India’s Bold Step Against Deepfake Threat एआई जनित ऑडियो-वीडियो पर सरकार का नया नियम: समाज को डीप फेक से बचाने की पहल
भारत सरकार ने हाल के समय में सोशल मीडिया पर बढ़ रही एआई (Artificial Intelligence) द्वारा निर्मित फर्जी ऑडियो और वीडियो सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार जल्द ही ऐसा नियम लागू करने जा रही है जिसके तहत फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (ट्विटर) जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डाली जाने वाली एआई जनित सामग्री पर “AI Generated” या “Synthetic Media” लेबल लगाना अनिवार्य होगा। इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति यह जान सके कि जो वीडियो या ऑडियो वह देख या सुन रहा है, वह वास्तविक नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से तैयार किया गया है।
सरकार का प्रस्ताव और जिम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस संबंध में एक मसौदा नियमावली जारी की है। इस मसौदे पर सभी संबंधित पक्षों — सोशल मीडिया कंपनियों, विशेषज्ञों और नागरिकों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। इस नियम के तहत —
- सभी इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी होगी कि वे यह पहचानें कि कोई सामग्री एआई द्वारा बनाई गई है या नहीं।
- यदि सामग्री एआई जनित पाई जाती है, तो उसे अपलोड करने से पहले या तुरंत बाद स्पष्ट चेतावनी लेबल लगाना होगा।
- सरकार ने बताया है कि प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों ने इस प्रक्रिया में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है और कहा है कि ऐसी तकनीकी लेबलिंग संभव है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, संसद और विभिन्न सामाजिक मंचों पर डीप फेक और भ्रामक एआई कंटेंट को नियंत्रित करने की मांग लगातार उठ रही थी। इसलिए यह नियम आम नागरिकों की मांग और समाज की सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है।
डीप फेक क्या है? Digital arrest किसे कहते हैं डिजिटल अरेस्ट
“डीप फेक” शब्द “Deep Learning” और “Fake” से मिलकर बना है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके किसी व्यक्ति की आवाज, चेहरा या हावभाव को इस तरह बदला जाता है कि वह वास्तविक लगने लगता है। fake news
आजकल इंटरनेट पर हजारों ऐसे वीडियो और ऑडियो सामग्री डाली जा रही हैं जो पूरी तरह एआई से बनाई गई हैं। कई बार ये इतने वास्तविक लगते हैं कि सामान्य व्यक्ति के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि यह नकली है या असली। इन वीडियो में अक्सर किसी व्यक्ति को झूठे या विवादास्पद बयान देते हुए दिखाया जाता है। कई बार ऐसे डीप फेक वीडियो राजनीतिक प्रचार, चरित्र हनन या धार्मिक उकसावे के लिए भी बनाए जाते हैं।
एआई जनित कंटेंट के नकारात्मक प्रभाव How to check fake news
- सामाजिक नुकसान:
डीप फेक तकनीक से बने वीडियो और ऑडियो समाज में भ्रम और गलतफहमियाँ फैलाते हैं। झूठी खबरें और भ्रामक दृश्य लोगों को गुमराह कर देते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है। - व्यक्तिगत नुकसान:
किसी व्यक्ति की छवि खराब करने के लिए उसकी नकली आवाज या चेहरा इस्तेमाल किया जाता है। इससे उसकी प्रतिष्ठा, नौकरी और निजी जीवन पर बुरा असर पड़ता है। - राजनीतिक दुरुपयोग:
चुनाव के समय किसी प्रत्याशी के खिलाफ फर्जी वीडियो बनाकर जनता को भ्रमित किया जाता है। इस तरह के वीडियो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करते हैं। - मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
लगातार ऐसे भ्रामक दृश्य देखकर लोग वास्तविकता और कल्पना में अंतर नहीं कर पाते। इसका प्रभाव बच्चों और युवाओं पर विशेष रूप से देखा गया है।
समाज और सरकार की चिंता
पिछले कुछ वर्षों में डीप फेक की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। लोग बिना जांचे-परखे किसी भी वायरल वीडियो को सच मान लेते हैं और उसके आधार पर राय बना लेते हैं। इससे समाज में अविश्वास और गुमराह करने वाली प्रवृत्तियाँ बढ़ने लगी हैं। इन्हीं चिंताओं को देखते हुए समाज के विभिन्न वर्गों — पत्रकारों, शिक्षकों, विशेषज्ञों और आम नागरिकों — ने सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की थी। सरकार की यह नई पहल उसी दिशा में एक सकारात्मक और ठोस कार्रवाई है।
सरकार का यह प्रयास केवल तकनीकी नियम नहीं बल्कि डिजिटल पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर उत्तरदायित्व (Accountability) बढ़ेगा, और उपयोगकर्ताओं को यह समझने में आसानी होगी कि जो कंटेंट वे देख रहे हैं, उसकी प्रकृति क्या है। भविष्य में यह नियम न केवल डीप फेक को नियंत्रित करेगा बल्कि डिजिटल मीडिया में सत्य और असत्य के बीच की रेखा को भी स्पष्ट करेगा। एआई जनित ऑडियो और वीडियो अब मनोरंजन के साथ-साथ भ्रम फैलाने का साधन भी बन गए हैं। ऐसे में भारत सरकार की यह पहल — एआई कंटेंट पर अनिवार्य लेबलिंग का नियम — समय की मांग और समाज की सुरक्षा दोनों के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह कदम नागरिकों को जागरूक करेगा, गलत सूचना पर अंकुश लगाएगा और डिजिटल दुनिया को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएगा। India’s Bold Step Against Deepfake Threat
