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      Home Media Study Material Communication Theory & Models

      Development Communication Press Theory

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      1 month ago
      in Communication Theory & Models, Media Study Material
      0

      Development Communication Press Theory डेवलपमेंट कम्युनिकेशन थ्योरी ऑफ प्रेस

      सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्रीय विकास की दिशा में जनसंचार की भूमिका

       1. Introduction- जनसंचार (Mass Communication) का अर्थ केवल सूचना या मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह समाज के विकास का सशक्त माध्यम है। इसी सोच ने डेवलपमेंट कम्युनिकेशन थ्योरी (Development Communication Theory) को जन्म दिया जिसे “विकासोन्मुख पत्रकारिता” या “विकास संचार सिद्धांत” भी कहा जाता है। यह सिद्धांत कहता है कि मीडिया का उद्देश्य केवल खबर देना नहीं, बल्कि समाज के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में योगदान देना है। अर्थात्, प्रेस को राष्ट्र-निर्माण का सक्रिय साधन बनना चाहिए। यह सिद्धांत विशेष रूप से विकासशील देशों (Developing Nations) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहाँ मीडिया को “प्रेरक शक्ति” (Catalyst of Change) के रूप में देखा गया।  

       2. परिभाषा / Definition-  डेवलपमेंट कम्युनिकेशन थ्योरी के अनुसार — “Media should be used as an instrument to promote national development, educate citizens, and support the goals of progress and modernization.”  अर्थात्  “मीडिया को राष्ट्रीय विकास, नागरिकों की शिक्षा, प्रगति और आधुनिकीकरण के उद्देश्यों को बढ़ावा देने के उपकरण के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।” यह सिद्धांत प्रेस की भूमिका को जनजागरूकता, सामाजिक सुधार, और नीति-समर्थन के संदर्भ में परिभाषित करता है।

       3. मूल अवधारणा / Original Concept( Development Communication Press Theory)

      डेवलपमेंट कम्युनिकेशन थ्योरी की वैचारिक नींव 1950 और 1960 के दशक में रखी गई, जब अनेक एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश उपनिवेशवाद से मुक्त होकर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहे थे। इस सिद्धांत के प्रवर्तक प्रमुख विद्वान विल्बर श्रैम (Wilbur Schramm) माने जाते हैं। उन्होंने कहा — “Communication is the bridge between modernization and development.”

      अर्थात्, संचार ही विकास और आधुनिकीकरण के बीच का पुल है। इसी काल में डैनियल लर्नर (Daniel Lerner) ने अपनी पुस्तक “The Passing of Traditional Society” (1958) में बताया कि मीडिया समाज में आधुनिक सोच को बढ़ावा देकर परिवर्तन लाने का माध्यम बन सकता है। बाद में एवरेट रोजर्स (Everett M. Rogers) ने “Diffusion of Innovations” (1962) में यह समझाया कि किस प्रकार सूचना और नवाचार का प्रसार (Diffusion) सामाजिक व्यवहार को बदल सकता है। इस प्रकार, इस सिद्धांत का उद्देश्य मीडिया को सामाजिक-आर्थिक विकास की प्रक्रिया का सहयोगी उपकरण (Development Tool) बनाना था।

       4. सिद्धांत की प्रमुख विशेषताएँ / Main Characteristics (Development Communication Press Theory)

      (1) राष्ट्रीय विकास का उपकरण (Media as a Tool for National Development)- मीडिया का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र के विकास कार्यक्रमों — जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, परिवार नियोजन, पर्यावरण संरक्षण — को जनसाधारण तक पहुँचाना है।

      (2) सरकारी नीतियों का प्रसार (Dissemination of Government Policies)- मीडिया सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करता है। विकास योजनाओं, सरकारी अभियानों और नीतियों को सरल भाषा में आम जनता तक पहुँचाना इसका प्रमुख कार्य है।

      (3) जनता की जागरूकता और प्रेरणा (Public Awareness and Motivation)-मीडिया का कार्य केवल सूचना देना नहीं, बल्कि जनता को प्रेरित करना भी है ताकि वे सामाजिक सुधार और विकास कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लें।

      (4) स्थानीय समस्याओं पर ध्यान (Focus on Local Needs)- मीडिया को स्थानीय स्तर की समस्याओं और विकास से जुड़ी जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

      (5) शिक्षा और साक्षरता में भूमिका (Educational and Literacy Role)- रेडियो, टेलीविजन और समाचार पत्रों के माध्यम से मीडिया जनता में साक्षरता, स्वास्थ्य और तकनीकी जानकारी फैलाने का कार्य करता है।

      (6) सकारात्मक पत्रकारिता (Positive and Constructive Journalism)- इस सिद्धांत में मीडिया को आलोचना के बजाय निर्माणात्मक और समाधानमुखी दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी जाती है।

      (7) राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सामंजस्य (National Integration and Social Harmony)

      मीडिया को समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता, सद्भाव और सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए।

       5. ऐतिहासिक और व्यवहारिक उदाहरण / Historical and Practical Examples

      भारत में डेवलपमेंट कम्युनिकेशन सिद्धांत को स्वतंत्रता के बाद सबसे अधिक महत्व मिला। 1950–60 के दशक में ऑल इंडिया रेडियो (AIR) ने “सामुदायिक विकास कार्यक्रम”, “कृषि दर्शन” और “योजना वार्ता” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण विकास और शिक्षा को बढ़ावा दिया। इसी प्रकार, दूरदर्शन ने “हम लोग”, “भारत एक खोज”, “नीलमघर”, “कृषि विज्ञान” जैसे कार्यक्रमों से जन-जागरूकता फैलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। बंगलादेश, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में भी मीडिया ने साक्षरता अभियान और परिवार नियोजन जैसी योजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाई। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि डेवलपमेंट कम्युनिकेशन सिद्धांत ने मीडिया को “सामाजिक परिवर्तन का माध्यम” बना दिया।

       6. सीमाएँ / Limitations (Development Communication Press Theory)

      हालाँकि यह सिद्धांत विकासशील देशों में अत्यंत उपयोगी रहा, पर इसके कुछ महत्वपूर्ण दोष भी हैं —

      (1) सरकारी नियंत्रण का खतरा (Risk of State Control)- कई बार “विकासोन्मुख पत्रकारिता” के नाम पर सरकार मीडिया पर नियंत्रण स्थापित कर लेती है, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।

      (2) आलोचना की कमी (Lack of Critical Journalism)-विकास के प्रचार पर केंद्रित रहने से मीडिया आलोचनात्मक दृष्टिकोण खो देता है और सरकारी योजनाओं की कमियों को उजागर नहीं कर पाता।

      (3) एकतरफा संचार (One-Way Communication)-इस सिद्धांत में अक्सर सरकार “बोलने वाली” और जनता “सुनने वाली” बन जाती है। जनता की प्रतिक्रिया या सहभागिता सीमित रह जाती है।

      (4) स्थानीय आवाज़ों की अनदेखी (Neglect of Local Diversity)-राष्ट्रीय विकास के बड़े अभियानों में कई बार स्थानीय संस्कृति और भाषा की उपेक्षा हो जाती है।

      (5) संसाधन और प्रशिक्षण की कमी (Lack of Infrastructure and Skilled Manpower)-कई विकासशील देशों में मीडिया संस्थानों के पास तकनीकी संसाधन और प्रशिक्षित जनशक्ति का अभाव होता है।

       7. वर्तमान समय में प्रासंगिकता / Relevance Today

      आज के वैश्विक युग में डेवलपमेंट कम्युनिकेशन सिद्धांत की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। अब “विकास” केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं, बल्कि मानव विकास, लैंगिक समानता, पर्यावरण संतुलन और सतत विकास (Sustainable Development) जैसे नए आयामों को भी शामिल करता है। डिजिटल युग में सोशल मीडिया, मोबाइल पत्रकारिता और डेटा जर्नलिज़्म के माध्यम से विकास संबंधी सूचनाएँ पहले से कहीं अधिक तेज़ी और गहराई से फैल रही हैं। “स्वच्छ भारत मिशन”, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”, “डिजिटल इंडिया” और “जल जीवन मिशन” जैसे अभियानों में मीडिया की भूमिका डेवलपमेंट कम्युनिकेशन की उत्कृष्ट मिसाल है। संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) को प्राप्त करने के लिए भी आज मीडिया को जिम्मेदार और प्रेरक भूमिका निभानी पड़ रही है। इस प्रकार, यह सिद्धांत अब “स्मार्ट कम्युनिकेशन फॉर स्मार्ट डेवलपमेंट” के नए युग में प्रवेश कर चुका है।

       8. निष्कर्ष / Conclusion- डेवलपमेंट कम्युनिकेशन थ्योरी ऑफ प्रेस ने यह स्थापित किया कि मीडिया केवल सूचना देने या मनोरंजन करने का साधन नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने और राष्ट्र निर्माण का शक्तिशाली उपकरण है। इस सिद्धांत ने मीडिया को “विकास भागीदार” (Development Partner) के रूप में स्थापित किया। हालाँकि इसमें स्वतंत्रता और आलोचना के अभाव जैसी सीमाएँ हैं, फिर भी यह सिद्धांत विकासशील देशों के लिए सबसे उपयुक्त मॉडल माना जाता है। “संचार तभी सार्थक है जब वह समाज को सोचने, समझने और बदलने की दिशा में प्रेरित करे।” आज के दौर में जब दुनिया “समावेशी विकास” की बात कर रही है, तब यह सिद्धांत हमें याद दिलाता है कि मीडिया का असली दायित्व है — समाज को आगे ले जाना, न कि केवल समाचार पहुँचाना। Development Communication Press Theory

      Libertarian Free Press Theory Authoritarian Press Theory

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      Dr. Arvind Kumar Singh

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