सोशल मीडिया और युवाओं की स्टंटबाज़ी – दिखावे की दुनिया में मौत का खेल Social Media Stunts fake news Digital arrest किसे कहते हैं डिजिटल अरेस्ट
दिखावे की दुनिया और खतरनाक रुझान –सोशल मीडिया आज आधुनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। यह संचार, मनोरंजन और पहचान का प्रमुख माध्यम है। लेकिन इसी के साथ यह एक नया और खतरनाक चलन भी लेकर आया है — युवा वर्ग का स्टंट करते हुए वीडियो और फोटो डालना। मोटरसाइकिल या कार पर करतब दिखाकर उसे रिकॉर्ड करना और फिर सोशल मीडिया पर साझा करना अब एक फैशन बन चुका है। “लाइक” और “फॉलोअर” पाने की चाह में युवा अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। किंतु इसी के साथ हुए दूसरे के जीवन को भी खतरे में डाले हुए हैं ।
“स्टंट” शब्द का अर्थ है — जोखिम भरा कार्य या करतब जो सामान्य व्यक्ति के लिए खतरनाक हो, लेकिन दूसरों को चौंकाने वाला लगे। पहले यह फिल्मों या सर्कस जैसी नियंत्रित परिस्थितियों में प्रशिक्षित लोगों द्वारा किया जाता था। परंतु अब सामान्य युवा भी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सड़कों पर बाइक या कार चलाते हुए करतब करते हैं। एक पहिए पर बाइक चलाना, हवा में हाथ उठाकर ड्राइव करना या तेज़ रफ्तार में घुमाव लेना जैसे कृत्य जीवन के साथ खिलवाड़ हैं।
युवाओं में स्टंट की बढ़ती प्रवृत्ति-युवा वर्ग स्वभावतः रोमांचप्रिय होता है। उन्हें कुछ नया और साहसी करने की इच्छा रहती है। सोशल मीडिया ने इस इच्छा को प्रसिद्धि की चाह में बदल दिया है। अब स्टंट केवल साहस का नहीं, बल्कि “लोकप्रियता का खेल” बन गया है। कई युवा प्रसिद्ध यूट्यूबरों या इन्फ्लुएंसरों की नकल करते हुए स्टंट करते हैं। बिना सोचे-समझे वे जान जोखिम में डाल देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वायरल वीडियो उन्हें “स्टार” बना देगा। इस सोच के कारण वे अपनी और दूसरे की जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं
स्टंट करने के प्रमुख कारण Social Media Stunts
इस प्रवृत्ति के पीछे कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं ।इसमें से निम्न मुख्य हैं —
पहला, सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि की लालसा;
दूसरा, दोस्तों के बीच अपनी बहादुरी दिखाने की चाह;
तीसरा, बड़ों की अनदेखी और आत्म-स्वीकृति की खोज;
और चौथा, कानून व्यवस्था की ढील जिससे वे निर्भय महसूस करते हैं।
कई बार परिवारों द्वारा युवाओं की गतिविधियों पर ध्यान न देने से भी यह प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
ऐसे स्टंट के दुष्परिणाम- इन स्टंटों का सबसे बड़ा नुकसान जान का खतरा है। बिना हेलमेट या सुरक्षा उपकरणों के स्टंट करते समय एक छोटी सी गलती मौत बन सकती है। न केवल स्टंट करने वाला व्यक्ति बल्कि राह चलते निर्दोष लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। आए दिन ऐसे समाचार आते हैं जहाँ किसी बाइक सवार की लापरवाही से किसी पैदल व्यक्ति या वाहन चालक की मृत्यु हो गई। आज ही के समाचार पत्र में उन्नाव जिले के घटना का जिक्र है जिसमें एक छात्र की मौत स्टंट बाज द्वारा टक्कर मारने के कारण हो गई अब यह एक केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक संकट बन गया है। https://www.jagran.com/uttar-pradesh/kanpur-city-girl-dies-after-stunt-rider-bike-hits-her-at-ganga-barrage-kanpur-40031792.html
परिवार और समाज पर प्रभाव – जब कोई युवा ऐसे हादसे का शिकार होता है, तो उसका परिवार टूट जाता है। माता-पिता आजीवन मानसिक आघात में रहते हैं। पड़ोस और समाज में डर, असुरक्षा और निराशा का वातावरण फैलता है। इस प्रकार के स्टंट बाज अथवा उनके कारण हादसे का शिकार व्यक्ति कई बार स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं। इस स्थिति में उनका भविष्य, करियर और परिवार सब प्रभावित होता है। इस प्रकार स्टंट केवल व्यक्ति नहीं, पूरे समाज की शांति और सुरक्षा को प्रभावित करता है। ऐसे स्टंट बाज सड़क पर चलने वाले पैदल एवं वाहन से चलने वाले लोगों के जीवन के लिए खतरे बनते चले जा रहे हैं इसलिए इनके अनदेखी नहीं की जा सकती है यह किसी भी जगह पर भयानक दुर्घटना के कारण बन जाते हैं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी- सोशल मीडिया कंपनियाँ केवल मंच नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी रखने वाले संस्थान हैं। उन्हें ऐसे वीडियो और पोस्ट तुरंत हटाने चाहिए जो युवाओं को जानलेवा गतिविधियों करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। बार-बार इस तरह के कंटेंट डालने वाले उपयोगकर्ताओं को ब्लॉक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म पर चेतावनी संदेश, रिपोर्ट विकल्प और सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश अनिवार्य किए जाने चाहिए। ऐसे युवाओं के ना तो फॉलोवर होना चाहिए और दूसरे को भी उनके फॉलोअर बनने से रोकने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कानून और प्रशासन की भूमिका – ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन की भूमिका बेहद अहम है। सड़क पर स्टंट करने वालों की पहचान कर उन पर सख्त जुर्माना और लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी कैमरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। सरकार को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर स्टंट गतिविधियों को स्पष्ट रूप से “सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा” की श्रेणी में रखना चाहिए। साथ ही स्कूल-कॉलेज स्तर पर सड़क सुरक्षा और सोशल मीडिया नैतिकता पर कार्यशालाएँ चलाई जानी चाहिएँ।
युवाओं और आम नागरिकों की भूमिका- युवाओं को समझना होगा कि जीवन किसी “लाइक” या “कमेंट” से अधिक मूल्यवान है। यदि वे अपनी प्रतिभा दिखाना चाहते हैं, तो खेल, संगीत, कला, या सामाजिक कार्यों में करें। जो लोग ऐसे स्टंट वीडियो देखते या साझा करते हैं, वे अनजाने में इन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं। इसलिए हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि ऐसे वीडियो का बहिष्कार करे और सोशल मीडिया पर रिपोर्ट करे। परिवारों को भी अपने बच्चों से खुलकर बातचीत करनी चाहिए।
जीवन की सुरक्षा ही सबसे बड़ा स्टंट है- आज सोशल मीडिया पर स्टंट करना केवल दिखावे की प्रवृत्ति नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक खतरा बन चुका है। प्रसिद्धि की झूठी चाह ने युवाओं को ऐसे रास्ते पर ला खड़ा किया है जहाँ एक गलती उनकी या किसी और की जान ले सकती है। आवश्यकता है कि समाज, सरकार और मीडिया मिलकर इस प्रवृत्ति को रोकें। जीवन को बचाना ही सबसे बड़ा साहस है। क्योंकि सच यही है —“स्टंट का असली मतलब दूसरों को चौंकाना नहीं, स्वयं को बचाना है।” Children and Cyber Crime “बच्चों को साइबर अपराध से बचाना – अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी”Social Media Stunts

