रमाण कार्य आदि प्रस्तुत किया जाए जो कि जिससे कि इन्हें इस बात के प्रति विश्वास बन जाये कि इससे उनका लाभ है। इसके लिए उन्हें इन तरीकों के सफलता की कहानी के प्रमाण और उसके प्रभाव के प्रमाण देने की आवश्यकता होती है ।

      देर से ग्रहण करने वाला समूह

      इस समूह के अंतर्गत वे लोग आते हैं जो कि किसी भी प्रकार के बदलाव के प्रति रुचि रखते हैं और वे तभी स्वयं में किसी भी प्रकार का बदलाव ले आते हैं जबकि समाज का एक बहुत बड़ा भाग इसे स्वीकार कर लिया रहता है। अतः इन्हें जब किसी ने प्रकार के विचार को स्वीकार करना रहता है तो उसमें इनके समक्ष उन लोगों की संख्या प्रस्तुत की जाती है जो कि पहले से ही उसे स्वीकार कर लिए रहते हैं और वह सफलतापूर्वक उसे अपनाए रहते हैं।

      आखिरी समूह 

      आखिर में वह समूह आता है जो कि किसी भी प्रकार के बदलाव के प्रति बिल्कुल अनमनयस्क होता है । ये पारम्परिक तौर तरीके के प्रबल समर्थक होते हैं। इन्हें किसी भी प्रकार के नए विचार या तरीका अपनाना  सबसे कठिन होता है। इन्हें बदलाव के लिए ऐसे तरीके अपनाने पड़ते हैं जिससे कि वह बदलने की आवश्यकता के लिए मजबूर हो। इसलिए इन्हें सभी लोगों को विभिन्न प्रकार के आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं । इनको नये विचार न अपनाने पर नकारात्मक परिणाम भी दिखाया जाता है ।

      नये विचार ग्रहण करने की प्रक्रिया –

      अब हम उस विभिन्न चरण की चर्चा करते हैं जिससे हो करके या अपना करके कोई व्यक्ति नये तरीके अपनाता है और नूतनता के विसरण की प्रक्रिया पूरी होती है। इसके अंतर्गत जागरूकता सबसे पहले आता है । इसका आशय यह है कि किसी भी प्रकार के नूतन विचार, कार्य, व्यवहार, उत्पाद की आवश्यकता को बताया जाता है और उसके पश्चात निर्णय की प्रक्रिया आती है जिसमें की वह नए तौर-तरीके विचार आचार को स्वीकार करता है अथवा उसे इनकार करता है। फिर इस प्रकार के नए तौर-तरीके आचार विचार का आरंभिक जांच किया जाता है और उसके पश्चात उसे उपयोग करने की प्रक्रिया को जारी रखा जाता है। कई ऐसे कारक हैं जो कि किसी प्रकार के विचार  स्वीकार  की करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं । यहां पर पांच मुख्य ऐसे कारक जो कि किसी नए विचार को स्वीकार करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं । यह प्रभाव भिन्न-भिन्न लोगों पर भिन्न-भिन्न तरीके से होता है।

      इसमें सबसे पहला कारक तो अपेक्षाकृत लाभ या सुविधा को देखा जाता है कि जो नया विचार तौर तरीका है, क्या वह वर्तमान तौर तरीके से बेहतर है जिसको वह स्थानांतरित कर रहा है। दूसरा कारक यह भी देखा जाता है कि यह कितना अनुकूल, सरल और आसान है। अगर यह आसान होता है तो उसे स्वीकार करना भी आसान रहता है। तीसरा कारक वह जटिलता है जो कि नए विचारों को ग्रहण करने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है । वह विचार और तरीका कितना कठिन है और जटिल है। चैथा कारक परीक्षण की सहुलियत है जो कि किसी नए विचार को ग्रहण करने की प्रक्रिया प्रभावित करता है।  वास्तविक रूप से उसे ग्रहण करने से पहले परीक्षण में सहूलियतपूर्वक कर लिया गया तो उसे स्वीकार करने की संभावना बढ़ जाती है। सबसे आखिर में वह निरीक्षण है जिससे पता चलता है कि नए तौर-तरीके विचार ने कितना वास्तविक बेहतर परिणाम उपलब्ध कराया है ।

      नूतनता के विसरण का सिद्धान्त की सीमाएं- 

      इस सिद्धांत के कई सीमाएं भी है । यहाॅ पर उनके बारे में संक्षेप में चर्चा की गयी है।

       इसमें सहभागितापूर्ण तरीके से किसी नए तरीके को स्वीकार करने की प्रक्रिया का वर्णन नहीं किया गया है ।

        -.यह उन परिस्थितियों में कहीं अधिक बेहतर तरीके से कार्य करता है जिसमें कि किसी तो तरीके को छोड़ने के बजाय नए तौर-तरीके को ग्रहण करने की बात कही गई रहती है।

       – इसी प्रकार से यह किसी व्यक्ति के निजी साधन तौर तरीके, मदद की प्रक्रिया को ध्यान में नहीं रखते हैं।

      – किंतु इन सारी सीमाओं के बावजूद डिफ्यूजन आफ इन्नोवेशन सिद्धांत का अपने तरीके से काफी अधिक महत्व है । इस सिद्धांत का उपयोग विभिन्न क्षेत्र में बहुत ही सफलतापूर्वक किया गया है। इसके अंतर्गत जनसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, सामाजिक क्रिया कलाप, मार्केटिंग आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर कि लोगों को नये व्यवहार एवं विचार को स्वीकार करने के लिए इसका उपयोग किया गया है । यह सिद्धांत वर्तमान में भी एक महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में जाना जाता है

      Tags: E.M.Rogers
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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