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      Home Media Study Material Media Law

      The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      2 months ago
      in Media Law, Media Study Material
      0

      Section 1 — Short title, extent and commencement
      (धारा 1 — संक्षिप्त नाम, विस्तार व प्रारम्भ)
      यह धारा अधिनियम का नाम, लागू क्षेत्र और लागू होने की तिथि स्पष्ट करती है। अधिनियम का अधिकारिक नाम “The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995” रखा गया है और यह पूरे भारत में लागू होता है — केन्द्र व राज्य-सीमा में कोई छूट नहीं। साथ ही अधिनियम को लागू करने की प्रभावी तिथि (commencement) भी धारा में निर्दिष्ट है; इस प्रकार किसी विवाद या वैधानिक कार्रवाई में यह तय करने में मदद मिलती है कि कौन-से नियम किस तिथि से लागू हैं। यह प्रारम्भिक धारा कानूनी स्पष्टता और परिभाषात्मक आधार प्रदान करती है ताकि आगे की धाराएँ सही संदर्भ में समझी जा सकें।

      Section 2 — Definitions (परिभाषाएँ)
      (धारा 2 — परिभाषाएँ)
      इस धारा में अधिनियम में प्रयुक्त मुख्य शब्दों की विस्तृत परिभाषाएँ दी गई हैं—उदाहरण के लिए “authorised officer” (अधिकारित अधिकारी), “cable operator” (केबल ऑपरेटर), “cable service”, “cable television network”, “subscriber” इत्यादि। इन परिभाषाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिनियम के लागू होने पर शब्दों का प्रयोग एक समान अर्थ में हो और क़ानूनी व्याख्या में भ्रम न रहे। साथ ही नई तकनीकों (जैसे digital addressable system) के समावेश से संबंधी शब्द भी परिभाषित होते हैं ताकि नियम-नियमावली में आधुनिक तकनीकी आवश्यकताओं का समावेश सम्भव हो। परिभाषाएँ यह तय करती हैं कि किसे दायरा मानना है और किन व्यवहारों पर प्रावधान लागू होंगे।

      Section 3 — Cable television network not to be operated except after registration
      (धारा 3 — पंजीकरण के बिना केबल नेटवर्क का संचालन निषेध)
      यह धारा सीधे और स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था बिना वैध पंजीकरण (registration) के केबल टीवी नेटवर्क संचालित नहीं कर सकती। पंजीकरण का मकसद निगरानी, नियमों-पालन और सार्वजनिक हित की सुरक्षा है। बिना पंजीकरण का संचालन न केवल गैरकानूनी माना जाता है, बल्कि ऐसे ऑपरेटरों पर आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई, जब्ती व कानूनी वैधानिक उपाय लागू किये जा सकते हैं। इससे अवैध प्रसारण, अनियमित कंटेंट तथा तकनीकी मानकों के उल्लंघन को रोकने में सहायता मिलती है और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा होती है।

      Section 4 — Registration as cable operator
      (धारा 4 — केबल ऑपरेटर के रूप में पंजीकरण)
      यह धारा पंजीकरण प्रक्रिया, पात्रता और शर्तों की रूपरेखा देती है। इसमें आवेदन कैसे करें, किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता है और किस अधिकारी को आवेदन प्रस्तुत करना है—इसका प्राविधान होता है। पंजीकरण अलग-अलग श्रेणियों के लिए भिन्न शर्तों के साथ दिया जा सकता है (स्थानीय केबल ऑपरेटर, मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर आदि)। सरकार को यह अधिकार भी होता है कि यदि शर्तें पूरी न हों तो पंजीकरण अस्वीकार, निलंबित या रद्द कर दे। साथ ही पंजीकरण के साथ जुड़ी शर्तों का उल्लंघन होने पर रिन्यूअल रोकने या धनराशि/दंड लगाने जैसी कार्यवाही भी सम्भव होती है। यह धारा केबल सेवा के नियमन के मूल ढांचे को परिभाषित करती है।

      Section 4A — Transmission of programmes through digital addressable systems, etc.
      (धारा 4A — डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम के माध्यम से कार्यक्रमों का प्रसारण)
      यह महत्वपूर्ण संशोधनात्मक प्रावधान digital addressable systems (DAS) तथा encrypted transmission की व्यवस्था से सम्बन्धित है। धारा के द्वारा केन्द्र सरकार केबल ऑपरेटरों पर यह बाध्यता लगा सकती है कि चैनलों का प्रसारण एन्क्रिप्टेड फॉर्म में और addressable सिस्टम के माध्यम से ही हो — जिससे चैनलों की पैकेजिंग, सब्सक्रिप्शन कटौती और भुगतान-पारदर्शिता में सुधार आए। DAS से चैनल-पैकेजिंग और ग्राहक के विकल्प में पारदर्शिता आती है; पाइरेट कंटेंट और अनियमित रिले से रोक लगती है। इस प्रावधान के माध्यम से उपभोक्ता-वितरण (subscriber management), चैनल-लाइसेंसिंग और भुगतान-रखरखाव आधुनिक डिजिटल नियमों के अनुरूप नियंत्रित किए जाते हैं।

      Section 5 — Programme code
      (धारा 5 — कार्यक्रम संहिता)
      यह धारा Programme Code को कानूनन स्थापित करती है और नियमों में तय मानदंडों के अनुरूप सभी प्रसारणित कार्यक्रमों के लिए अनुशंसित/अनिवार्य निर्देशों का पालन तय करती है। Programme Code में सामान्यतः यह निर्देश होते हैं कि प्रसारण अश्लील, उत्तेजक, गलत सूचना फैलाने वाला, किसी समुदाय-धर्म के खिलाफ़ अपमानजनक या राष्ट्रहित के विरुद्ध नहीं होना चाहिए। साथ ही दोस्ताना देशों के खिलाफ निंदात्मक सामग्री, साम्प्रदायिक उत्तेजना, अतिशयोक्ति, और दुर्भावनापूर्ण सामग्री पर रोक होती है। इस धारा का उद्देश्य समाजिक शुद्धता, सामुदायिक शांति एवं नैतिक मानदण्डों की रक्षा करना है।

      Section 6 — Advertisement code
      (धारा 6 — विज्ञापन संहिता)
      धारा 6 के अंतर्गत विज्ञापन (advertisements) के लिए भी विशेष नीतिगत निर्देश लागू होते हैं — अर्थात किसी भी विज्ञापन को सब्सक्राइबर तक पहुँचाने से पहले उस कोड का पालन करना अनिवार्य है। Advertisement code में झूठे दावों, भ्रामक जानकारी, स्वास्थ्य-हानिकारक दावों, अश्लील या अपमानजनक तत्वों तथा किसी समुदाय-समूह के खिलाफ़ विभाजनकारी संदेशों पर रोक होती है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यावसायिक प्रचार-संदेश सार्वजनिक हित और उपभोक्ता संरक्षण के मानदण्डों के अनुरूप हों और प्रचार के दौरान नैतिकता, सच्चाई व पारदर्शिता बनी रहे।

      Section 7 — Maintenance of register
      (धारा 7 — रजिस्टर का रख-रखाव)
      यह धारा केबल ऑपरेटरों को निर्देश देती है कि वे प्रसारित कार्यक्रमों, चैनल-सूची, प्रसारण समय सारिणी, तकनीकी सेट-अप और अन्य प्रासंगिक जानकारी का रिकॉर्ड/रजिस्टर बनाकर रखें। यह रजिस्टर सरकारी निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराना अनिवार्य होता है। रजिस्टर रखने का मकसद निगरानी, शिकायतों के समाधान, चैनल-कम्प्लायन्स जांच और लाइसेंस/पंजीकरण शर्तों के अनुपालन का प्रमाण रखना है। नियमों के अनुरूप समय-समय पर रिकॉर्ड अपडेट करने से अनियमितताओं और विवादों का त्वरित निवारण संभव होता है।


      Section 8 — Compulsory transmission of Doordarshan channels
      (धारा 8 — दूरदर्शन चैनलों का अनिवार्य प्रसारण)
      इस धारा के तहत केन्द्र सरकार आवश्यक चैनलों (विशेषकरदूरदर्शन के कुछ राष्ट्रीय/क्षेत्रीय चैनलों) की सूची अधिसूचित कर सकती है जिन्हें प्रत्येक केबल ऑपरेटर बिना काट-छाँट के री-ट्रांसमिट करे। उद्देश्य यह है कि राष्ट्र के महत्वपूर्ण सूचना और सेवा-संदेश (जैसे संसद सत्र, आपात सूचनाएँ, लोक हित की घोषणाएँ) सभी तक पहुँचें। होटल, अस्पताल आदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा भी इन अनिवार्य चैनलों का प्रसारण करना अनिवार्य हो सकता है। MIB/सरकार समय-समय पर इन आवश्यक चैनलों की सूची और अनुपालन दिशानिर्देश जारी करती रहती है।

      Section 9 — Use of standard equipment in cable television network
      (धारा 9 — मानक उपकरणों का उपयोग)
      यह प्रावधान केबल नेटवर्क में प्रयुक्त उपकरणों के मानकों पर केन्द्रित है — अर्थात ऑपरेटर केवल उन्हीं उपकरणों का उपयोग करे जो Bureau of Indian Standards (BIS) या संबंधित अधिकारी द्वारा निर्धारित तकनीकी मानकों के अनुरूप हों। इसका मकसद सुरक्षा, सिग्नल-क्लैरिटी और दूरसंचार प्रणालियों के साथ हस्तक्षेप न होने देना है। साथ ही डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम या अन्य एन्क्रिप्शन उपकरणों के उपयोग में भी मानक-प्रमाणन आवश्यक होता है ताकि तकनीकी दोषों व अवैध डिकोडिंग को रोका जा सके।

      Section 10 — Cable television network not to interfere with any telecommunication system
      (धारा 10 — केबल नेटवर्क द्वारा दूरसंचार प्रणाली में हस्तक्षेप न करना)
      यह धारा सुनिश्चित करती है कि केबल नेटवर्क ऐसा संचालित न हो कि वह दूरसंचार, मोबाइल, ब्रॉडबैंड या किसी अन्य संचार प्रणाली के ऑपरेशन में हस्तक्षेप करे। तकनीकी रूप से केबल-इंफ्रास्ट्रक्चर को ऐसी फ़्रीक्वेंसी या सिग्नल सेटिंग से संचालित किया जाना चाहिए जिससे रेडियो-फ्रीक्वेंसी हस्तक्षेप न हो। अगर किसी तरह का इंटरफेरेंस पाया जाता है, तो अधिकारिक निर्देशों के अनुसार सुधार के आदेश दिए जा सकते हैं। यह नियम देश के संचार इन्फ्रास्ट्रक्चर की अखंडता बनाए रखने के लिये जरूरी है।
      (The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995)

      Section 11 — Power to seize equipment used for operating the cable television network
      (धारा 11 — केबल नेटवर्क संचालन में प्रयुक्त उपकरण जब्त करने का अधिकार)
      धारा 11 अधिकारियों को यह अधिकार देती है कि यदि किसी केबल नेटवर्क के संचालन में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन पाया जाए (जैसे बिना पंजीकरण का संचालन, Programme/Advertisement Code का उल्लंघन, अनैकृत उपकरणों का प्रयोग इत्यादि), तो वे उस नेटवर्क में प्रयुक्त उपकरण जब्त कर सकते हैं। जब्ती का उद्देश्य अवैध प्रसारण रोकना और आगे के नुकसान से सार्वजनिक हित की रक्षा करना है। जब्ती के दौरान प्रक्रियात्मक न्यायसंगतता (due process) और बाद में सुनवाई की प्रविधि का पालन जरूरी होता है।

      Section 12 — Confiscation
      (धारा 12 — उपकरणों की जप्ती/निष्कर्षण)
      यदि जब्त की गई सामग्री या उपकरणों के संबंध में वैधानिक प्रक्रिया पूरी होने पर निर्णय यूं होता है कि वे नियमों के विरुद्ध उपयोग हो रहे थे, तो वे उपकरण स्थायी रूप से जब्त (confiscate) किए जा सकते हैं। यह कदम ऑपरेटर को दंडित करने के साथ-साथ अवैध उपकरणों के पुनः उपयोग को रोकने का साधन भी है। साथ ही कोई पार्टी यदि उचित प्रक्रिया के दौरान अपनी बात रखे तो उसके दावे का भी परीक्षण किया जाएगा—परन्तु कानून के तहत अनावश्यक या सार्वजनिक हित के खिलाफ उपकरण वापस नहीं किए जाते।

      Section 13 — Seizure or confiscation of equipment not to interfere with other punishment
      (धारा 13 — जब्ती/जप्ती के बावजूद अन्य दंड बाधित नहीं होंगे)
      यह धारा स्पष्ट करती है कि उपकरणों की जब्ती या जप्ती (seizure/confiscation) अन्य दण्डात्मक कार्रवाइयों (जैसे जुर्माना, मुक़दमेबाज़ी) के विकल्प को समाप्त नहीं करती। यानी उपकरण जब्त कर देने के बावजूद संबंधित व्यक्ति/कंपनी पर जुर्माना, आपराधिक कार्रवाई या अन्य वैधानिक दण्ड भी लगाए जा सकते हैं। इस तरह कानूनी प्रक्रिया कई आयामों में चल सकती है — जब्ती के अतिरिक्त अन्य दण्डात्मक साधन भी धर्मिक रहते हैं।

      Section 14 — Giving of opportunity to the cable operator of seized equipment
      (धारा 14 — जप्त उपकरणों के मामले में ऑपरेटर को सुनवाई का अवसर देना)
      कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी के भी उपकरणों पर जब्ती या जप्ति का अंतिम आदेश जारी करने से पहले संबंधित ऑपरेटर को अपने बचाव का मौका मिले—यानी सुनवाई (opportunity of being heard) अनिवार्य है। यह प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत (audi alteram partem) है। सुनवाई में ऑपरेटर अपने कागजात, प्रमाण और दलील पेश कर सकता है; उसके बाद अधिकारी का अंतिम निर्णय लिया जाता है। इससे विधिक पारदर्शिता और संपूर्ण प्रक्रिया-न्याय सुनिश्चित होता है।

      Section 15 — Appeal
      (धारा 15 — अपील का अधिकार)
      यदि किसी ऑपरेटर को जब्ती, जप्ती या अन्य आदेशों के खिलाफ असंतोष हो, तो वह न्यायालय में अपील कर सकता है—अकसर अधिनियम में अपील की समय-सीमा और पद्धति का उल्लेख होता है। अपील की प्रक्रिया न्यायिक समीक्षा का मार्ग देती है ताकि किसी भी प्रशासनिक निर्णय में त्रुटि के मामलों में सुधार हो सके। अपीलीय न्यायालय आदेश बदल, समाप्त या वापस कर सकता है; तथा यदि पाया गया कि प्रक्रियात्मक अनियमितता हुई है तो आदेश को निरस्त भी किया जा सकता है। यह कानून के तहत संवैधानिक उपायों का हिस्सा है।

      Section 16 — Punishment for contravention of provisions of this Act
      (धारा 16 — अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड)
      धारा 16 में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान होता है — जैसे जुर्माना, कारावास या दोनों, उल्लेखित अपराध की गंभीरता और पुनरावृत्ति पर निर्भर करते हुए। यह दंडात्मक प्रावधान केबल ऑपरेटरों और सम्बंधित पक्षों को कानून के पालन के लिए बाध्य करने का साधन हैं। दंड का उद्देश्य सुधार, रोकथाम और सार्वजनिक हित में अनुपालन सुनिश्चित करना है। साथ ही यह दर्शाता है कि नियमों के उल्लंघन पर नियामक संस्थाओं के पास प्रभावी लागू करने की शक्ति है।

      Section 17 — Offences by companies (The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995)
      (धारा 17 — कंपनियों द्वारा अपराधों का दायित्व)
      यदि कोई कंपनी अधिनियम का उल्लंघन करती है, तो केवल कंपनी ही नहीं, उसके निदेशक, प्रबन्धक या किसी भी प्रकार के अधिकारी जो उस समय कंपनी के कर्तव्यों में शामिल थे, उन्हें भी वैधानिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है—जब तक निहित दोष साबित न हो। यह क्लॉज़ कंपनियों के नेतृत्व को भी दायित्व और जवाबदेही के दायरे में लाता है, ताकि कंपनियां नियमों का पालन करने के लिए सक्षम प्रबंधन तंत्र बनाएँ। कोर्ट में यह सिद्ध करने की व्यवस्था रहती है कि किस अधिकारी ने किस सीमा तक भूमिका निभाई।
      India Code

      Section 18 — Cognizance of offences
      (धारा 18 — अपराधों का संज्ञान)
      यह धारा बताती है कि अधिनियम के अन्तर्गत अपराधों का किस प्रकार और किस कोर्ट/अधिकारी द्वारा संज्ञान (cognizance) लिया जाएगा। सामान्यतः स्थानीय या विशेष अधिकरणों को उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करनी होती है और शिकायत/प्रमाणिक जानकारी के आधार पर केस दर्ज किया जाता है। धारा यह सुनिश्चित करती है कि कानूनी प्रक्रिया की उपयुक्तता, समयसीमा और न्यायिक श्रेणी का पालन हो, ताकि मामलो का तेजी से निष्पादन और उचित न्याय किया जा सके।
      India Code

      Section 19 — Power to prohibit transmission of certain programmes in public interest
      (धारा 19 — सार्वजनिक हित में कुछ कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगाने का अधिकार)
      इस प्रावधान के अनुसार केन्द्र सरकार अथवा अधिकृत अधिकारी उस कार्यक्रम/चैनल का प्रसारण रोक सकता है यदि वह सार्वजनिक हित, राष्ट्रीय सुरक्षा या सामुदायिक सद्भाव के विरुद्ध माना जाए। यह लॉक-डाउन, दंगा-प्रवणता, साम्प्रदायिक तनाव जैसी स्थितियों में दुष्प्रभावी सामग्री को रोकने का औजार है। रोक लागू करने से पहले आवश्यक प्रक्रियाएँ और नियम लागू होते हैं, परन्तु आपात परिस्थिति में शीघ्र रोक-आदेश जारी किए जा सकते हैं। यह शक्ति संवैधानिक रूप से सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा के लिये दी गयी है।

      Section 20 — Power to prohibit operation of cable television network in public interest
      (धारा 20 — सार्वजनिक हित में केबल नेटवर्क संचालन पर रोक लगाने का अधिकार)
      यदि किसी विशेष इलाके या सम्पूर्ण रूप से किसी समय पर केबल नेटवर्क का परिचालन सार्वजनिक हित के कारण खतरनाक या अनुचित पाया जाये (उदा. कानून-व्यवस्था की स्थिति, सुरक्षा कारण), तो सरकार उस नेटवर्क के संचालन पर रोक लगा सकती है। यह कदम अस्थायी या स्थायी दोनों रूपों में लिया जा सकता है और इसमें प्रभावित पक्षों को सुनवा भी दी जाती है। इस अधिकार का इस्तेमाल केवल गंभीर सार्वजनिक हित के मामलों में किया जाता है और इसे वैधानिक शर्तों के अंतर्गत सीमित रखा गया है।

      Section 21 — Application of other laws not barred
      (धारा 21 — अन्य कानूनों का प्रभार बाधित नहीं होगा)
      यह धारा स्पष्ट करती है कि इस अधिनियम के लागू होने से अन्य कानूनों या दंडनीय प्रावधानों का प्रभाव घटता नहीं है; यानी यदि किसी कार्य से अन्य विधि अन्तर्गत भी उत्तरदायित्व बनता है (जैसे आपराधिक कानून, श्रम कानून, BPO नियम), तो वे भी लागू होंगे। इसका मतलब यह कि अधिनियम किसी भी अन्य कानूनी उपाय या प्रतिबन्ध को बाधित नहीं करता—सभी प्रासंगिक विधिप्रावधान साथ-साथ लागू रह सकते हैं। यह समन्वित न्याय व्यवस्था हेतु ज़रूरी है। Copyright Act
      India Code

      Section 22 — Power to make rules
      (धारा 22 — नियम बनाने की शक्ति)
      केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक नियम बनाए—जिनमें पंजीकरण, निरीक्षण, दंड, तकनीकी मानक, रिपोर्टिंग और अनुपालन की प्रक्रियाएँ शामिल हों सकती हैं। नियम बनाने के बाद वे नियम Official Gazette में प्रकाशित होते हैं और तब तक लागू होते हैं जब तक संसद/प्रासंगिक प्राधिकारी द्वारा संशोधित या निरस्त न कर दिए जाएँ। यह धारा प्रशासनिक कार्यप्रणाली तथा व्यावहारिक अनुपालन हेतु नियमावली की नींव देती है।

      Section 23 — Repeal and savings (The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995
      (धारा 23 — निरसन और संरक्षण प्रावधान)
      यह धारा पुराने किसी Ordinance या पूर्व लागू प्रावधानों के साथतालमेल (repeal and savings) को निर्धारित करती है—अर्थात 1995 के अधिनियम के लागू होते ही पूर्व के कुछ अध्यादेश/क़ानूनों को निरस्त किया जा सकता है, परन्तु पहले से चल रही कार्रवाइयाँ, आदेश या अधिकार संरक्षित रह सकते हैं (saving clause)। इसका उद्देश्य कानूनी संक्रमणकाल को नियंत्रित करना और पूर्व की वैध कार्रवाईयों को प्रभावहीन न कर देना है। यह विधिक पारदर्शिता और निरंतरता बनाए रखता है।

      The Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995

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