“Uses and Gratifications Theory” संचार (Communication) के क्षेत्र की एक बहुत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय थ्योरी है।
यह सिद्धांत यह समझने की कोशिश करता है कि लोग मीडिया का उपयोग क्यों करते हैं और उन्हें इससे क्या संतुष्टि (gratification) मिलती है। Cultivation Theory of Communication
नीचे इसका पूरा विवरण – अर्थ, उत्पत्ति, सिद्धांत, महत्व, वर्तमान प्रासंगिकता और उदाहरणों सहित व्यवस्थित रूप से समझाया गया है
यूज़ेज़ एंड ग्रैटिफिकेशन थ्योरी (Uses and Gratification Theory)
परिचय (Introduction)
अधिकांश संचार सिद्धांत यह समझाने की कोशिश करते हैं कि मीडिया दर्शकों पर क्या प्रभाव डालता है —
लेकिन “Uses and Gratifications Theory” का दृष्टिकोण इसके बिलकुल उल्टा है।
यह सिद्धांत कहता है कि —
“मीडिया दर्शकों पर प्रभाव नहीं डालता, बल्कि दर्शक स्वयं मीडिया को अपने उद्देश्यों और जरूरतों के अनुसार उपयोग करते हैं।”
यानी यह सिद्धांत दर्शक को सक्रिय (active audience) मानता है, न कि निष्क्रिय (passive)।
दर्शक स्वयं यह तय करता है कि वह कौन-सा माध्यम (टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया आदि) क्यों और किस मकसद से देखना या उपयोग करना चाहता है।
अर्थ (Meaning of Uses and Gratifications Theory)यह सिद्धांत बताता है कि लोग मीडिया से अपनी व्यक्तिगत, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों को पूरा करते हैं।
सरल शब्दों में —
> “लोग मीडिया का उपयोग किसी न किसी संतुष्टि के लिए करते हैं।”
उदहरण के लिए –
कोई व्यक्ति मनोरंजन के लिए YouTube देखता है,
कोई जानकारी के लिए समाचार पढ़ता है, कोई संपर्क के लिए WhatsApp या Instagram का उपयोग करता है। इस तरह हर व्यक्ति मीडिया का प्रयोग अपने विशिष्ट उद्देश्य (purpose) के अनुसार करता है।
उत्पत्ति और विकास (Origin and Development) इस सिद्धांत की जड़ें 1940 के दशक में हैं, जब Paul Lazarsfeld और Herta Herzog ने यह अध्ययन किया कि लोग रेडियो धारावाहिक क्यों सुनते हैं।
1970 के दशक में Elihu Katz, Jay Blumler और Michael Gurevitch ने इसे औपचारिक रूप से विकसित किया और इसे “Uses and Gratifications Approach” नाम दिया।
उनका प्रमुख शोध 1974 में प्रकाशित हुआ:
“The Uses of Mass Communications: Current Perspectives on Gratifications Research”
यह सिद्धांत Audience-centered theory है — यानी यह दर्शकों को केंद्र में रखता है।
मुख्य अवधारणाएँ (Key Concepts)
1. Active Audience (सक्रिय दर्शक):
दर्शक मीडिया का उपयोग अपने उद्देश्य से करते हैं। वे यह तय करते हैं कि क्या देखना है और क्यों।
2. Goal-oriented (लक्ष्य-उन्मुख व्यवहार): हर व्यक्ति की कोई-न-कोई ज़रूरत या लक्ष्य होता है — जानकारी प्राप्त करना, मनोरंजन करना, समय काटना, सामाजिक जुड़ाव आदि।
3. Gratification Sought vs. Gratification Obtained:
दर्शक मीडिया से कुछ संतुष्टियाँ “चाहते” हैं (sought) और कुछ “प्राप्त” करते हैं (obtained)।
दोनों में अंतर होना संभव है।
4. Media as a Means, not as a Power:
मीडिया कोई शक्ति नहीं है जो दर्शकों पर हावी हो; बल्कि यह एक साधन है जिसे लोग उपयोग करते हैं। मीडिया से मिलने वाली पाँच प्रमुख संतुष्टियाँ (Five Major Gratifications) Katz और उनके सहयोगियों ने मीडिया उपयोग से मिलने वाली पाँच प्रमुख संतुष्टियों का उल्लेख किया:
1. Information and Education (जानकारी और शिक्षा):समाचार, डॉक्यूमेंट्री, शैक्षणिक चैनल आदि से ज्ञान प्राप्त करना।
उदाहरण: किसी परीक्षा की तैयारी के लिए YouTube चैनल देखना।
2. Entertainment (मनोरंजन): तनाव कम करना, समय बिताना, हँसी-मज़ाक या रोमांच महसूस करना।
उदाहरण: Netflix या Instagram Reels देखना।
3. Personal Identity (व्यक्तिगत पहचान): अपनी सोच, संस्कृति या मूल्य से जुड़ाव महसूस करना।
उदाहरण: किसी देशभक्ति गीत या मोटिवेशनल वीडियो से प्रेरणा लेना।
4. Integration and Social Interaction (सामाजिक संपर्क): दूसरों से जुड़ने की भावना प्राप्त करना।
उदाहरण: Facebook, WhatsApp, Telegram आदि पर बातचीत करना।
5. Escapism (वास्तविकता से पलायन): तनाव, समस्या या दिनचर्या से थोड़ी देर के लिए मानसिक राहत पाना।
उदाहरण: कॉमेडी शो देखना या गेम खेलना।
महत्व (Importance of the Theory)
1. दर्शक-केंद्रित दृष्टिकोण: इस सिद्धांत ने पहली बार दर्शकों को सक्रिय और निर्णायक भूमिका में रखा।
2. मीडिया प्रभावों के अध्ययन में नया दृष्टिकोण: यह बताता है कि प्रभाव मीडिया से नहीं बल्कि दर्शकों की जरूरतों से उत्पन्न होता है।
3. शोध और मार्केटिंग में उपयोगी: मीडिया संस्थान यह जान सकते हैं कि दर्शक किस चीज़ से अधिक संतुष्ट हैं और उसी के अनुसार सामग्री बना सकते हैं।
4. मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में योगदान: यह बताता है कि लोग अपनी सामाजिक और भावनात्मक आवश्यकताओं को मीडिया से कैसे पूरा करते हैं।
सीमाएँ (Limitations or Criticisms)
1. आत्म-रिपोर्टिंग पर निर्भरता: शोध इस बात पर निर्भर करता है कि दर्शक स्वयं बताएँ कि उन्होंने क्या और क्यों देखा — जो हमेशा सटीक नहीं होता।
2. संतुष्टि मापना कठिन: संतुष्टि एक मानसिक अनुभव है, जिसे मापना मुश्किल है।
3. सामाजिक प्रभाव की अनदेखी: यह सिद्धांत इस पर ध्यान नहीं देता कि मीडिया समाज या राजनीति को कैसे प्रभावित करता है।
4. मीडिया नियंत्रण को नकारना: कभी-कभी मीडिया इतना शक्तिशाली होता है कि दर्शक उसकी दिशा में खिंच जाते हैं, लेकिन यह सिद्धांत उस पहलू को नहीं मानता।वर्तमान डिजिटल युग में प्रासंगिकता (Relevance in Current Scenario)
आज के सोशल मीडिया युग में यह सिद्धांत पहले से कहीं ज़्यादा उपयोगी और सही साबित हुआ है।
अब दर्शक हर समय यह चुनते हैं कि वे क्या देखेंगे, कहाँ और कब।
1. YouTube और OTT प्लेटफ़ॉर्म:
दर्शक अपनी रुचि और जरूरत के अनुसार कंटेंट चुनते हैं —
जैसे शैक्षिक वीडियो, कॉमेडी शो, मूवी या प्रेरक भाषण।
यहाँ दर्शक का नियंत्रण सबसे ज़्यादा है — यह थ्योरी का मूल सिद्धांत है।2. सोशल मीडिया नेटवर्क:
Instagram, Facebook या X (Twitter) का उपयोग लोग अलग-अलग कारणों से करते हैं —
कोई जानकारी के लिए, कोई आत्म-अभिव्यक्ति के लिए, और कोई सामाजिक जुड़ाव के लिए। इससे पता चलता है कि “एक ही माध्यम, अलग-अलग संतुष्टियाँ” देता है।
3. WhatsApp और Telegram:
लोग निजी संपर्क, ग्रुप चर्चा या सामाजिक समर्थन के लिए इनका उपयोग करते हैं। यह “Integration and Social Interaction” श्रेणी में आता है।
4. Gaming और Virtual Reality: आधुनिक गेम्स लोगों को “Escape” और “Achievement” दोनों की भावना देते हैं। यानी वास्तविकता से राहत और सफलता का अनुभव — दोनों संतुष्टियाँ एक साथ।
5. News Apps और Online Journalism:
लोग अब खुद तय करते हैं कि किस प्रकार की खबरें देखनी हैं —
राजनीति, टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य या मनोरंजन।
यह ‘goal-directed media consumption’ का उदाहरण है।
आधुनिक विस्तार (Modern Extensions)
1. Uses and Gratification :
नए शोधों ने इस सिद्धांत को “Internet and Social Media Age” में और विस्तारित किया है।
इसमें User-generated content और Interactivity जैसी नई अवधारणाएँ जोड़ी गई हैं।
2. Motivational Use Studies:
अब यह अध्ययन किया जाता है कि लोग किसी विशेष ऐप या प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किन मनोवैज्ञानिक कारणों से करते हैं —
जैसे आत्म-सम्मान, सामाजिक मान्यता, अकेलापन, या मनोरंजन।
3. Algorithmic Gratification:
आज के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म हमारे व्यवहार का विश्लेषण करके वही सामग्री दिखाते हैं जिससे हमें संतुष्टि मिलती है — यानी अब मीडिया हमारी ज़रूरतों को “पहचानने” लगा है।
निष्कर्ष (Conclusion)
“Uses and Gratifications Theory” आधुनिक मीडिया अध्ययन की सबसे व्यावहारिक और मानव-केंद्रित थ्योरी है।
यह हमें यह समझने में मदद करती है कि —
Uses and Gratifications Theory
> “मीडिया हमें नियंत्रित नहीं करता, बल्कि हम मीडिया को अपनी जरूरतों के अनुसार इस्तेमाल करते हैं।”
आज के युग में जब हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है और वह अपने अनुसार कंटेंट चुन सकता है,
यह सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक, यथार्थवादी और उपयोगी हो गया है।
इसलिए, यह सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि हम मीडिया से क्या प्राप्त करना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर करता है —
और यही “संतुलित मीडिया उपभोग” (Balanced Media Use) की कुंजी है।
Uses and Gratifications Theory