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      News Follow up समाचार का पीछा करना

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Print Media
      0

      News follow up is given to present perfect story. The article is all about the news follow up

      News follow up न्यूज फॉलो अप

      What is communication ?

                     समाचार रिपोर्टिंग के अंतर्गत एक बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द न्यूज़ फालो अप का इस्तेमाल किया जाता है । इसका अर्थ समाचार का पीछा करना होता है । आगे इसी के बारे में हम चर्चा करने जा रहे हैं। जनमाध्यमों में जो समाचार दिए जाते हैं उनमें से बहुत से समाचार एक बार रिपोर्टिंग करके समाप्त कर दिए जाते है। किंतु बहुत बड़ी संख्या में ऐसी घटनाएं होती हैं जिनमें कि सिर्फ एक बार ही समाचार दे कर के वह पूर्ण नहीं हो पाती हैं, वरन घटना के घटित होने की प्रकृति के अनुसार बाद में भी उसके बारे में समाचार दिए जाते रहते हैं । इस प्रकार के समाचार कई बार तो सप्ताह और महीनों तक चलते रहते हैं। बहुत से ऐसे घटनाक्रम होते हैं जिनमें कि पहली बार जब समाचार दिए जाते हैं,उसके बाद उसके इतने अन्य पहलू होते हैं जिसके बारे में भी सतत रूप में समाचार दिए जाने की आवश्यकता होती है। वे अपने आप में समाचार होते हैं और लोगों की उसमें काफी रूचि होती है। इस प्रकार से किसी घटना के घटित होने के बाद उसके बारे में अन्य महत्वपूर्ण बातों एवं घटनाओं को फालो अप के रूप में ही समाचार दिया जाता है।

      Importance of News follow up समाचार फॉलोअप का महत्व


      किसी घटना के फॉलो अप के रूप में समाचार देने का अपना एक अलग महत्व है। विभिन्न प्रकार की घटनाओं के पूर्ण होने का अपना कोई निश्चित स्वरूप नहीं होता है। किसी घटना होने के पश्चात उससे जुड़ी कई घटनाएं होती रहती हैं। उसे भी लोगों को बताने की आवश्यकता होती है। घटनाओं की अपनी सिलसिला होता है। लोगों की उसमें रूचि भी होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई अपराध संबंधी घटना पहली प्रकाशित होती है तो फिर अपराधी के पकड़े जाने की समाचार के बारे में भी लोगों की उत्सुकता होती है। इसके बारे में बताएं जाने की भी आवश्यकता होती है। इस प्रकार से –


      समाचार फॉलो अप घटनाओं के बाद के महत्वपूर्ण पहलू को बताता है।
      समाचार फॉलोअप लोगों की उत्सुकता को शांत करता है।
      समाचार का फॉलोअप घटना के महत्व को भी दर्शाता है।
      यह घटनाओं के अन्य पहलू के बारे में जानकारी देता है।
      यह घटना के वर्णन का एक पूर्ण स्वरूप प्रदान करता हैं।
      इससे लोगों को घटना को सही तरीके से जानने में मदद मिलती है।
      इसके माध्यम से घटनाओं को एक प्रचार प्रसार भी मिलता है। इसका विभिन्न ढंग से उपयोग किया जाता है।

             घटनाओं के फॉलोअप देने से उस के संदर्भ में संबंधित व्यक्ति प्रशासन को कार्य करने का दबाव और आवश्यकता भी महसूस होती है । उदाहरण के लिए यदि कोई अपराधिक घटना घटी है और फालो अप के रूप में उसके बारे में समाचार दिए जा रहे हैं तो पुलिस प्रशासन पर यह दबाव रहता है कि वह घटना के अपराधियों को पकड़े। जब कोई घटना घटित होती है तो कई बार उससे संबंधित अन्य बातें भी  महत्वपूर्ण हो जाती हैं। इसलिए फालो अप के रूप में उन पहलुओं को भी दिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का निर्णय लिया गया है तो उसके बारे में लोगों की क्या राय है अथवा उस निर्णय का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, यह समाचार फालो अप के रूप में दिया जा सकता है ।        

      Duration of News follow up समाचार फॉलो अप की अवधि


      समाचार फॉलो अप की अवधि किसी समाचार का कब तक फॉलो अप करना है, यह कार्य कई पहलुओं पर निर्भर करता है। यदि उस घटना के नए-नए प्रकार के महत्वपूर्ण पक्ष सामने आ रहे हैं, तो फिर उसके बारे में बताना आवश्यक हो जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी प्रकार का कोई अपराध हुआ है तो उसके बारे में पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी जाती है। फिर उस अपराध में शामिल लोगों के बारे में बाद में जानकारी मिलती है। उसके नए नए तथ्य मिलते जाते हैं तो उन्हें समाचार फालो अप के रूप में दिए जाते हैं। यदि कोई महत्वपूर्ण घटना घटित होने के बाद उसके बारे में लगातार नए-नए बातें सामने आ रही है तो उसे लगातार दिया जाता है । कई बार घटनाओं के घटित होने के पश्चात उसमे एक ठहराव भी आ जाता है और फिर कुछ समय पष्चात कुछ घटित होता है ऐसी स्थिति में फालो अप कुछ समय बाद दिया जाता है।


      कई बार किसी घटना को अधिक से अधिक प्रचारित प्रसारित और प्रकाश में लाने के उद्देश्य से भी उसे संबंधित नए नए तथ्यों की खोज करके उन्हें फॉलोअप के रूप में दिया जाता है । इसी प्रकार किसी घटना के घटित होने के तत्काल पश्चात और कोई उससे संबंधित ज्ञात नहीं हो पाता है तो फिर उसके बारे में तत्काल फॉलोअप नहीं हो पाता है । किंतु कुछ समय पश्चात यदि उसके बारे में कोई महत्वपूर्ण बात सामने आती है तो फिर उसे फॉलोअप के रूप में दिया जाता है।


      Formats of News Follow up फालो अप के स्वरूप


      किसी घटना का समाचार देने के बाद यह आवश्यक नहीं है कि उसको वह सिर्फ समाचार के रूप में ही किया जाता है। वरन फालों अप के अंतर्गत फोटो, साक्षात्कार, समाचार विश्लेषण और यहां तक की लेख आदि भी दिए जाते हैं। फालो अप के रूप में समाचार एक महत्वपूर्ण है प्रस्तुति है। किंतु जब किसी विशेष घटना के अन्य पहलुओं के बारे में अन्य रूपों में भी बातें दी जा सकती है तो उन रूपों में भी फॉलो अप किया जाता है। समाचार के फॉलो अप में किन रूपों में बातों को दिया जाना है, यह रिपोर्टर तय करता है । कई बार एक से अधिक स्वरूप में बातें दी जाती हैं। उदाहरण के लिए किसी घटना के घटित होने के पश्चात उसे संबंधित अन्य बातों को समाचार के रूप में तो दिया ही जाता है। उस के संदर्भ में संबंधित व्यक्ति से इंटरव्यू भी दिया जा सकता है। उससे संबंधित वह उपलब्ध फोटो भी दिए जा सकते हैं।


      कई बार कोई ऐसी घटना घटित होती है तो उसके बारे में लोगों के विचार सामने लाना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसी स्थिति में समाचार फॉलोअप के रूप में लोगों के मत को सामने लाना होता है। बहुत से ऐसी घटनाएं होती हैं जिसमें की ऐतिहासिक पक्षों को ढूंढने और उसका अध्ययन करके सामने लाना होता है। उस स्थिति में शोध सामग्रियों का विशेष अध्ययन करना पड़ता है। उसमें से तथ्यों को निकाल करके बातें देनी पड़ती है।


      Efforts for News Follow up फॉलोअप के लिए प्रयास


      फॉलो करने के लिए रिपोर्टर को कई तरीके से प्रयास करने पड़ते हैं। जब वह किसी घटना के बारे में सुनता है तो कई बार उस घटना के बारे में ऐतिहासिक पहलू के बारे जानकारी देनी होती है। कई बार उसके वैज्ञानिक पहलू या सामाजिक पहलू के बारे में जानकारी देनी होती है। इसके अन्तर्गत कई बार आवश्यक शोध करके उसके संबंधित ऐसे विवरण को प्रस्तुत करना होता है जिससे कि वह घटना स्पष्ट हो करके लोगों के सामने आए। यह सब क्रिया कलापों में समय की आवश्यकता होती है, किंतु इसे जितना ही अच्छी तरीके से शोध करके दिया जाता है, वह समाचार फॉलोअप के रूप में ही उतना ही अच्छा होता है।


      उदाहरण के लिए यदि किसी दिन बहुत भारी बरसात हुई तो फिर और उसे काफी नुकसान हुआ तो शोध के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि इसके पूर्व इस प्रकार के भारी वर्षा कब कब हुई है और उसके कारण क्या-क्या नुकसान हुए हैं इसके बारे में मौसम विभाग से जानकारी प्राप्त हो सकती है। इसी प्रकार से यदि किसी मंदिर आदि का जीर्णोद्धार किया जा रहा है तो यह अपने आप में एक समाचार तो है ही । किंतु उस मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व क्या है उसके बारे में भी समाचार दिया जा सकता है इसी प्रकार से उस के संदर्भ में लोगों के विचार भी दिए जा सकते हैं। क्या हर समाचार फॉलोअप के बारे में रिपोर्टर को ही निर्णय लेना होता है। कई बार बहुत सी छोटी घटना के संदर्भ में भी समाचार फॉलो अप करना होता है। बहुत से समाचारों के संदर्भ में फॉलो अप की गुंजाइश सदा बनी रहती है। समाचार का फॉलोअप समाचार के साथ ही दिए जा सकते हैं।


      Points to consider in News follow up फॉलोअप देने में ध्यान देने योग्य बातें


      समाचार फॉलो अप देने के दौरान कई बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। जब कोई समाचार का फॉलोअप दिया जाना है तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे किस फॉर्मेट में दिया जाना सबसे सही होगा। यदि किसी घटना का समाचार फॉलोअप काफी समय बाद दिया जा रहा है तो उसमें उचित यही होगा कि इस घटना के बारे में फालों दिया जा रहा है उसका भी बहुत ही संक्षेप में वर्णन कर दिया जाए। कई बार कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिसको कि पाठक या श्रोता भूल गए रहते हैं। ऐसे में जब समाचार का बैकग्राउंड बता दिया जाता है तो पाठक दिए गए समाचार को आसानी से समझ लेते हैं। प्रत्येक फॉलोअप अपने आप में इस तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि वह एक स्वतंत्र ढंग के समाचार लगे ना कि पूर्व समाचार की पुनरावृति के रूप में प्रस्तुत हो। समाचार फालो अप किसी घटना के एक माह से ले करके एक वर्ष बाद भी दिया जाता है जिसमें कि उसके पृष्ठभूमि दे करके वर्तमान स्थिति की जानकारी दी जाती है।
      इस प्रकार से समाचार का फॉलोअप समाचार रिपोर्टिंग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है । इसका अपना एक अलग महत्व है। इसे सही प्रकार से करने का प्रयास करना चाहिए। समाचार फालो अप के संदर्भ में कैसी तैयारी करते हैं इसके बारे में अलग व्याख्यान में चर्चा की गयी है।

      Tags: Communication
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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