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      Home Media Study Material Communication

      Touch communication क्या होता है स्पर्श संचार

      by Dr. Arvind Kumar Singh
      3 years ago
      in Communication
      0

      What is touch communication क्या होता है स्पर्श संचार

      Smell and communication

      अभिवादन का संचार में महत्व Importance of greeting in communication

      Proximity in communication

      touch communication

      अपनी बातों को विचारों को भावनाओं को दूसरे तक पहुंचाने के लिए हम विभिन्न प्रकार के माध्यमों का सहारा लेते हैं। इसी प्रकार से दूसरे द्वारा प्रेषित विभिन्न प्रकार के संदेशों को भी हम कई माध्यमों द्वारा प्राप्त करते हैं । सामान्यतौर पर देख करके, सुन करके हम सबसे अधिक सूचना, संदेश, जानकारी प्राप्त करते हैं। किंतु हमारे शरीर में अन्य इंद्रियां भी हैं जिनके माध्यम से भी हमें वाह्य जगत के विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों की जानकारी हमें मिलती रहती है। इसमें स्पर्श के माध्यम से सूचनाओं को प्राप्त करने का जो तरीका है, वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण तरीका है। सच कहा जाए तो इस प्रकार के संदेश और भाव सिर्फ स्पर्श के माध्यम से ही गहराई के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं और उसी गहराई के साथ है अनुभूति भी किए जाते हैं उसका विकल्प शब्द और अन्य कोई माध्यम नहीं हो सकता है। देख करके, सुन करके जो हम कहते हैं, उसकी तुलना में स्पर्श के माध्यम से की गयी अनुभूति बहुत ही गहरा और कुछ परिस्थितियों में तो बहुत ही हमारे मन को बहुत ही सुकून देने वाला होता है।
      यहाॅ आगे हम स्पर्श संचार touch communication के संदर्भ में ही चर्चा करने जा रहे है। इसके अंतर्गत हम यह चर्चा करेंगे कि स्पर्श संचार किसे कहते हैं, यह किस प्रकार से किया जाता है।


      2- सामान्य तौर पर स्पर्श संचार touch communication एक नॉन वर्बल तरीके से किए जाने वाला संचार है। इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को स्पर्श करके किसी भी प्रकार के भाव को संप्रेषित करता है। कई बार तो जब स्पर्श संचार हम करते हैं तो उसके प्रति हमारा कोई बहुत स्पष्ट ध्यान भी नहीं रहता है। जब स्पर्श के माध्यम से स्पष्ट तरीके से संचार किया जाता है तो उसके द्वारा प्रेषित संदेश स्पष्ट तरीके से ग्रहण किया जाता है और इसमें कोई किसी प्रकार का कोई भ्रम नहीं रहता है।


      3 सामान्य तौर पर व्यावहारिक जीवन में हम जो स्पर्श के माध्यम से संचार करते हैं, उसके अंतर्गत एक दूसरे से हाथ मिलाना, एक दूसरे के हाथ को पकड़ना, बाल एवं गाल को स्पर्श करना, हाथ को चूमना, पीठ पर थपथपाना, कंधे को आपस में रगड़ना और इसी प्रकार से भुजाओं को आपस में रगड़ना करने जैसे क्रियाकलाप शामिल हैं। इसमें से कुछ क्रियाकलाप तो सभी सभ्यता एवं संस्कृति में एक समान तौर पर पाए जाते हैं। यद्यपि उनका तौर तरीका और अवसर आदि भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। भारतीय समाज एवं संस्कृति में माता, पिता, गुरु एवं अन्य श्रेष्ठ एवं वरिष्ठ जन के प्रति सम्मान देने के लिए उनका चरण स्पर्श किया जाता है। इसी तरीके से समाज एवं परिवार में भी अपने बड़ों के प्रति सम्मान देने के लिए उनका चरण स्पर्श किया जाता है। यह एक बहुत ही श्रद्धापूर्वक व्यक्त किया गया भाव होता है जिसमें चरण स्पर्श करने वाला व्यक्ति अपने को पूरी तरह से समर्पित करते हुए अपना भाव व्यक्त करता है।
      4- स्पर्श संचार touch communicationमानवीय के जीवन में बहुत ही प्राथमिक स्तर पर किया जाने वाला संचार होता है। एक जन्म लेने वाला शिशु जबकि वह अन्य प्रकार के इंद्रियों से बहुत ही स्पष्ट तरीके से संदेश नहीं प्राप्त कर सकता है, तो उस स्थिति में स्पष्ट संचार ही उसके लिए एक बहुत बड़ा सहारा होता है और इसे वे बहुत ही गहराई के साथ अनुभूति करते हैं। किसी भी प्रकार के करीबी रिश्ते में स्पर्श समाचार और भावनात्मक सहारा देता है।

      5 – मानव एक सामाजिक प्राणी है और शोध से ज्ञात हुआ है कि स्पर्श एक भावनात्मक बंधन विकसित करता है और सामाजिक संचार के संदर्भ में यह एक आधारभूत आवश्यकता भी रहती है । छोटे बच्चों के विकास में स्पर्श संचार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ स्पर्श संचार के माध्यम से भावनात्मक जुडा़व एवं सारा प्यार करते हैं। अध्ययन से यह भी सामने आया है कि लोग अपने भावनाओं को स्पर्श के माध्यम से पूरी तरह से संप्रेषित करते हैं ।

      6- स्पर्श के माध्यम से व्यक्ति अपने अगल-बगल के आसपास के परिवेश से परिचित होता है, विभिन्न प्रकार की वह वस्तुओं के बारे में कुछ बातें हम स्पर्श के माध्यम से ही जानते एवं समझते है। प्रकृति के विभिन्न घटको के बारे में जानकारी और अनुभूति हम स्पर्श के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं विभिन्न वस्तुओं के बाहरी सतह के बारे में स्पर्श के माध्यम से ही स्पष्ट जानकारी मिलती है।

      7 स्पर्श संचार touch communicationकी कि कई प्रकार के विशेषताएं हैं । स्पर्श संचार के अंतर्गत शरीर के किसी भाग का स्पर्श दूसरे व्यक्ति द्वारा होना आवश्यक है । इस क्रम में स्पर्श की अनुभूति दोनों व्यक्तियों को होनी चाहिए। स्पर्श के विभिन्न तरीके के अनुसार भिन्न भिन्न प्रकार के संदेश दिए जाते हैं । कुछ खास प्रकार की स्थितियों में स्पर्श हमारे गहरी अनुभूति को संप्रेषित करता है। प्यार की अनुभूति मे तो स्पर्श संचार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। स्पर्श संचार के अंतर्गत कब, कहां, कैसे स्पर्श करना है, इस पर ध्यान देना आवश्यक है। स्पर्श संचार के अंतर्गत ही कुछ प्रकार के स्पर्श अत्यंत निजी रूप में किया जाता है।

      8 स्पर्श संचार touch communication के अंतर्गत एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि कुछ प्रकार के स्पर्श से सभी संस्कृति में जहां एक ही प्रकार के अर्थ देते हैं और वे उसी रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, वहीं पर कुछ प्रकार के स्पर्श भिन्न-भिन्न संस्कृति में विभिन्न रूप में इस्तेमाल करते हैं । कुछ संस्कृति स्पर्श को बहुत ही आसानी के साथ स्वीकार करती है और उनके लिए यह बहुत ही सामान्य तरीका होता है। वहीं पर कुछ संस्कृति में स्पर्श के प्रति बहुत ही संवेदनशीलता होती है । इसे बहुत ही ध्यानपूर्वक करना पड़ता है । ऐसे संस्कृति को नान-कांटेक्ट कल्चर कहते हैं।

      9 स्पर्श का तौर तरीका भी भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है । कुछ स्पर्श पुरुषों के बीच में बहुत ही सहज रूप में देखता है। वहीं पर कुछ स्पर्श महिलाओं के बीच में बहुत ही सहज रूप में दिखता है। पुरुषों और महिलाओं के बीच में किए जाने वाले स्पर्श कई तरीके की सामाजिक, सांस्कृतिक तौर तरीके को ध्यान में रख कर के ही किया जाता है। सामान्य तौर पर पुरुष और महिला के बीच में स्पर्श संचार बहुत ही सीमित तरीके से होता है । यदि कभी किसी रूप में कोई स्पर्श संचार किया जाता है तो वह बहुत ही औपचारिकता को ध्यान में रखकर करना पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र, महिला शिक्षिका का चरण स्पर्श कर रहा है, तो इसे सामाजिक मर्यादा के अंतर्गत देखा जाता है।

      10 इलाज के संदर्भ में किया जाने वाला स्पर्श एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकार का स्पर्श है। स्पर्श का उपयोग बहुत के विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के संदर्भ में भी किया जाता है। चिकित्सा की दुनिया में टच थेरेपी या स्पर्श इलाज एक बहुत ही महत्वपूर्ण इलाज के तरीके के अंतर्गत आता है। भावनात्मक पहलू के संदर्भ में तो इसका बहुत ही अधिक महत्व है। भिन्न भिन्न बीमारियों के सन्दर्भ में भी स्पर्श संचार touch communicationका स्वरूप भिन्न भिन्न होता है।

      11- विभिन्न संस्कृतियों में स्पर्श का तरीका इन भिन्न प्रकार का होता है । वह वह संस्कृति जिसमें की स्पर्श को बहुत ही सामान्य रूप में लिया जाता है, उसे हम उच्च सम्पर्क संस्कृति या हायर कांटेक्ट कल्चर कहते हैं । इसमें एक दूसरे को स्पर्श करने के संदर्भ को बहुत सहज रूप में लिया जाता है । भारतीय संस्कृति में कुछ समाज में यह पाया जाता है। इसी प्रकार से हाथ मिलाना, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे समाज में बहुत ही सम्मान की जैसे चरणों से किस करना प्रांशु बहुत ही सामान है भारतीय संस्कृत में चरण स्पर्श करना बहुत ही सामान्य है तो इससे अलग संस्कृतियों में विभिन्न प्रकार के स्पर्श संचार किए जाते हैं और अलग-अलग तरीके से उनका प्रचलन है।

      12- स्पर्श संचार touch communicationके माध्यम से संदेश संप्रेषित किया जाता है। किंतु यह सभी परिस्थितियों में उन्हें करना संभव नहीं है। इसके लिए उचित परिवेश स्थान, समय आदि की आवश्यकता होती है। तभी इसे सही प्रकार से किया जा सकता है। इसी प्रकार, गलत तरीके से किया गया स्पर्श, गलत संदेश देता है। इसलिए भिन्न भिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच में स्पर्श संचार के सन्दर्भ में कई प्रकार की गलतफहमी भी हो सकती है।

      13 स्पर्श संचार touch communication का प्रभाव बहुत प्रकार से दिखता है। इसके द्वारा बहुत ही अंतरंग संबंध निश्चित करता है। यह संबंधित व्यक्ति को एक मनोवैज्ञानिक सहारा प्रदान करता है, वहीं पर, गलत तरीके से स्पर्श करने वाले व्यक्ति में नकारात्मक भाव उत्पन्न होता है। कोई किसी को किस प्रकार से कैसे स्पर्ष कर रहा है, उसके अनुसार, उस व्यक्ति का आपसी संबंध भी दिखता है और वह कितना करीब और सम्मानित तरीका है वह बतलाता है।

      14 प्रभावी स्पर्श संचार touch communicationकरने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति संचार के संदर्भ में सांस्कृतिक तौर तरीकों के बारे में जानकारी रखें। इसी के साथ, व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक पहलूओं की भी जानकारी हो। भिन्न भिन्न संस्कृतियों में स्पर्श संचार का स्वरूप भिन्न भिन्न प्रकार से होते है। उसकी जानकारी के बगैर किसी के साथ किया गया स्पर्श गलत ढंग का हो सकता है। अतः स्पर्श संचार में हर प्रकार से सावधनी बरतनी चाहिए।

      15-एक दूसरे से स्पर्श के अतिरिक्त स्वयं द्वारा किया जाने वाला भी एक खास प्रकार का स्पर्श है। सामान्यतौर पर इस पर ध्यान नही जाता है। किन्तु व्यक्ति स्वयं को स्पर्श करके विविध प्रकार की संदेश एवं भाव को देता रहता है। चोट आदि के दौरान यह खास रूप में परिलक्षित होता है। किन्तु सामान्य तौर पर अपने शरीर के बारे में कई प्रकार की बातें स्वयं को स्वयं संचार से ही पता चलता है।

      16- हम देखते हैं कि स्पर्श संचार touch communication नॉनवर्बल संचार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है और हमें इसका सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि हम नॉनवर्बल तरीके से किए जाने वाले स्पर्श संचार का सही तरीके से इस्तेमाल करें। इससे हम अपने संचार के गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं और हम सही प्रकार से संचार करते हैं।

      Tags: touch communication
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      Dr. Arvind Kumar Singh

      Dr. Arvind Kumar Singh

      Media Specialist and Writer , UGC NET and JRF, SRF Fellow, Ph.D. in Mass Communication and Journalism subject (Area -Development communication) from BHU in 1997. Experience of Teaching in Various Universities and other academic Institutions including BHU as UGC JRF and SRF fellow, Lucknow university as guest faculty and Allahabad university as visiting fellow. Members of various Media professional organizations. Participation in various national and international Seminar and Conferences. Written several books on electronic and digital media

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