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      Home Media Study Material Media Law

      Official Secret Act

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      1 month ago
      in Media Law, Media Study Material
      0
      Official Secret Act

      Official Secret Act परिचय 

      भारत में “अधिकारीय गुप्तता” के क्षेत्र में कानून की रूपरेखा स्थापित करने वाला प्रमुख कानून है Official Secrets Act, 1923 (संक्षिप्त : OSA 1923)। यह अधिनियम ब्रिटिश शासनकाल में पारित हुआ था जिसका मूल उद्देश्य सरकार के उन गोपनीय दस्तावेज़ों, योजनाओं, मॉडल्स, योजनाप्रस्तावों आदि की रक्षा करना , जिन्हें सुरक्षा-, रक्षा- या -गोपनीयता- कारणों से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। भारत में यह कानून आज भी लागू है और इसके तहत सरकार-सेवकों के साथ ही भारत के नागरिकों पर भी यह लागू होता है—यहाँ तक कि भारत के बाहर रहने वाले भारतीयों पर भी। कुल मिलाकर, यह कानून राज्य-गोपनीयता, राष्ट्रीय सुरक्षा, जासूसी, विदेशी एजेंटों के संपर्क व मशीनरी आदि के अपराधों को नियंत्रित करने हेतु है।


      आवश्यकता एवं महत्व Official Secret Act

      जब हम OSA 1923 की “ज़रूरत” और “महत्व” के बारे में बात करते हैं, तो नीचे कुछ बिंदु दिए जा सकते हैं:

      1. राष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा हित की रक्षा – आधुनिक भारत में जबकि सीमाएँ, रक्षा तंत्र, खुफिया जानकारी, गोपनीय सैन्य योजनाएँ आदि महत्वपूर्ण हैं, ऐसी जानकारी का अनधिकृत खुले में जाना देश की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। OSA इसी जरूरत को पूरा करता है कि संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग न हो। 
      1. राज्य-गोपनीयता बनाए रखना – सरकार-सेवाओं, रक्षा मंत्रालय, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के कार्यकलापों में गोपनीयता आवश्यक होती है। OSA इस गोपनीयता को कानूनी रूप से सुनिश्चित करता है।
      2. जासूसी, विदेशी एजेंटों से बचाव – विदेशी राज्य या एजेंटों को गोपनीय जानकारी देना, एजेंटों से संवाद करना, टेलीग्राफ़ या कूटसंवाद करना आदि की संभावना पर नियंत्रण-प्रभावी बनाने हेतु यह कानून बनाया गया।
      3. विश्वसनीयता व शासन-कार्यप्रणाली का भरोसा – यदि सरकार के गोपनीय दस्तावेज़ खुलकर बेधड़क सार्वजनिक हों, तो शासन-कार्य की प्रणाली का भरोसा गिर सकता है; इसलिए एक कानून की आवश्यकता थी।
      4. गरंतुकरण व शासन-यंत्र की अखंडता – संवेदनशील सूचनाओं का उपयोग गलत दिशा में होने से बचाने हेतु, OSA-1923 महत्वपूर्ण है।

      महत्व की बात यह भी है कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जानकारी का अधिकार (जैसे Right to Information Act, 2005) बढ़ रहा है, लेकिन सुरक्षा-हितों को भी संतुलित रखना पड़ता है। OSA-1923 इस संतुलन का एक घटक है।  हालाँकि आलोचनाएँ भी आई हैं—कि बहुत व्यापक व अस्पष्ट रूप से यह लागू हो रहा है, जिससे नागरिकों के सूचना-अधिकार पर असर हो सकता है। 


      प्रकार तथा प्रमुख धाराएँ (Sections) Official Secret Act

      यहाँ OSA 1923 की प्रमुख धाराएँ (Sections) क्रमवार-संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत की जा रही हैं, तथा प्रत्येक में क्या बातें कही गई हैं उसका सार। शुरू में अधिनियम का प्राविधान-संरचना (Arrangement) देना उपयुक्त होगा।

      अधिनियम का स्वरूप

      अधिनियम का शीर्षक (Short Title), प्रवर्तन क्षेत्र (Extent & Application), परिभाषाएँ (Definitions) आदि प्रमुख हैं।
      निम्नलिखित प्रमुख धाराएँ हैं:

      • धारा 1: Short title, extent and application
        धारा 2: Definitions
        धारा 3: Penalties for spying
        धारा 4: Communications with foreign agents to be evidence of commission of certain offences
        धारा 5: Wrongful communication, etc., of information
        धारा 6: Unauthorised use of uniforms; falsification of reports, forgery, personation, and false documents
        धारा 7: Interfering with officers of the police or members of the Armed Forces of the Union

      अब प्रत्येक प्रमुख धारा में क्या बातें कही गई हैं, उन्हें विस्तार से देखें: Official Secret Act

      धारा 1 – Short Title, Extent and Application

      इस धारा के अंतर्गत अधिनियम का नाम “The Official Secrets Act, 1923” निर्धारित किया गया है। साथ ही यह भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में लागू होगा। इसके तहत यह न सिर्फ भारत के नागरिकों पर, बल्कि भारत सरकार के सेवकों पर तथा भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होगा।
      सार रूप से, सरकार ने यह स्पष्ट किया कि इस कानून का दायरा व्यापक है और सिर्फ कुछ विभागों तक सीमित नहीं है।

      धारा 2 – Definitions (परिभाषाएँ) contempt of court

      इस धारा में अधिनियम में प्रयुक्त कुछ शब्दों और अभिव्यक्तियों की व्याख्या की गई है। जैसे—“place belonging to Government”, “communicating or receiving” जिसमें सिर्फ सूचना नहीं बल्कि योजनाएँ, मॉडल, नोट, दस्तावेज़ आदि शामिल हैं।
      उदाहरण के लिए: “communicating or receiving” में शामिल है पूरी सूचना, आंशिक जानकारी, उसका वर्णन या प्रभाव। इसी तरह “obtaining or retaining” में “copying or causing to be copied” की क्रिया भी शामिल है।
      इस प्रकार यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि कानून सिर्फ मूल दस्तावेज़ तक सीमित न रहे, बल्कि उसकी प्रतिलिपि, वर्णन, मॉडल किसी भी रूप में हों तो वह भी शामिल हो।

      धारा 3 – Penalties for Spying

      इस धारा के द्वारा “जासूसी” के अपराध के लिए दंड निर्धारित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे काम में लिप्त है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की रक्षा-, सुरक्षा-, विदेश संबंध- या अन्य संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग या खुलासा है, तो इस अधिनियम के तहत दंडित होगा।
      कानून यह भी कहता है कि व्यक्ति को सूचना-संचार, प्राप्ति, प्रतिलिपि बनाने, sketch/plan/model का खुलासा करने आदि के लिए दंडित किया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत कारावास तथा जुर्माना हो सकता है। 

      धारा 4 – Communications with Foreign Agents to be Evidence of Commission of Certain Offences

      इस धारा के अंतर्गत यह निर्धारित है कि यदि कोई व्यक्ति विदेशी एजेंटों से संवाद करता है, विशेष रूप से गोपनीय जानकारी के संदर्भ में, तो वह संवाद विशेष अपराधों का प्रमाण माना जा सकता है।
      यह धारा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विदेशी संबंधों तथा जासूसी-जाल के दृष्टिकोण से संवेदनशील है—यदि एक व्यक्ति विदेशी एजेंट से मिल रहा है, संवाद कर रहा है, तो यह साधारण बात नहीं, बल्कि कार्रवाई योग्य माना गया है।

      धारा 5 – Wrongful Communication, etc., of Information 

      इस धारा में यह प्रावधान है कि कोई व्यक्ति जो बिना अनुमति के — या अनधिकृत रूप से — सरकार-संबंधित गुप्त जानकारी का संप्रेषण, खुलासा, प्राप्ति, प्रतिलिपि आदि करता है, तो वह अपराध में शामिल माना जाएगा।
      उदाहरण के लिए: किसी सरकारी सचिव द्वारा गोपनीय सैन्य योजना का प्रतिलिपि तैयार करके उसे किसी अन्य को देना, या किसी व्यक्ति द्वारा गोपनीय दस्तावेज़ का वर्णन देना — यह इस धारा के दायरे में आता है।
      यहाँ यह विशेष है कि “जानकारी” से सिर्फ मूल दस्तावेज नहीं बल्कि उसका वर्णन, उसका प्रभाव, उसका मॉडल, कोई भी रूप शामिल है।

      धारा 6 – Unauthorised Use of Uniforms; Falsification of Reports, Forgery, Personation, and False Documents

      इस धारा में उन अपराधों का प्रावधान है जिनमें कोई व्यक्ति बिना अनुमति के सरकारी यूनिफॉर्म का उपयोग करता है, फर्जी रिपोर्ट देता है, कोई व्यक्ति बनकर काम करता है (personation), फर्जी दस्तावेज तैयार करता है — ये सभी अपराध इस अधिनियम के अंतर्गत दंड-योग्य हैं।
      उदाहरण के रूप में, यदि कोई नागरिक सैनिक का वर्दी पहनकर गुप्त स्थान में प्रवेश करे, या किसी सरकारी अधिकारी का नाम लेकर दस्तावेज बनवाए या रिपोर्ट देती हो कि वह अधिकारी ने इस तरह का कार्य किया—तो यह धारा लागू हो सकती है।

      धारा 7 – Interfering with Officers of the Police or Members of the Armed Forces of the Union

      इस धारा के अंतर्गत यह अपराध शामिल है कि यदि कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी या संघीय सशस्त्र बल के सदस्य के काम में बाधा डाले, उनके कर्तव्यों के निर्वहन में हस्तक्षेप करे, या उनको जानकारी छिपाने/प्रभावित करने का प्रयास करे — तो उस पर भी इस अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।
      यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि सिर्फ गुप्त जानकारी का खुलासा ही अपराध नहीं है, बल्कि सुरक्षा-संबंधित कामकाज में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप भी अपराध माना गया है।


      निष्कर्ष Official Secret Act मानहानि कानून Law of Defamation

      संक्षिप्त में कहें तो, Official Secrets Act, 1923 भारत में राज्यों द्वारा गोपनीय जानकारी की रक्षा, जासूसी-विरोधी कार्यवाही, विदेशी एजेंटों के संपर्क पर नियंत्रण, सुरक्षा-यंत्रणाओं की अखंडता बनाए रखने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधि-साधन है। इस अधिनियम ने देश की संवेदनशील सूचनाओं, योजनाओं, दस्तावेजों, मॉडल-योजनाओं आदि की अनधिकृत खुलासा एवं उपयोग को अपराध के दायरे में रखा है।

      हालाँकि यह कानून ब्रिटिश सत्ता के दौरान आरंभ हुआ था और स्वतंत्र भारत में आज भी चला आ रहा है, इसके साथ कुछ समकालीन चुनौतियाँ और आलोचनाएँ जुड़ी हुई हैं। जैसे- सूचना अधिकार (RTI) की स्थितियों में यह अधिनियम पारदर्शिता के आग्रह से टकराता दिखता है; कहीं-कहीं इसे ‘गुप्तता का अत्यधिक उपकरण’ कहा गया है।
      वर्तमान समय में यह महत्वपूर्ण हो गया है कि इस अधिनियम को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित और नागरिकों के सूचना-अधिकार के बीच संतुलन बनाने के दृष्टिकोण से पुनः समीक्षा किया जाए। यदि आवश्यकता हो तो इसे संशोधित किया जाना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक शासन-प्रनाली में गोपनीयता व पारदर्शिता दोनों का समुचित संतुलन हो सके।

      संक्षेप में—OSA 1923 ने अद्यतन भारत में सुरक्षा-हितों के लिए एक निरंतर बल का काम किया है, लेकिन इसे आधुनिक सूचना-परिवेश, नागरिक-अधिकारों तथा मीडिया-स्वतंत्रता के अनुरूप समायोजित करने की आवश्यकता निरंतर बनी हुई है।

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      Dr. Arvind Kumar Singh

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