
रेडियो स्टूडियो के सभी मुख्य कक्ष और उनमें काम करने वाले व्यक्ति
Radio Studio Structure किसी रेडियो प्रसारण की अपनी एक संरचना होती है। यह रेडियो प्रसारण की आवश्यकता को ध्यान में रख करके एक निश्चित मानक के अनुसार तैयार किया जाता है। इसमें कुछ कार्यो के सन्दर्भ में विविध प्रकार के कक्ष होते है। यहॉ पर आगे रेडियो स्टुडियो के विविध कक्ष , उसके उद्देश्य और उसमें कार्य करने वाले विविध व्यक्तियों के कार्य के बारे में जानकारी दी गयी है।
ऑन-एयर स्टूडियो – ऑन-एयर स्टूडियो वह जगह है जहाँ से कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण और रिकॉर्डिंग होती है। इसमें आरजे या एंकर माइक्रोफोन, हेडफोन, कंप्यूटर और साउंड मिक्सर के जरिए श्रोताओं से जुड़ते हैं। इस कक्ष में सामान्यतौर पर रेडियो, उ्द्घोषक, रेडियो जॉकी एवं समाचार वाचक न्यूज रीडर एवं शो होस्ट कार्य करते हैं। इनका मुख्य कार्य स्क्रिप्ट पढ़ना, कार्यक्रम में आमंत्रित मेहमान से बातचीत करना, गानों का परिचय देना और कॉलर्स से इंटरैक्ट करना होता है। यह कमरा साउंडप्रूफ और आरामदायक बनाया जाता है। इससे बोलने में सहजता होती है और बाहर की ध्वनि अंदर न आए।
कंट्रोल रूम – कंट्रोल रूम ऑन-एयर स्टूडियो से जुड़ा हुआ कमरा होता है। यहॉ पर साउंड इंजीनियर बैठता है। इस कक्ष में ऑडियो कंसोल, मिक्सिंग डेस्क, टेलीफोन हाइब्रिड, मॉनिटर कंट्रोलर और अन्य प्रकार के तकनीकी उपकरण होते हैं। यहॉ पर साउंड इंजीनियर सभी तकनीकी कार्यो कों करता है। इसमें सभी माइक लेवल को बैलेंस करना, म्यूजिक और इफेक्ट्स मिलाना, रिकॉर्डिंग आरम्भ एवं बन्द करना और कॉलर की आवाज को जोड़ने का कार्य शामिल है। प्रोडक्शन असिस्टेंट भी यहीं से समय-समय पर स्क्रिप्ट या निर्देश देता है। यह कमरा काँच की खिड़की से ऑन-एयर स्टूडियो से जुड़ा होता है जिससे कि आरजे और इंजीनियर एक-दूसरे को देख सकें।
प्रोडक्शन रिकॉर्डिंग रूम यह कक्ष प्रोग्रामों की रिकॉर्डिंग और एडिटिंग के लिए होता है। यहाँ प्रोड्यूसर और ऑडियो एडिटर काम करते हैं। इसलिए यहॉ पर इससे सम्बन्धित उपकरण होते है। इसमें मल्टी-ट्रैक रिकॉर्डिंग सिस्टम, डिजिटल ऑडियो वर्कस्टेशन , साउंड इफेक्ट्स लाइब्रेरी, हेडफोन और मॉनिटर स्पीकर्स होते हैं। प्रोड्यूसर कंटेंट की प्लानिंग करता है। वहीं पर साउन्ड एडिटर रिकॉर्डेड ऑडियो को एडिट कर उसे अन्तिम रूप देता है। यह कक्ष ऑन-एयर स्टूडियो से अलग होता है। इससे रिकॉर्डिंग के समय कोई व्यवधान नही होता है। इस प्रकार से यह वह स्थान है जहाँ कच्चा कंटेंट तैयार होकर प्रसारण योग्य बनता है। कई बार रिकार्डिंग के बाद सम्पादन कार्य के लिए अलग कक्ष में व्यवस्था की गयी रहती है।
अतिथि कक्ष / ग्रीन रूम – इंटरव्यू या गेस्ट कक्ष वह जगह होता है, जहाँ पर बुलाये गये अतिथि या कॉलर प्रसारण एवं रिकार्डिग से पहले या दौरान बैठते हैं। यहाँ पर आवष्यक फर्नीचर कुर्सियाँ, टेबल, माइक्रोफोन और हेडफोन की व्यवस्था होती है। गेस्ट स्पीकर, कलाकार, विशेषज्ञ या इंटरव्यू देने वाले लोगों को इसी जगह पर प्रोडक्शन टीम का कोई सदस्य बैठकर उनको स्क्रिप्ट या शो की रूपरेखा बताता है। कई स्टूडियो में यह कमरा ऑन-एयर स्टूडियो से जुड़ा होता है। इस प्रकार से यह जगह गेस्ट को सहज महसूस कराने और शो में शामिल होने से पहले तैयारी कराने के लिए बनाई गयी रहती है। रेडियो स्टूडियो में कौन लोग काम करते हैं
ट्रांसमिशन/सर्वर कक्ष – यह कमरा रेडियो स्टेशन के तकनीकी दिल की तरह होता है। यहाँ ट्रांसमीटर, सर्वर, यूपीएस, राउटर और मॉनिटरिंग सिस्टम लगे होते हैं। इसमें मुख्य रूप से तकनीकी स्टाफ काम करता है जो प्रसारण सिग्नल को स्थिर और सुरक्षित बनाए रखता है। इनका काम है रेडियो सिग्नल को ट्रांसमीटर तक पहुँचाना, बैकअप पावर की निगरानी करना और तकनीकी गड़बड़ियों को ठीक करना होता है। यह कक्ष आमतौर पर एयर-कंडीशन्ड और हाई-सिक्योरिटी में रखा जाता है । उपकरण सही तापमान और सुरक्षित माहौल में काम करने के लिए यह आवश्यक है। https://onlineradiofm.in/stations/all-india-air-varanasi
रिहर्सल रूम-Radio Studio Structure के अंतर्गत रिहर्सल रूम वह स्थान है जहाँ पर किसी भी कार्यक्रम की रिकार्डिंग से पहले अभ्यास किया जाता है। इस स्थान पर आरजे, कार्यक्रम होस्ट, स्क्रिप्ट राइटर और गेस्ट कार्यक्रम से पहले टाइमिंग मिलाने, वॉइस मॉड्यूलेशन और डायलॉग की प्रैक्टिस करते हैं। इस कक्ष में बेसिक माइक्रोफोन, हेडफोन और प्ले-बैक आदि आवश्यक सिस्टम लगा होता है। प्रोडक्शन असिस्टेंट भी यहाँ आकर टाइमिंग और कंटेंट की टेस्ट रन कराता है। रिहर्सल रूम होने से मुख्य ऑन-एयर स्टूडियो खाली रहता है । इससे शो से पहले की तैयारी स्वतंत्र रूप से चल सकती है। इससे लाइव प्रसारण में गलतियों की संभावना कम होती है।
प्रशासनिक कक्ष – प्रशासनिक कक्ष रेडियो स्टेशन का वह हिस्सा होता है जहाँ प्रबंधन, लेखा और दफ्तर से जुड़े काम किए जाते हैं। यहाँ स्टेशन मैनेजर, प्रोग्राम मैनेजर, एचआर अधिकारी, अकाउंटेंट और क्लेरिकल स्टाफ काम करते हैं। इनका काम कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करना, प्रसारण और प्रोडक्शन टीम के शेड्यूल बनाना, बजट और वित्तीय लेखा का प्रबन्धन करना होता है। इसके अतिरिक्त इसका कार्य स्पॉन्सरशिप व विज्ञापन प्रबंधन करना तथा स्टेशन के समग्र संचालन को नियंत्रित करना होता है। इस प्रकार के कक्ष प्रसारण हेतु निर्मित तकनीकी क्षेत्रों से अलग और शांत वातावरण में बनाए जाते हैं ताकि दस्तावेजी और योजना संबंधी काम सहज ढंग से किया जा सके। Radio recording technique
मीटिंग एवं कॉन्फ्रेंस रूम – यह प्रसारण केन्द्र में समय समय पर विविध प्रकार के कार्यक्रम एवं बैठक करने के लिए यह कक्ष होता है। इस कक्ष में आधुनिक सभी सुविधाएं दी जाती है। इसमें प्रोजेक्टर, स्क्रीन, बोर्ड और आरामदायक बैठने की व्यवस्था होती है। इस प्रकार की बैठक प्रषासनिक क्रिया कलापों के अतिरिक्त प्रोग्राम आइडियाज पर चर्चा, विज्ञापन क्लाइंट्स की मीटिंग, ब्रीफिंग तथा आने वाले शेड्यूल की योजना यहीं बनाई जाती है। इस कमरे में प्रोग्राम हेड, स्टेशन मैनेजर, प्रोडक्शन असिस्टेंट और कभी-कभी अतिथि विशेषज्ञ भी शामिल होते हैं। यह कक्ष कार्यो को सही प्रकार से करने और नए कार्यक्रम तैयार करने में अहम भूमिका निभाता है।
न्यूजरूम – यह कक्ष सभी रेडियो केन्द्र में नही होता है। किन्तु कई प्रसारण केन्द्र में आवश्यकतानुसार यह कक्ष होता है। न्यूजरूम वह जगह होती है जहाँ समाचार से जुड़ा पूरा काम किया जाता है। इसमें सूचना इकट्ठा करना, लिखना, संपादन, पैकेज बनाना और प्रसारण की तैयारी का कार्य है। यहाँ बड़े हॉल या केबिन में रिपोर्टर, स्क्रिप्ट राइटर, एडिटर और प्रोड्यूसर के लिए अलग-अलग डेस्क होते हैं। कंप्यूटर सिस्टम, न्यूज वायर सर्विस, टेलीफोन, टीवी मॉनिटर, माइक्रोफोन, रिकॉर्डिंग डिवाइस, न्यूज ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर और ऑडियो मिक्सर जैसे उपकरण मौजूद रहते हैं। रिपोर्टर खबरें और ऑडियो सामग्री लाते हैं, सब-एडिटर और स्क्रिप्ट राइटर उन्हें रेडियो भाषा में बदलते हैं, जबकि एडिटर प्राथमिकता तय कर बुलेटिन तैयार करता है। न्यूज रीडर तैयार स्क्रिप्ट को ऑन-एयर प्रस्तुत करता है और टेक्निकल स्टाफ प्रसारण की ऑडियो गुणवत्ता और समय नियंत्रण संभालता है। Radio magazine
न्यूजरूम में टीमवर्क आधारित वातावरण होता है। यहॉ पर हर सदस्य समयबद्ध तरीके से काम करता है। यहाँ मल्टीटास्किंग, तथ्य-जांच, ऑडियो एडिटिंग और लाइव अपडेट एक साथ किये जाते है। यह श्रोताओं तक सही समय पर खबर पहुँचाने का कार्य करते है। न्यूजरूम और स्टूडियो में फर्क यह है कि न्यूजरूम में समाचार तैयार किए जाते हैं। वहीं पर, स्टूडियो में उन्हें रिकॉर्ड या लाइव प्रसारित किया जाता है। इस तरह न्यूजरूम रेडियो प्रसारण की रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है । यह तय करता है कि श्रोताओं तक कौन-सी खबर, किस रूप में और किस समय पहुँचेगी।
आर्काइव – रेडियो स्टूडियो में आर्काइव भी होते हैं, जहां पर विभिन्न प्रकार के रिकॉर्ड किए गए सामग्री को रखा जाता है । पहले के समय में आर्काइव में सीडी डीवीडी एवं इस प्रकार के सामग्री रखे जाते थे । किंतु वर्तमान में विभिन्न प्रकार के डिजिटल स्टोरेज आ गए हैं और इन स्टोरेज को रखने के लिए बहुत कम जगह की अब आवश्यकता होती है।
कक्ष में साउंडप्रूफिंग और ध्वनिक डिजाइन – इसकी मदद से स्टूडियो में प्रोफेशनल और अच्छा ध्वनि वातावरण तैयार होता है। प्रसारण केन्द्र में स्टूडियो के हर कमरे के सन्दर्भ में यह आवश्यक है। इसे खास प्रकार से निर्माण किया जाता है। साउंड प्रुफ कक्ष बनाने के लिए साउंड एब्जॉर्बिंग फोम, डिफ्यूजर्स, बेस ट्रैप्स और डबल ग्लास विंडो का उपयोग होता है। इसके सन्दर्भ में ध्वनि विशेषज्ञ या ध्वनिक इंजीनियर डिजाइन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस प्रकार के कक्ष का उद्देश्य ध्वनि गूंज और बाहरी शोर को रोकना होता है। इससे रिकॉर्डिंग एवं प्रसारण की गुणवत्ता सही बनी रहती है। ये लोग समय-समय पर साउंड लेवल टेस्ट करते हैं और ध्वनि के फैलाव को संतुलित करते हैं। Radio Studio Structure
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