Osgood–Schramm Model of Communication परस्पर संवाद पर आधारित आधुनिक संचार सिद्धांत
Osgood–Schramm Model of Communication 1. प्रस्तावना / Introduction संचार केवल एक दिशा में सूचना भेजने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह दो या अधिक व्यक्तियों के बीच सार्थक संवाद (Meaningful Interaction) की निरंतर प्रक्रिया है। जहाँ पहले के मॉडल (जैसे शैनन-वीवर या लैसवेल) संचार को रैखिक (Linear) मानते थे, वहीं चार्ल्स ई. ऑसगुड (Charles E. Osgood) और विल्बर श्रैम (Wilbur Schramm) ने 1954 में संचार की द्विपक्षीय (Two-Way) प्रकृति पर बल दिया। उन्होंने दिखाया कि संचार केवल “संदेश भेजने” की प्रक्रिया नहीं, बल्कि “अर्थ के आदान-प्रदान” की प्रक्रिया है जिसमें प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समान भूमिका निभाते हैं। यह मॉडल आधुनिक इंटरैक्टिव कम्युनिकेशन (Interactive Communication) का आधार बना।
2. परिभाषा / Definition – ऑसगुड और श्रैम के अनुसार —
“Communication is a circular process in which both sender and receiver encode, decode and interpret messages continuously.”
इसका अर्थ है — “संचार एक वृत्ताकार प्रक्रिया है जिसमें प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों लगातार संदेश को एन्कोड (Encode), डिकोड (Decode) और व्याख्या (Interpret) करते रहते हैं।” यह परिभाषा इस विचार पर आधारित है कि संचार कभी समाप्त नहीं होता, बल्कि एक निरंतर चक्र (Continuous Cycle) है जो विचारों, प्रतिक्रियाओं और अर्थों के आदान-प्रदान से चलता रहता है।
3. Osgood–Schramm Model of Communication मूल अवधारणा / Original Concept – 1954 में विल्बर श्रैम और चार्ल्स ऑसगुड ने मिलकर यह मॉडल विकसित किया। इससे पहले अधिकांश मॉडल एकतरफा (One-Way) संचार को दर्शाते थे — यानी स्रोत → संदेश → प्राप्तकर्ता। परंतु ऑसगुड और श्रैम ने बताया कि संचार वास्तव में “दो-तरफा” होता है, जिसमें हर व्यक्ति बारी-बारी से प्रेषक और प्राप्तकर्ता की भूमिका निभाता है। उन्होंने इसे Circular Model (वृत्ताकार मॉडल) कहा क्योंकि इसमें संदेश और प्रतिक्रिया लगातार एक-दूसरे से जुड़ते रहते हैं। इस मॉडल के प्रमुख चरण निम्न हैं —
| क्रम | घटक | अंग्रेज़ी नाम | कार्य |
| 1 | कूटन (Encoding) | Encoding | विचारों को प्रतीकों, शब्दों या संकेतों में बदलना |
| 2 | संप्रेषण (Message) | Message | जो सूचना या विचार साझा किया जा रहा है |
| 3 | व्याख्या (Decoding) | Decoding | संदेश को समझना और अर्थ निकालना |
| 4 | प्रतिक्रिया (Feedback) | Feedback | प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया, जो पुनः संदेश बन जाती है |
इस प्रकार, यह मॉडल यह बताता है कि संचार एक सतत, चक्रीय और परस्पर प्रक्रिया है। Osgood–Schramm Model of Communication
4. मॉडल की संरचना और कार्यप्रणाली / Structure and Process of the Model
ऑसगुड और श्रैम का मॉडल तीन प्रमुख कार्यों पर आधारित है — Encoding, Decoding, and Interpretation।
(1) कूटन (Encoding)
संचार की प्रक्रिया तब आरंभ होती है जब व्यक्ति अपने विचारों या भावनाओं को प्रतीकों या भाषा के माध्यम से व्यक्त करता है। उदाहरण – शिक्षक जब किसी विषय को समझाता है, तो वह अपने ज्ञान को शब्दों में बदलकर प्रस्तुत करता है।
(2) व्याख्या (Decoding) –प्राप्तकर्ता उन शब्दों या संकेतों को समझकर उनका अर्थ निकालता है। यदि दोनों की भाषा, अनुभव या संदर्भ समान हैं, तो अर्थ अधिक सटीक रूप से पहुँचता है।
(3) प्रतिक्रिया (Feedback)
प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया उसी समय प्रेषक के लिए नया संदेश बन जाती है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।
इससे संचार “वृत्ताकार” बनता है, जहाँ दोनों पक्ष एक-दूसरे के विचारों को समझने और सुधारने का अवसर पाते हैं।
(4) समान अनुभव क्षेत्र (Field of Experience)
श्रैम ने इस मॉडल में “Field of Experience” की अवधारणा जोड़ी। उन्होंने कहा कि जब तक प्रेषक और प्राप्तकर्ता के अनुभव, भाषा और संस्कृति में समानता नहीं होगी, तब तक संचार पूर्ण नहीं हो सकता। उदाहरण – यदि डॉक्टर और मरीज के ज्ञान स्तर में अंतर है, तो संदेश गलत समझा जा सकता है।
5. मुख्य विशेषताएँ / Main Characteristics
(1) द्विपक्षीय प्रक्रिया (Two-Way Process) – यह मॉडल पहली बार यह सिद्ध करता है कि संचार केवल एक दिशा में नहीं बहता, बल्कि दोनों दिशाओं में चलता है। प्रत्येक व्यक्ति बारी-बारी से प्रेषक और प्राप्तकर्ता बनता है।
(2) प्रतिक्रिया का समावेश (Inclusion of Feedback) – ऑसगुड–श्रैम मॉडल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें Feedback को मुख्य घटक के रूप में शामिल किया गया है। यह प्रतिक्रिया ही संचार की निरंतरता सुनिश्चित करती है।
(3) वृत्ताकार संरचना (Circular Nature) – मॉडल को गोलाकार रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संचार का कोई निश्चित आरंभ या अंत नहीं होता।
(4) समान अनुभव क्षेत्र (Common Field of Experience)
यदि दोनों पक्षों के अनुभव, भाषा या पृष्ठभूमि में समानता नहीं है, तो संचार विफल हो सकता है। इसलिए यह मॉडल “समझ” और “साझे अर्थ” पर बल देता है।
(5) लचीला और मानवीय दृष्टिकोण (Flexible and Humanistic Approach)
यह मॉडल मानवीय संचार के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें भावनाओं, दृष्टिकोण और संदर्भ की भूमिका को भी स्वीकार किया गया है।
6. सीमाएँ / Limitations
यद्यपि यह मॉडल संचार सिद्धांतों में क्रांतिकारी माना गया, परंतु इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं —
(1) तकनीकी संचार के लिए अनुपयुक्त (Not Suitable for Technical Communication)
यह मॉडल मानव संचार के लिए उपयुक्त है, पर मशीन या तकनीकी प्रणालियों में लागू करना कठिन है।
(2) शोर (Noise) की उपेक्षा (Neglect of Noise)
इस मॉडल में शोर या अवरोध का उल्लेख नहीं किया गया, जबकि यह वास्तविक संचार का महत्वपूर्ण भाग है।
(3) स्पष्ट मापन की कमी (Lack of Measurable Factors)
मॉडल यह नहीं बताता कि प्रतिक्रिया की गुणवत्ता या अर्थ की सटीकता को कैसे मापा जाए।
(4) जटिल स्थितियों के लिए अपर्याप्त (Inadequate for Complex Communication)
बहु-स्रोत या जनसंचार स्थितियों में यह मॉडल सीमित हो जाता है, क्योंकि वहाँ अनेक श्रोता और विविध प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
(5) आदर्शवादी दृष्टिकोण (Idealistic Assumption)
मॉडल यह मानता है कि दोनों पक्ष समान स्तर पर संवाद करते हैं, जबकि वास्तविक जीवन में शक्ति, स्थिति और भाषा का अंतर प्रभाव डालता है।
7. वर्तमान समय में प्रासंगिकता / Relevance Today
ऑसगुड–श्रैम मॉडल आज के डिजिटल और सोशल मीडिया युग में अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि यह “संवाद और प्रतिक्रिया” को केंद्र में रखता है।
(1) सोशल मीडिया संचार में उपयोग
आज फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब या इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर संचार दो-तरफा है — पोस्ट पर कमेंट, प्रतिक्रिया, और शेयरिंग — यह इस मॉडल की सजीव मिसाल है।
(2) शिक्षा और प्रशिक्षण में प्रभावी
शिक्षक और विद्यार्थी के बीच सतत संवाद (फीडबैक के साथ) इसी मॉडल पर आधारित है।
(3) ग्राहक और संगठन के संबंधों में
किसी उत्पाद या सेवा पर ग्राहक की प्रतिक्रिया कंपनी के लिए संदेश का नया स्रोत बनती है। यह इंटरैक्टिव मार्केटिंग में उपयोगी सिद्धांत है।
(4) लोकतांत्रिक और संवादात्मक मीडिया का आधार – आज का जनसंचार एकतरफा नहीं रहा; दर्शक भी निर्माता बन गया है। यह मॉडल इसी नई मीडिया संस्कृति को दर्शाता है।
(5) अंतरसांस्कृतिक संवाद में सहायता – विभिन्न संस्कृतियों के बीच प्रभावी संवाद के लिए साझा अनुभव क्षेत्र की आवश्यकता होती है — यह मॉडल उस अवधारणा को स्पष्ट करता है।
8. निष्कर्ष / Conclusion Shannon and Weaver’s Model of Communication
ऑसगुड–श्रैम मॉडल ने संचार अध्ययन को एक नई दिशा दी। इसने यह दिखाया कि संचार केवल “भेजने” की क्रिया नहीं, बल्कि “समझने” की प्रक्रिया है — जिसमें दोनों पक्ष सक्रिय भागीदार होते हैं। यद्यपि इसमें कुछ तकनीकी सीमाएँ हैं, फिर भी यह मॉडल मानव संचार, शिक्षा, मीडिया और संगठनात्मक संवाद में आज भी सर्वाधिक प्रासंगिक है। यह मॉडल हमें सिखाता है कि — “संचार तभी सफल होता है जब संवाद दो-तरफा, अनुभव साझा और प्रतिक्रिया आधारित हो।”