
Role of Light in Photography फोटोग्राफी में प्रकाश की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । यही तस्वीर की गुणवत्ता और उसके प्रभाव को निर्धारित करता है। सबसे पहले तो वस्तु की तस्वीर बनाने के लिए यह आधारभूत आवष्यकता है। सही ढंग से प्रकाश के उपयोग से वस्तु का आकार, रंग, गहराई और भाव स्पष्ट रूप से उभरकर आते हैं। प्रकाष प्राकृतिक प्रकाश (सूरज की रोशनी) और कृत्रिम प्रकाश (लैंप, फ्लैश, स्टूडियो लाइट) दोनों रूपों में होता है। इसका अलग-अलग उपयोग किया जाता है। वस्तु पर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा, तीव्रता और कोण तस्वीर को जीवंत बनाते हैं। कम प्रकाष होने पर वह तस्वीर धुंधली और अधिक प्रकाष होने की स्थिति में वह कठोर दिख सकती है। इसलिए प्रकाश का सही प्रकार से उपयोग आवष्यक है। संतुलन ही फोटोग्राफी को आकर्षक और पेशेवर रूप देता है। Role of Light in Photography
यहॉ पर आगेे फोटोग्राफी में प्रकाश की प्रमुख भूमिकाएँ दी गई हैं।
- एक्सपोजर तय करना – प्रकाश कैमरे के सेंसर या फिल्म पर पड़कर फोटो की चमक (ठतपहीजदमेे) तय करता है। सेंसर तक जाने वाले प्रकाष के अनुसार ही पिक्चर का पिक्चर को एक्सपोजर मिलता है। जब कम प्रकाश होता है तो फिर तस्वीर अंधेरी और ज्यादा प्रकाश होता है तो फिर वह ओवरएक्सपोज हो सकती है। इससे वह अधिक चमकीली एवं अस्पष्ट होती है। इसलिए फोटोग्राफी में सही मात्रा में प्रकाश नियंत्रण सबसे पहला काम है।
- कॉन्ट्रास्ट और गहराई बनाना – तस्वीर में प्रकाश और छाय का सही संतुलन होने पर उसमें में गहराई, त्रि-आयामी या थ्री डी प्रभाव और टेक्सचर दिखाने में सहुलियत होती है। कॉन्ट्रास्ट बढ़ाकर विषय को बैकग्राउंड से अलग किया जा सकता है। इसके अभाव में वह बैकग्राउंड से चिपका हुआ महसूस होता है।
- मूड और वातावरण बनाना – जिस किसी वस्तु का फोटो लिया जा रहा है, उस पर पड़ने वाले प्रकाश का रंग, दिशा और तीव्रता फोटो का मूड बदल सकती है। साफ्ट या मुलायम प्रकाष शांत और सौम्य वातावरण बनाती है, जबकि कठोर और तेज प्रकाष नाटकीय या रहस्यमय प्रभाव देती है। यह भूमिका भावनाओं को दर्शाने एवं जगाने के लिए जरूरी है।
- टेक्सचर और डिटेल्स उभारना – प्रकाष की मदद से ही वस्तु के सतह का सही एवं सूक्ष्म विवरण मिलता है। साइड लाइट या लो-एंगल लाइट से विषय की सतह पर सूक्ष्म विवरण और टेक्सचर या बनावट साफ नजर आते हैं। इसका इस्तेमाल विज्ञापन मार्केटिंग में विविध प्रकार के वस्तुओं को दर्षान के लिए किया जाता है। इसी प्रकार से यह आर्ट फोटोग्राफी में बहुत जरूरी है। इससे वस्तुए ही अधिक वास्तविक और आकर्षक दिखती हैं।
- शेप और फॉर्म (आकृति) परिभाषित करना
प्रकाश विषय की आकृति को उभारता है। बैक लाइट, रिम लाइट या साइड लाइट विषय के किनारों पर ग्लो बनाकर उसका आकार और स्पष्ट करती है। इससे फोटो में विषय का “फॉर्म” साफ दिखता है। - रंग और टोन नियंत्रित करना – प्रकाश का तापमान को कलर टैम्प्रेचर भी कहते हैं । दिशा फोटो के रंगों को बदलने में प्रकाष की दिषा एवं कलर टैप्रेचर की प्रभावी भूमिका होती है। वॉर्म लाइट को गर्म रोशनी के तौर पर माना जाता है। यह फोटो को पीला एवं नारंगी टोन देती है। वहीं पर जबकि कूल लाइट जिसे नीली रोशनी के रूप में माना जाता है, वह ठंडा प्रभाव देती है। इससे फोटो का समग्र लुक तय होता है।
- फोकस और ध्यान आकर्षित करना-
यह प्रकाश ही है जिसकी मदद से किसी विषय को हाइलाइट या उभारा जाता है। शेष हिस्सों को काला या डार्क रख सकते हैं। इस प्रकार दर्शक की नजर सीधे मुख्य विषय पर जाती है। यह भूमिका खासकर पोर्ट्रेट और विज्ञापन फोटोग्राफी में महत्वपूर्ण है। - गति और ड्रामा दिखाना– तेज प्रकाष का और लंबा शटर स्पीड इस्तेमाल करके फोटो में मोशन ब्लर या स्टॉप मोशन जैसे इफेक्ट बनाए जा सकते हैं। इससे फोटो में गति, ऊर्जा और नाटकीयता आती है। स्टूडियो और आउटडोर दोनों में यह काम आता है। बैकग्राउंड और फोरग्राउंड अलग करना-
- थ्री-डायमेंशनल – जब फोटो लिया जाता है तो वस्तु जहॉ कहीं भी होती है, उसे उसके बैकग्राउंड से अलग करके प्रस्तुत करने की आवष्यकता होती है। इसमें प्रकाश का सही इस्तेमाल विषय को बैकग्राउंड से अलग करता है। बैकलाइट, रिम लाइट या स्पॉट लाइट से विषय के चारों ओर हाइलो बनाकर फोटो को “थ्री-डायमेंशनल” लुक दिया जा सकता है।
10.कहानी और भावनाएँ व्यक्त करना -फोटोग्राफी में प्रकाश केवल तकनीकी चीज नहीं है, इसके माध्यम से किसी विचार को भी व्यक्त किया जाता है। यह कहानी कहने का साधन भी है। वस्तु पर अलग-अलग एंगल, रंग और तीव्रता से आप खुशी, डर, रोमांस या रहस्य जैसी भावनाएँ दिखा सकते हैं। इससे फोटो ज्यादा प्रभावी और यादगार बनती है।
11व्हाइट बैलेंस और कलर कंसिस्टेंसी बनाए रखना – प्रकाश का तापमान या केल्विन फोटो के रंगों को सीधे प्रभावित करता है। सही व्हाइट बैलेंस सेट करके और सही प्रकाश चुनकर आप फोटो के रंगों को प्राकृतिक और स्थिर रख सकते हैं। यह विशेष रूप से प्रोडक्ट और फैशन फोटोग्राफी में महत्वपूर्ण है।
- डायनेमिक रेंज बढ़ाना – प्रकाश का संतुलन तय करता है कि कैमरा कितने शैडो और हाइलाइट को एक साथ कैप्चर करेगा। अच्छे प्रकाश से फोटो में अधिक डायनेमिक रेंज मिलती है और डिटेल्स खोती नहीं हैं।
- दृश्य का पैमाना और स्थानिकता
प्रकाश से आप यह दिखा सकते हैं कि कोई वस्तु कितनी दूर या पास है। लाइटिंग के बदलाव से गहराई और परिप्रेक्ष्य या परस्पेक्टिव स्पष्ट होता है, जिससे दृश्य यथार्थपूर्ण लगता है। - फ्लैट और थ्री-डायमेंशनल लुक में अंतर बनाना – सही लाइटिंग से फोटो “फ्लैट” नहीं लगती है वह दिवास आदि से चिपकी नही दिखती है। इसका थ्री-डायमेंशनल आकार सही प्रकार से उभर करके सामने आता है। साइड और बैक लाइट्स से वॉल्यूम और मास अथवा भार दिखाई देता है।
- हाइलाइट और शैडो का क्रिएटिव उपयोग – आप प्रकाश और छाया के खेल से मूड, पैटर्न और दिलचस्प आकृतियाँ बना सकते हैं। यह फाइन आर्ट और सिनेमैटिक फोटोग्राफी में बहुत उपयोगी है। इसका इस्तेमाल रचनात्मक प्रस्तुति में काफी किया जाता है।
- विषय की बनावट या टैक्सचर और सतह को बढ़ाना या छिपाना – प्रकाश की दिशा बदलकर आप किसी सतह की खुरदरी बनावट या टैक्स्चर को ज्यादा दिखा सकते हैं या उसे स्मूथ दिखा सकते हैं। यह प्रोडक्ट और फूड फोटोग्राफी में बेहद मददगार है।
- सिल्हूट और नकारात्मक स्पेस (निगेटिव स्पेस ) बनाना – यह किसी वस्तु के बैकग्राउंड में तीव्र प्रकाष रखा जाये तो फिर सामने वाली वस्तु काली या अॅधेरे में दिखती है और बैकग्राउंड प्रकाषित दिखता है। इसे सिल्हूट इफेक्ट कहते हैं और नकारात्मक स्पेस का क्रिएटिव इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दृश्य में लीडिंग लाइंस और पैटर्न बनाना – प्रकाष के मार्ग में विविध आकार प्रकार की वस्तुओं को रख करके
स्पॉट लाइट, ग्रिड या गॉबो का उपयोग करके आप दृश्य में खास पैटर्न, रेखाएँ या आकृतियाँ बना सकते हैं जिससे दर्शक की नजर मुख्य विषय तक पहुँचती है। प्रकाष के छाया बनाने के इस गुण का काफी रचनात्मक इस्तेमाल किया जाता है।