Role of Lens in Photography फोटोग्राफी में कैमरा और रोशनी जितने महत्वपूर्ण हैं, उतना ही महत्वपूर्ण लेंस है। लेंस कैमरे की आँख की तरह काम करता है, जो दृश्य को सेंसर तक पहुँचाकर तस्वीर को आकार देता है। फोटोग्राफी में उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग लेंस अलग दृश्य दिखाते हैं । कोई बड़ा दृश्य दिखाता है, कोई छोटी चीज़ को बेहद नजदीक से, तो कोई बैकग्राउंड को धुंधला कर विषय को उभार देता है। अपर्चर, फोकल लेंथ और डिज़ाइन जैसे तत्व तस्वीर की गहराई, रंग और टेक्सचर बदलते हैं। सही लेंस चुनकर एक साधारण दृश्य भी आकर्षक और प्रभावशाली बनाया जा सकता है। यही कारण है कि लेंस फोटोग्राफी की जान कहलाता है। यहां पर आगे फोटोग्राफी में उपयोग में ले जाने वाले विभिन्न लेंस दृश्य को कैसे प्रस्तुत करते हैं उसके बारे में चर्चा की गई है।

फोटोग्राफी में लेंस की भूमिका
- लेंस – कैमरे की आँख
- तस्वीर में कितना क्षेत्र दिखेगा – लेंस तय करता है
- विषय कितना बड़ा या छोटा दिखेगा
- बैकग्राउंड कैसा दिखेगा – लेंस की भूमिका
- वाइड लेंस – चौड़ा दृश्य
- टेलीफोटो लेंस – दूर की वस्तुएं पास
- मैक्रो लेंस – छोटी वस्तुओं की दुनिया
- अपर्चर – रोशनी और बैकग्राउंड का नियंत्रण
- लेंस से गहराई, रंग और टेक्सचर
- सही लेंस से साधारण दृश्य भी खास
1. लेंस – कैमरे की आँख
लेंस कैमरे की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है। यह ठीक हमारी आँख की तरह काम करता है। जैसे हमारी आँख रोशनी लेकर दिमाग में तस्वीर बनाती है, वैसे ही लेंस रोशनी लेकर कैमरे के सेंसर या फ़िल्म तक पहुँचाता है। सेंसर तक पहुँची रोशनी से ही तस्वीर बनती है। अगर कैमरे में लेंस न हो तो रोशनी सीधी सेंसर पर पड़ेगी और तस्वीर धुंधली या अधूरी बनेगी। इसलिए लेंस को कैमरे की “आँख” कहा जाता है। अच्छा लेंस बेहतर तस्वीर की गारंटी देता है।
2. तस्वीर में कितना क्षेत्र दिखेगा – लेंस तय करता है
हर लेंस का देखने का कोण अलग होता है। इसे “फील्ड ऑफ व्यू” कहते हैं। यह तय करता है कि एक फ्रेम में कितनी जगह आएगी। वाइड लेंस से एक ही फोटो में ज़्यादा एरिया दिखाई देता है। टेलीफोटो लेंस से दूर की चीज़ें पास लगती हैं लेकिन फ्रेम संकरा होता है। इसी गुण की वजह से फोटोग्राफर अपनी ज़रूरत के हिसाब से लेंस चुनते हैं। छोटे कमरे, बड़ी इमारतें या लैंडस्केप दिखाने के लिए चौड़ा व्यू चाहिए तो वाइड लेंस उपयोगी है।
3. विषय कितना बड़ा या छोटा दिखेगा https://studio.youtube.com/video/MmJj9npKDiA/edit
लेंस का चुनाव यह भी तय करता है कि विषय (Subject) तस्वीर में कितना बड़ा या छोटा दिखेगा। अगर आप छोटे या दूर के विषय को बड़ा दिखाना चाहते हैं तो टेलीफोटो लेंस सही है। इससे दूर खड़े व्यक्ति या वस्तु पास और बड़ा दिखाई देता है। इसके उलट, अगर आपको बड़ी जगह, भीड़ या समूह को कवर करना हो तो वाइड लेंस काम आता है। इस तरह लेंस फोटोग्राफर को नियंत्रण देता है कि वह दर्शकों को क्या और कैसे दिखाना चाहता है।
4. बैकग्राउंड कैसा दिखेगा – लेंस की भूमिका
तस्वीर का बैकग्राउंड फोटो का मूड तय करता है। लेंस का अपर्चर और फोकल लेंथ यह तय करते हैं कि बैकग्राउंड धुंधला (Blur) होगा या साफ़। बड़ा अपर्चर और लंबी फोकल लेंथ बैकग्राउंड को ज़्यादा ब्लर कर देते हैं। इससे मुख्य विषय उभरकर सामने आता है। छोटा अपर्चर बैकग्राउंड को साफ़ रखता है, जिससे सबकुछ एक समान दिखता है। इस तकनीक को “Depth of Field” कहते हैं। फोटोग्राफर इसी से फोटो में कहानी या नाटकीय असर लाते हैं।
5. वाइड लेंस – चौड़ा दृश्य
वाइड लेंस में फोकल लेंथ कम होती है (जैसे 14mm, 18mm, 24mm)। ऐसे लेंस ज़्यादा चौड़ा एरिया कवर करते हैं। छोटे कमरे, बड़ी इमारत, प्राकृतिक दृश्य, पहाड़, नदी, आसमान या बड़े मैदान जैसी जगह दिखाने में वाइड लेंस मदद करते हैं। यह लेंस दृश्य को खुला और विस्तृत दिखाता है। वाइड लेंस से ली गई तस्वीरों में गहराई (Depth) अधिक महसूस होती है और दर्शक को ऐसा लगता है जैसे वह खुद दृश्य में मौजूद हो।
6. टेलीफोटो लेंस – दूर की चीज़ें पास Role of Lens in Photography
टेलीफोटो लेंस की फोकल लेंथ अधिक होती है (जैसे 70mm, 100mm, 200mm या इससे अधिक)। यह दूर की चीज़ों को खींचकर पास और बड़ा दिखाता है। वन्यजीव फोटोग्राफी, खेल, शादी के मंच या किसी कार्यक्रम में स्टेज की फोटो लेने में यह बहुत उपयोगी है। टेलीफोटो लेंस बैकग्राउंड को भी ज्यादा कंप्रेस करता है, जिससे तस्वीर में विषय अधिक स्पष्ट और अलग नजर आता है।
7. मैक्रो लेंस – छोटी वस्तुओं की दुनिया Role of Lens in Photography
मैक्रो लेंस बहुत नजदीक से फोटो लेने के लिए बनाए जाते हैं। फूल, कीड़े, गहने या छोटी-छोटी मशीनरी जैसे विषयों को खींचने में यह लेंस काम आता है। इसमें बहुत बारीक डिटेल साफ़ आती है। मैक्रो लेंस से हम वह चीज़ें देख सकते हैं जो आमतौर पर आंखों से नहीं दिखतीं। यह लेंस फोटोग्राफर को एक नई सूक्ष्म दुनिया में ले जाता है।
8. अपर्चर – रोशनी और बैकग्राउंड का नियंत्रण
हर लेंस में एक छेद (अपर्चर) होता है। यह छोटा-बड़ा किया जा सकता है। बड़ा अपर्चर (जैसे f/1.8) मतलब सेंसर तक ज़्यादा रोशनी पहुंचेगी और बैकग्राउंड धुंधला होगा। छोटा अपर्चर (जैसे f/8) मतलब कम रोशनी और बैकग्राउंड साफ़। अपर्चर को लेंस का “दिल” भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह तस्वीर की चमक और गहराई दोनों तय करता है। फोटोग्राफर अपर्चर बदलकर फोटो का मूड और फील बदल सकते हैं।
9. लेंस से गहराई, रंग और टेक्सचर
लेंस का डिज़ाइन, ग्लास की गुणवत्ता और कोटिंग तस्वीर के रंग, कॉन्ट्रास्ट और डिटेल तय करती है। अच्छे लेंस में रंग ज्यादा प्राकृतिक, तेज़ और स्पष्ट आते हैं। सस्ते या कमजोर लेंस में तस्वीर धुंधली या रंग फीके पड़ सकते हैं। लेंस का फोकल लेंथ और अपर्चर केवल विषय नहीं तय करते, बल्कि तस्वीर के भाव और टेक्सचर को भी प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, पोर्ट्रेट लेंस (जैसे 85mm) लोगों के चेहरे को आकर्षक और नैचुरल दिखाते हैं जबकि वाइड लेंस उसी चेहरे को थोड़ा खिंचा हुआ दिखा सकता है।
10. सही लेंस से साधारण दृश्य भी खास
फोटोग्राफी केवल उपकरण का काम नहीं है, यह नज़र और चयन का भी खेल है। सही लेंस चुनकर आप साधारण दृश्य को भी खास बना सकते हैं। बड़ा अपर्चर लेकर बैकग्राउंड धुंधला करके आप फोटो को ड्रामेटिक बना सकते हैं। वाइड लेंस से बड़ी जगह को मज़ेदार अंदाज में दिखा सकते हैं। मैक्रो लेंस से एक छोटी चीज़ को बहुत आकर्षक बना सकते हैं। लेंस फोटोग्राफर को रचनात्मक स्वतंत्रता देता है। इसके जरिए वह तय कर सकता है कि दर्शक की नज़र कहां जाए और फोटो का प्रभाव कैसा हो।
समापन विचार
फोटोग्राफी में कैमरा बॉडी, सेंसर, लाइट – सब महत्वपूर्ण हैं, लेकिन लेंस सबसे बड़ा कलाकार है। लेंस ही तय करता है कि रोशनी कैसे आएगी, दृश्य कैसा बनेगा, विषय कितना उभरेगा और बैकग्राउंड कैसा लगेगा। यह तस्वीर को आकार, गहराई और जीवन देता है। लेंस फोटोग्राफर को कहानी कहने का उपकरण देता है – कभी बड़े दृश्य से, कभी छोटे डिटेल से, कभी रंगों से, कभी धुंधलेपन से। Role of Lens in Photography


