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      Home Media Study Material Communication

      How to start an effective speech कैसे शुरुआत करें प्रभावी भाषण

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      2 months ago
      in Communication, Human Communication, Media Study Material
      0

      How to start an effective speech

      व्यावहारिक जीवन में हमें कई बार सार्वजनिक सभी सम्मेलनों में बोलने की आवश्यकता होती है। हम यह की सकते हैं कि भाषण देने की आवश्यकता होती हैं। यह अवसर धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम से ले करके विशुद्ध राजनीतिक अवसर पर आ सकते हैं। कई बार जिस किसी विभाग ,ऑफिस में हम कार्य करते हैं , वहॉं पर भी इस प्रकार के काई न कोई कार्यक्रम होते हैं जिसमें कि लोगों को संबोधित करना रहता है। यह एक बहुत ही छोटा ही अवसर होता है, किन्तु अपने आप में महत्वपूर्ण होता है। कम से कम जितने अवधि तक व्यक्ति संवाद करता है ,उस दौरान लोगों का ध्यान व्यक्ति पर रहता है और इस दौरान उसके द्वारा कही गयी बातों के आधार पर लोग व्यक्ति के बारे में भी लोग अपनी धारणा बनाते हैं। किन्तु इ सिर्फसमें सबसे महत्वपूण भाग व्यक्ति द्वारा कहीे जाने वाली आरम्भिक बातें होती है। इसमें हम भाषण का इन्टों कह सकते है। भाषण की शुरुआत किसी संगीत के पहले सुर जैसी होती है। अगर वह सुर सही लगे, तो पूरा संगीत मधुर बन जाता है। ठीक उसी तरह भाषण का परिचय अगर प्रभावशाली और भावनात्मक हो, तो श्रोता पूरे भाषण में रुचि रखते हैं। परिचय वह क्षण होता है जब वक्ता श्रोताओं के मन में अपनी जगह बनाता है। इसलिए आरंभ हमेशा सोच-समझकर, भावपूर्ण और आकर्षक होना चाहिए। नीचे कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिनसे आप अपने भाषण की शुरुआत यादगार बना सकते हैं, ताकि श्रोता पहले ही पल से आपसे जुड़ जाएँ।

      उद्धरण के माध्यम से शुरुआत

      भाषण का आरम्भ किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के उद्धरण से किया जाता है। इस प्रकार से शुरुआत करने से भाषण को गहराई और विचारशीलता मिलती है। उद्धरण श्रोताओं को तुरंत सोचने पर मजबूर करता है और आपके विषय को किसी महापुरूष विद्वान का नैतिक या बौद्धिक आधार तैयार करता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप नेतृत्व पर बोल रहे हैं, तो आप कह सकते हैं – “चरित्र नेतृत्व का आधार है।” यह तरीका आपके ज्ञान और अध्ययनशीलता को भी दर्शाता है। उद्धरण विषय को भी गंभीरता मिलती है और श्रोता समझ जाते हैं कि वक्ता एक अध्ययन मनन करने वाला व्यक्ति है और वह किसी उद्देश्य से बोल रहा है, न कि केवल समय व्यतीत करने के लिए आया है।

      कहानी या प्रसंग से आरंभ Importance of Intro in Speech भाषण के आरंभिक शब्दों का महत्व

      कहानी सुनना हर व्यक्ति को पसंद होता है। जब आप किसी छोटी, प्रेरक या वास्तविक घटना से शुरुआत करते हैं, तो श्रोता तुरंत जुड़ जाते हैं। कहानी भावनाओं को जगाती है और विषय को जीवन्त बना देती है। जैसे “एक बार एक गरीब परिवार का एक छोटा बच्चा वैज्ञानिक बनने का निश्चय किया, लेकिन न केवल उसके पड़ोसी एवं गॉव वाले वरन् विद्यालय में भी उसका मजाक उड़ाया गया।” ऐसी शुरुआत श्रोताओं में उत्सुकता पैदा करती है फिर “अब आगे क्या हुआ?” इस तरह आपका भाषण एक अनुभव बन जाता है, केवल मात्र सूचना ही नही रह जाती है।

      प्रश्न पूछकर शुरुआत
      भाषण के आरम्भ में श्रोताओं से प्रश्न पूछना उन्हें मानसिक रूप से सक्रिय करने का एक अच्छा भाषण करने का तरीका है। यह एक कौतुहलता पैदा करती है और श्रोताओं को निष्क्रिय हो करके सुनने से हटाकर चिन्तन मनन एवं सोचने पर मजबूर करता है। उदाहरण “क्या आपने कभी सोचा है कि वास्तविक खुशी कब होती है?” ऐसे प्रश्न श्रोताओं को खुद से जोड़ते हैं। वे मन में उत्तर खोजने लगते हैं। जब आप बाद में उस प्रश्न का उत्तर देते हैं, तो उन्हें संतुष्टि मिलती है। इस तरह आप एक मानसिक यात्रा पर उन्हें साथ ले जाते हैं।

      आँकड़ों या तथ्यों से शुरुआत
      हर विषय के सन्दर्भ में विविध प्रकार के तथ्य एवं ऑकड़े भी होते है। यदि यह सम सामयिक एवं विषय से सीधा जुड़ा हुआ है तो ऐसे चौंकाने वाला तथ्य या आँकड़ा आपके भाषण को तुरंत गंभीर बना देता है। इससे विषय की वास्तविकता और महत्त्व स्पष्ट होता है। उदाहरण “भारत में हर साल करोड़ों की संख्या में लगाये जसने वाले पौधों में से आधे भी नही बच पाते हैं।” इस तरह की शुरुआत से श्रोता विषय की गंभीरता महसूस करते हैं और सोचते हैं कि इस समस्या का समाधान क्या है। तथ्य हमेशा विश्वसनीय स्रोत से लिए जाने चाहिए ताकि आपकी बात भरोसेमंद लगे।

      हास्यपूर्ण अंदाज में शुरुआत How to start an effective speech

      यदि स्थिति अनुसार थोड़ा सा हल्का हास्य से भी भाषण को आरम्भ किया जा सकता है। यह वातावरण को सहज और दोस्ताना बना देता है। इससे वक्ता और श्रोता के बीच दूरी कम होती है। उदाहरण “कहते हैं कि भाषण में दो ही अवसर पर लोग ध्यान देते है। एक जब पहला वक्ता बोलता है, दूसरा जब आखिरी वक्ता आता है।” ऐसी शुरुआत मुस्कान के साथ माहौल को गर्मजोशी देती है। लेकिन ध्यान रखें, हास्य मर्यादित और विषयानुकूल हो। व्यंग्य या मजाक ऐसा न हो जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाए। इसी प्रकार से इसे लम्बा नही करना चाहिए अन्यथा विषय एवं वक्ता के प्रति लोगों की गंभीरता घट जाती है।

      कविता या शेर से शुरुआत


      कविता, दोहा या शेर भाषण में भावना और सौंदर्य दोनों जोड़ देते हैं। यह शैली विशेष रूप से तब असरदार होती है, जब विषय भावनात्मक या देशभक्ति से जुड़ा हो। उदाहरण- “ कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे-जहाँ हमारा।” ऐसे शब्द श्रोताओं के दिल में भावना और प्रेरणा दोनों जगाते हैं। किन्तु इस प्रकार के कविता , शेर को थोड़ा भाव के साथ पढ़ना चाहिए।

      कल्पना या दृश्य चित्रण से शुरुआत

      श्रोताओं को किसी दृश्य की कल्पना करने को कहना एक रचनात्मक और असरदार तरीका है। इससे भाषण तुरंत चित्रात्मक बन जाता है। उदाहरणर- “जरा कल्पना कीजिए, अगर एक सुबह उठे और आपके आस पास के सभी पेड़ गायब हैं।” ऐसा आरंभ श्रोता को भावनात्मक और बौद्धिक रूप से शामिल करता है, जिससे वे विषय में गहराई से सोचने लगते हैं।

      व्यक्तिगत अनुभव से शुरुआत How to start an effective speech

      अपना अनुभव साझा करना भाषण को सच्चा और विश्वसनीय बनाता है। यह अपने आप में बिल्कुल अनूठा भी होता है। लोग तब ज्यादा ध्यान देते हैं जब उन्हें लगता है कि वक्ता अपनी जिंदगी से बोल रहा है। उदाहरण “जब मैंने पहली बार तैरने गया तो लगा कि डूब ही जाउॅगा।” ऐसे अनुभव श्रोता को यह एहसास दिलाते हैं कि वक्ता भी उन्हीं की तरह इंसान है, जिसने डर या संघर्ष झेला है। इससे विश्वास और भावनात्मक जुड़ाव दोनों बढ़ता है।

      उद्धरण प्रश्न का संयोजन
      कभी-कभी दो तरीकों को मिलाकर और भी असरदार शुरुआत की जा सकती है। पहले किसी उद्धरण से विचार जगाएँ, फिर प्रश्न से सोचने को प्रेरित करें। उदाहरणरू “डॉ. कलाम ने कहा था – ‘सपना वो नहीं जो सोते वक्त आता है, सपना वो है जो हमें सोने नहीं देता।’ तो क्या अब आप सभी सपने देखने का साहस रखते हैं?” इस तरह की शुरुआत में भावना और तर्क दोनों जुड़ जाते हैं।

      विषय की प्रासंगिकता बताकर शुरुआत How to start an effective speech

      श्रोताओं को यह महसूस कराना जरूरी है कि आपका विषय उनके जीवन से जुड़ा है। जब लोग खुद को विषय में देखते हैं, तो वे पूरे ध्यान से सुनते हैं। उदाहरणर- “आज जब डिजिटल मीडिया का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है, और यह हमारे सोच एवं स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रहा है, तब ‘सूचना के तौर तरीके और नैतिकता’ पर बात करना बहुत जरूरी हो गया है।” यह तरीका आधुनिक भाषणों में विशेष रूप से उपयोगी है।

      निष्कर्ष –
      भाषण का परिचय एक ज्योति की तरह होता है जो पूरी बात को प्रकाश देता है। यदि शुरुआत प्रभावी हो, तो श्रोता अंत तक जुड़े रहते हैं। चाहे आप जो कहानी सुनाएँ, तथ्य बताएँ, या उद्धरण का प्रयोग करें । उद्देश्य यही होना चाहिए कि श्रोता महसूस करें कि “यह बात मेरे लिए है।” एक अच्छा परिचय न केवल ध्यान आकर्षित करता है, बल्कि संदेश की नींव भी मजबूत करता है। इसलिए हर वक्ता को चाहिए कि वह अपने भाषण की शुरुआत सोच-समझकर करे, क्योंकि वही पूरे भाषण की आत्मा होती है। How to start an effective speech

      Tags: effective communication
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      Dr. Arvind Kumar Singh

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